एक स्टडी के मुताबिक़ पीरियड्स के दौरान महिलाओं को हार्ट अटैक के बराबर दर्द का सामना करना पड़ता है. (सांकेतिक तस्वीर)
नई दिल्ली. देश भर में सभी कामकाजी महिलाओं और छात्राओं को ‘पीरियड्स’ के दौरान छुट्टियां (Periods Leave) मिलनी चाहिए, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका में ये मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इस याचिका की जल्द सुनवाई की मांग की गई, जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि 24 फरवरी को इस याचिका की सुनवाई करेंगे. याचिका में कहा गया है कि कुछ देशों में किसी ना किसी फॉर्म में पीरियड्स के दौरान महिलाओं को छुट्टियां दी जाती है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की एक स्टडी के मुताबिक़ पीरियड्स के दौरान महिलाओं को हार्ट अटैक के बराबर दर्द का सामना करना पड़ता है.
माहवारी जैसे मुद्दे पर अब न केवल महिलाओं के स्वास्थ्य के मद्देनजर गंभीरता के साथ ध्यान केंद्रित किया जाने लगा है, बल्कि विश्व में विभिन्न देशों की सरकारें माहवारी में इस्तेमाल होने वाले सैनिटरी पैड, टैम्पोन और मेंस्ट्रुअल कप जैसे उत्पाद भी निशुल्क उपलब्ध करवाने लगी हैं.
भारत सरकार ने 2018 में एक लंबे अभियान के बाद माहवारी के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पादों पर लगने वाला 12 प्रतिशत कर हटाया था. हालांकि, भारत में प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत देशभर के केंद्रों पर सैनिटरी पैड एक रुपये में उपलब्ध कराए जाते हैं. कई सरकारी व गैर-सरकारी संगठन भी महिलाओं को समय-समय पर मुफ्त में सैनिटरी पैड मुहैया करवाते हैं.
दुनिया भर की सरकारें इस मुद्दे पर गंभीर
‘मेंस्ट्रुअल हाईजीन अलायंस ऑफ इंडिया’(एमएचएआई) का अनुमान है कि भारत में मासिक धर्म वाली 33.60 करोड़ से अधिक लड़कियां और महिलाएं हैं तथा देश में हर साल लगभग 12.3 अरब सैनिटरी पैड इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनके निस्तारण में तकरीबन 800 साल से अधिक समय लग सकता है.
दुनियाभर की सरकारें आधी आबादी से जुड़ी इस स्वास्थ्य समस्या को लेकर कितनी गंभीर हो गई हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्कॉटलैंड नवंबर 2020 में सामुदायिक केंद्रों, युवा क्लब और दवा की दुकानों में टैम्पोन और सैनिटरी पैड मुफ्त में उपलब्ध कराने वाला पहला देश बना था.
दक्षिण अफ्रीका में भी उठाए गए बड़े कदम
अमेरिका के इलिनॉइस, वाशिंगटन, न्यूयॉर्क, न्यू हैम्पशायर और वर्जीनिया में भी ऐसी ही पहल की गई है. न्यूयॉर्क ने पहली बार 2016 में सरकारी स्कूलों में मुफ्त टैम्पोन और सैनिटरी पैड प्रदान करने के लिए कानून पारित किया.
इसी तरह, दक्षिण अफ्रीका ने अक्टूबर 2018 में टैम्पोन पर लगाए जाने वाले कर को समाप्त कर दिया और स्कूलों में मुफ्त उत्पाद उपलब्ध करवाए. बोत्सवाना में अगस्त 2017 से स्कूलों में निशुल्क सैनिटरी पैड मिलने लगे. ब्रिटेन (2019), दक्षिण कोरिया (2018), युगांडा (2016) और जाम्बिया (2017) की सरकारों ने भी स्कूलों में निशुल्क सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने का वादा किया.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-पांच (एनएफएचएस-5) के मुताबिक, भारत में 15 से 24 आयुवर्ग की 64 प्रतिशत महिलाएं माहवारी के दौरान सैनिटरी पैड, 50 प्रतिशत कपड़ा, 1.7 प्रतिशत टैम्पोन और 0.3 प्रतिशत ‘मेंस्ट्रुअल कप’ का उपयोग करती हैं. (भाषा के इनपुट सहित)
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