INX मीडिया केस: तिहाड़ जेल में बंद चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत
News18Hindi Updated: December 4, 2019, 10:47 AM IST

चिदंबरम को पहली बार आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई ने 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था.
प्रवर्तन निदेशालय ने चिदंबरम (P. Chidambaram) की जमानत याचिका का विरोध करते हुये दावा किया था कि उन्होंने ‘निजी लाभ’ के लिये वित्त मंत्री के ‘प्रभावशाली कार्यालय’ का इस्तेमाल किया और इस अपराध की रकम को हड़प गये.
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- Last Updated: December 4, 2019, 10:47 AM IST
नई दिल्ली. आईएनएक्स मीडिया केस (INX Media Case) में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम (P.Chidambaram) को सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार जमानत दे दी है. चिदंबरम ने उनकी जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के 15 नवंबर के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसपर शीर्ष अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया.
अदालत ने इसके साथ ही चिदंबरम की जमानत के लिए याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली थी. जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश राय की पीठ ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय को यह निर्देश दिया था. पीठ ने इस अपील पर सुनवाई पूरी करते हुए कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा.
इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष दावा किया कि पूर्व वित्त मंत्री हिरासत में होने के बावजूद महत्वपूर्ण गवाहों पर अपना ‘प्रभाव’ रखते हैं. उन्होंने कहा कि जांच के दौरान निदेशालय ने 12 बैंक खातों की पहचान की है, जिनमें इस अपराध से मिली रकम जमा की गई और एजेंसी के पास ऐसी 12 संपत्तियों का भी ब्योरा है, जिन्हें कई दूसरे देशों में खरीदा गया है.ED ने किया था यह दावा
प्रवर्तन निदेशालय दावा किया था कि पूर्व केंद्रीय मंत्री होने की वजह से चिदंबरम बहुत ही चतुर और प्रभावशाली व्यक्ति हैं. इस समय उनकी उपस्थिति ही गवाहों को भयभीत करने के लिए काफी है.
शीर्ष अदालत इस समय चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के 15 नवंबर के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता 74 वर्षीय पी चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत में दलील दी थी कि उन्हें ‘अनुचित तरीके’ से पिछले 99 दिन से सिर्फ इसलिए जेल में रखा गया है, क्योंकि वह आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्य आरोपी कार्ति चिदंबरम के पिता हैं और इस मामले से उन्हें जोड़ने के लिये उनके खिलाफ ‘एक भी साक्ष्य’ नहीं है.बता दें सीबीआई ने 15 मई, 2017 को एक मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप था कि 2007 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा आईएनएक्स मीडिया समूह को 305 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश प्राप्त करने की मंजूरी देने में अनियमित्तायें हुईं. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया.
यह भी पढ़ें: चिदंबरम बोले- अब अर्थव्यवस्था को भगवान बचाए
अदालत ने इसके साथ ही चिदंबरम की जमानत के लिए याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली थी. जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश राय की पीठ ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय को यह निर्देश दिया था. पीठ ने इस अपील पर सुनवाई पूरी करते हुए कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा.
इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष दावा किया कि पूर्व वित्त मंत्री हिरासत में होने के बावजूद महत्वपूर्ण गवाहों पर अपना ‘प्रभाव’ रखते हैं. उन्होंने कहा कि जांच के दौरान निदेशालय ने 12 बैंक खातों की पहचान की है, जिनमें इस अपराध से मिली रकम जमा की गई और एजेंसी के पास ऐसी 12 संपत्तियों का भी ब्योरा है, जिन्हें कई दूसरे देशों में खरीदा गया है.ED ने किया था यह दावा
प्रवर्तन निदेशालय दावा किया था कि पूर्व केंद्रीय मंत्री होने की वजह से चिदंबरम बहुत ही चतुर और प्रभावशाली व्यक्ति हैं. इस समय उनकी उपस्थिति ही गवाहों को भयभीत करने के लिए काफी है.
शीर्ष अदालत इस समय चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के 15 नवंबर के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता 74 वर्षीय पी चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत में दलील दी थी कि उन्हें ‘अनुचित तरीके’ से पिछले 99 दिन से सिर्फ इसलिए जेल में रखा गया है, क्योंकि वह आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्य आरोपी कार्ति चिदंबरम के पिता हैं और इस मामले से उन्हें जोड़ने के लिये उनके खिलाफ ‘एक भी साक्ष्य’ नहीं है.
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First published: December 3, 2019, 6:52 PM IST
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