चेन्नई. दक्षिण बनाम उत्तर भारत के राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के एक बयान पर हाल ही में बड़ा विवाद खड़ा हुआ था. अब कांग्रेस को दक्षिण से एक बड़ा झटका लग सकता है. 2006 के बाद से तमिलनाडु के लगातार तीन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का साझीदार DMK अब उसे लाल आँखे दिखा रहा है. DMK ने साफ कह दिया है कि वो किसी भी सूरत में गठबंधन में कांग्रेस को 20 से ज्यादा सीट नहीं देगा.
साठ के दशक में अपने CM के जरिए सरकार चलाने वाली कांग्रेस अब इस कदर असहाय है कि उसे सम्मानजनक सीटों के लिए भी लड़ाई लड़नी पड़ रही. वहीं, DMK ने दक्षिण की पार्टी होते हुए भी शायद उत्तर से सीख ली है, बिहार का उदाहरण उसके सामने हैं जहां कांग्रेस के प्रदर्शन की वजह से RJD सत्ता में आते आते रह गई. शायद DMK कांग्रेस को ज्यादा सीट देकर वो अपने साथ नहीं दोहराना चाहती.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले दिसंबर 2018 में DMK सुप्रीमो एम के स्टालिन ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताने का प्रस्ताव सामने रखा. तब तक यूपीए के बाकी साथी दल इस पर समर्थन से बचते थे. उस समय राहुल गांधी के प्रबल समर्थक के रूप में सामने आए स्टालिन अब विधानसभा से ठीक पहले कांग्रेस को उसकी राजनीतिक हैसियत समझा रहे है.
DMK का ये सख्त रवैया किसी झटके से कम नहीं!
सूत्रों के मुताबिक DMK ने साफ कह दिया है कि वो कांग्रेस को 18 सीट से ज्यादा नहीं देना चाहते, लेकिन सम्मान करते हुए अधिकतम 20 सीट दे सकते हैं. कांग्रेस के लिए DMK का ये सख्त रवैया किसी झटके से कम नहीं है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 41 सीट मिली थी, जिसमे से वो सिर्फ 8 ही जीतने में कामयाब हो सकी थी.
2019 में हुए लोकसभा चुनाव में DMK ने राज्य में शानदार प्रदर्शन करते हुए 39 में से 38 सीटें जीती थीं. यही कारण है कि DMK को लग रहा है कि कांग्रेस को ज्यादा सीट देकर वो सरकार बनाने की अपनी संभावना को कमजोर ही करेगी.
DMK के मुताबिक दक्षिण तमिलनाडु और कन्याकुमारी के आसपास के इलाको को छोड़कर कांग्रेस राज्य में कहीं प्रभावी स्थिति में नहीं है. पश्चिमी तमिलनाडु में DMK मजबूत स्थिति में है, ऐसे में कांग्रेस को adjust करने के चक्कर में पड़े तो उन इलाकों के स्थानीय DMK नेताओं के बागी होकर चुनावी अखाड़े में उतरने का अंदेशा है, जो पार्टी को ही नुकसान करेगा.
DMK ने अब गेंद पूरी तरह से कांग्रेस के पाले में डाल दी है. साफ संदेश दे दिया है कि अगर गठबंधन को मजबूत रखना है तो जितनी सीट वो दे रहे हैं, उस पर लड़े. या वो अपना फैसला लेने को स्वतंत्र है. ऐसी स्थिति में ये भी लग रहा है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अब तक अधिक समय तमिलनाडु में बिता कर जो प्रयास किए हैं, उनका DMK पर कोई असर नहीं पड़ा है.undefined
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FIRST PUBLISHED : March 05, 2021, 11:59 IST