Tamil Nadu Assembly Election 2021: DMK VS AIADMK की लड़ाई में कौन होगा आगे? सरकार बदलने के मिल रहे संकेत!

DMK नेता एमके स्टालिन और राज्य के सीएम EPS
Tamil Nadu Assembly Election 2021: इस बार राज्य में सत्ता परिवर्तन हो सकता है. राज्य में वोटिंग पर्सेंटेज हमेशा अच्छा होता है. साल 2011 में वोटिंग 8 फीसदी बढ़कर 78.5 फीसदी हुआ और जयललिता की सरकार बनी थी. साल 2016 में मतदान 75 फीसदी था लेकिन सरकार नहीं बदली.
- News18Hindi
- Last Updated: April 8, 2021, 11:45 AM IST
चेन्नई. तमिलनाडु (Tamil Nadu Assembly Election 2021) में 6 अप्रैल को मतदान संपन्न हो गया. राज्य में 71.79 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. कल्लाकुरीचि में सर्वाधिक 78 प्रतिशत मतदान हुआ और चेन्नई में सबसे कम 59.40 प्रतिशत मतदान हुआ. कन्याकुमारी लोकसभा सीट पर उपचुनाव के आंकड़े बाद में आएंगे. तमिलनाडु में कुल 6.28 करोड़ मतदाता हैं और विधानसभा चुनाव में कुल 3,998 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
तमिलनाडु की राजनीति के बारे में माना जाता है कि यहां जीत घोषणा पत्र में गिफ्ट का ऐलान, केंद्र का विरोध, जातीय समीकरण, स्टारडम और कैश फॉर वोट सरीखे पैमानों पर तय होती है. इन पांच मानकों में से केंद्र का विरोध और घोषणा पत्र के जरिए फ्री गिफ्ट के मुद्दे पर डीएमके स्पष्ट रूप से आगे है, लेकिन स्टारडम के मामले में दोनों दलों की हालत एक जैसी है. वहीं बात जातीय समीकरण की करें तो AIADMK कुछ आगे नजर आ रही है लेकिन आखिरी परिणाम को लेकर राज्य की राजनीति का विश्लेषण करने वाले दुविधा में हैं. वहीं बात कैश फॉर वोट की करें तो इस मामले में AIADMK आगे है.
राज्य में हो सकता है सत्ता परिवर्तन!
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्य के चारों हिस्सों में से पश्चिमी तमिलनाडु में साल 2016 के मुकाबले AIADMK को ज्यादा नुकसान नहीं होगा, लेकिन बाकी इलाकों में उसे नुकसान हो सकता है. रिपोर्ट के अनुसार इस बार राज्य में सत्ता परिवर्तन हो सकता है. राज्य में वोटिंग पर्सेंटेज हमेशा अच्छा होता है. साल 2011 में वोटिंग 8 फीसदी बढ़कर 78.5 फीसदी हुई और जयललिता की सरकार बनी थी. साल 2016 में मतदान 75 फीसदी था, लेकिन सरकार नहीं बदली. हालांकि यह गौर करने वाली बात है कि दोनों दलों के बीच हार जीत का अंतर सिर्फ 1 फीसदी था. इस बार मतदान 3 फीसदी घटकर 72 फीसदी रह गया. इसे लेकर AIADMK के खेमे में उदासी है.क्या AIADMK को होगा बीजेपी से गठबंधन करने का नुकसान
सत्ताविरोधी लहर होने के बाद परिणाम किसके पक्ष में होगा इस बारे में कुछ भी स्पष्ट रूप से कहा नहीं जा सकता है. जानकारों का मानना है कि AIADMK को बीजेपी से गठबंधन करने का नुकसान उठाना पड़ सकता है. राज्य के पश्चिमी हिस्से की 57 सीटों पर AIADMK को बढ़त मिल सकती है तो वहीं मध्य हिस्से में सीमित नुकसान हो सकता है. बात उत्तर और दक्षिणी हिस्से की करें यहां भी AIADMK को नुकसान हो सकता है.
अगर पांच मानकों की बात करें तो केंद्र के विरोध के मामले में DMK, AIADMK से आगे हैं. हिन्दी विरोध केंद्रित राजनीति में DMK ने कई केंद्रीय प्रोजेक्ट्स का विरोध किया और जनता के बीच यह संदेश ले गए कि AIADMK नेता और सीएम EPS केंद्र के इशारों पर काम कर रहे हैं.
मुफ्त गिफ्ट के मामले पर कहां खड़े हैं दोनों दल?
घोषणा पत्र के जरिए मुफ्त गिफ्ट की बात करें तो कृषि और गोल्ड लोन माफी के चलते AIADMK आगे रहा. तो वहीं राशन कार्ड गृहिणी को हर माह पैसा देने के मामले में दोनों दल लगभग बराबर रहे लेकिन DMK के घोषणा पत्र में ऐलान किया है कि वह सरकार बनने के बाद पेट्रोल और डीजल के दाम में कमी करेगी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सर्वे में भी DMK का घोषणा पत्र बहुत लोकप्रिय पाया गया.
इस बार राज्य की राजनीति से करुणानिधि और जयललिता की गैरमौजूदगी का भी असर पड़ा है. इसके साथ ही इस बार स्टारडम नजर नहीं आया. अभिनेता विजयकांत AIADMK से अलग होकर दिनाकरण के साथ चले गए. वहीं रजनीकांत ने बीते साल ही खुद को इलेक्शन पॉलिटिक्स से खुद को पीछे खींच लिए साथ ही कमल हासन का भी कुछ खास असर दिखा नहीं. बात DMK की करें तो यहां अभिनेता उदयनिधि स्टालिन पार्टी में हैं लेकिन उन पर विपक्षी दल परिवारवाद का आरोप लगा रहे हैं.

