नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आदेश दिया था की करोना से हुई मौत (corona death) के मामले में सभी परिवार को कम से कम 50 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाए. साथ ही साथ बच्चों के लिए ख़ास योजना लाई जाए. उनके आंकड़े और दूसरी जानकारी सभी राज्य सरकार वेबसाइट पर अपलोड करे. आज हुई सुनवाई में पाया गया की ज्यादातर सरकारें सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठीक से लागू नही कर रहे. इसलिए आज अदालत ने आंध्र प्रदेश और बिहार के चीफ सेक्रेटरी को तलब किया और जम कर फटकार लगाई.
अंत में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों के लिए एक विस्तृत आदेश पारित किया. आंकड़ों के मुताबिक देश भर में लगभग 10 हजार ऐसे बच्चे हैं जिन्हों ने करोना के कारण अपने माता पिता दोनों को खोया है. लगभग 1 लाख 37 हजार ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने मां और बाप में से से एक को खोया है. आज सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया की सभी संबंधित राज्य सरकारें उन बच्चों तक पहुंचे और उनको मुआवजा दें. ये अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी की बच्चों तक जाएं और उनकी मदद करें. इस का स्टेट्स रिपोर्ट सभी राज्य सरकारों को दो हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट में जमा करना होगा.
ये भी पढ़ें : बच्चे हो सकते हैं कोरोना के सुपर स्प्रेडर, इन बातों का ध्यान रखें पेरेंट्स
ये भी पढ़ें : Amit Palekar: सरपंच का बेटा, पेशे से वकील… कौन हैं गोवा में आप के CM कैंडिडेट अमित पालेकर
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने करोना से मरने वालों के परिवार को मुआवजा न मिलने पर भी चिंता जताई. कोर्ट ने खास तौर पर बिहार और आंध्र प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी को तलब करके फटकार लगाई. बिहार ने सिर्फ 13250 मौतों का आंकड़ा दिया है. इनमे से सिर्फ 11 हजार को ही मुआवजा मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा की इतनी कम मौत कैसे हो सकती है. सरकार पीड़ितों तक पहुंच ही नहीं पाई है.
ऐसे ही आंध्र प्रदेश ने मुआवजे के लिए आए 14 हजार आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की. सुप्रीम कोर्ट ने आज आदेश दिया की दोनों ही सरकारें अपने आंकड़े और काम करने के तरीके को बेहतर करें. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी देखा की कई राज्यों ने बड़ी तादाद में आवेदन को खारिज कर दिया है. जैसे महाराष्ट्र ने 49 हजार, तमिल नाडू ने 10 हजार, तेलंगाना ने 1 हजार और गुजरात ने 4234 आवेदन खारिज कर दिए.
आज सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया की सभी सरकारों को ये बताना होगा की अगर अर्जी खारिज हुई है तो इसकी वजह क्या थी. तकनीकी कारणों से कोई अर्जी खारिज नही होगी. ये सरकार की जिम्मेदारी है की आवेदन की त्रुटियों को सही करें. अब सभी राज्य सरकारों को करोना से हुई मौत और उसके लिए दिए जाने वाले सारे आंकड़ों को राज्य के लीगल सर्विस अथॉरिटी से सांझा करना होगा. इससे पारदर्शिता बनी रहेगी. सभी राज्य सरकारों को इस आदेश के बाद एक स्टेट्स रिपोर्ट दो हफ्तों में जमा करना होगा. मामले की अगली सुनवाई 4 फरवरी को होगी.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Corona death, Supreme Court