जातीय समीकरण की बात करें तो यहां 3 जातियां वनियार, थेवर और गाउंदर बहुत मजबूत हैं. DMK के 39 और AIADMK के 47 फीसदी कैंडिडेट्स इन्हीं तीन जातियों के हैं. मीडिया रिपोर्ट में कैश फॉर वोट के मामले पर एक सांसद के हवाले से कहा कि यहां अधिकारी 5 करोड़ और मंत्री 200-300 करोड़ रुपये महीने तक कमा लेते हैं. इसी कमाई का एक भाग कैश फॉर वोट में खर्च होता है.15 फीसदी मतदाताओं को अपने पाले में खींचने के लिए इन पैसों का इस्तेमाल होता है.
तमिलनाडु की राजनीति के बारे में माना जाता है कि यहां जीत घोषणा पत्र में गिफ्ट का ऐलान, केंद्र का विरोध, जातीय समीकरण, स्टारडम और कैश फॉर वोट सरीखे पैमानों पर तय होती है. इन पांच मानकों में से केंद्र का विरोध और घोषणा पत्र के जरिए फ्री गिफ्ट के मुद्दे पर डीएमके स्पष्ट रूप से आगे है, लेकिन स्टारडम के मामले में दोनों दलों की हालत एक जैसी है. वहीं बात जातीय समीकरण की करें तो AIADMK कुछ आगे नजर आ रही है लेकिन आखिरी परिणाम को लेकर राज्य की राजनीति का विश्लेषण करने वाले दुविधा में हैं. वहीं बात कैश फॉर वोट की करें तो इस मामले में AIADMK आगे है.
राज्य में हो सकता है सत्ता परिवर्तन!
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्य के चारों हिस्सों में से पश्चिमी तमिलनाडु में साल 2016 के मुकाबले AIADMK को ज्यादा नुकसान नहीं होगा, लेकिन बाकी इलाकों में उसे नुकसान हो सकता है. रिपोर्ट के अनुसार इस बार राज्य में सत्ता परिवर्तन हो सकता है. राज्य में वोटिंग पर्सेंटेज हमेशा अच्छा होता है. साल 2011 में वोटिंग 8 फीसदी बढ़कर 78.5 फीसदी हुई और जयललिता की सरकार बनी थी. साल 2016 में मतदान 75 फीसदी था, लेकिन सरकार नहीं बदली. हालांकि यह गौर करने वाली बात है कि दोनों दलों के बीच हार जीत का अंतर सिर्फ 1 फीसदी था. इस बार मतदान 3 फीसदी घटकर 72 फीसदी रह गया. इसे लेकर AIADMK के खेमे में उदासी है.क्या AIADMK को होगा बीजेपी से गठबंधन करने का नुकसान
अगर पांच मानकों की बात करें तो केंद्र के विरोध के मामले में DMK, AIADMK से आगे हैं. हिन्दी विरोध केंद्रित राजनीति में DMK ने कई केंद्रीय प्रोजेक्ट्स का विरोध किया और जनता के बीच यह संदेश ले गए कि AIADMK नेता और सीएम EPS केंद्र के इशारों पर काम कर रहे हैं.
मुफ्त गिफ्ट के मामले पर कहां खड़े हैं दोनों दल?
घोषणा पत्र के जरिए मुफ्त गिफ्ट की बात करें तो कृषि और गोल्ड लोन माफी के चलते AIADMK आगे रहा. तो वहीं राशन कार्ड गृहिणी को हर माह पैसा देने के मामले में दोनों दल लगभग बराबर रहे लेकिन DMK के घोषणा पत्र में ऐलान किया है कि वह सरकार बनने के बाद पेट्रोल और डीजल के दाम में कमी करेगी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सर्वे में भी DMK का घोषणा पत्र बहुत लोकप्रिय पाया गया.
इस बार राज्य की राजनीति से करुणानिधि और जयललिता की गैरमौजूदगी का भी असर पड़ा है. इसके साथ ही इस बार स्टारडम नजर नहीं आया. अभिनेता विजयकांत AIADMK से अलग होकर दिनाकरण के साथ चले गए. वहीं रजनीकांत ने बीते साल ही खुद को इलेक्शन पॉलिटिक्स से खुद को पीछे खींच लिए साथ ही कमल हासन का भी कुछ खास असर दिखा नहीं. बात DMK की करें तो यहां अभिनेता उदयनिधि स्टालिन पार्टी में हैं लेकिन उन पर विपक्षी दल परिवारवाद का आरोप लगा रहे हैं.
जातीय समीकरण की बात करें तो यहां 3 जातियां वनियार, थेवर और गाउंदर बहुत मजबूत हैं. DMK के 39 और AIADMK के 47 फीसदी कैंडिडेट्स इन्हीं तीन जातियों के हैं. मीडिया रिपोर्ट में कैश फॉर वोट के मामले पर एक सांसद के हवाले से कहा कि यहां अधिकारी 5 करोड़ और मंत्री 200-300 करोड़ रुपये महीने तक कमा लेते हैं. इसी कमाई का एक भाग कैश फॉर वोट में खर्च होता है.15 फीसदी मतदाताओं को अपने पाले में खींचने के लिए इन पैसों का इस्तेमाल होता है.