कोरोना वायरस: सरकार ने कहा- लॉकडाउन के दौरान मिल सकेगी प्रीपेड मोबाइल रिचार्ज की सुविधा, शहरों में आटा-दाल मिलें खुल सकेंगी

भारत ने सोमवार को दुनिया के सबसे बड़े ‘लॉकडाउन’ से धीरे-धीरे बाहर निकलने की शुरूआत की है
गृह मंत्रालय (Home Ministry) की ओर से कहा गया है कि हालांकि लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान नेशनल कोविड-19 डाइरेक्टिव्स (National Covid-19 Directives) और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर का ध्यान रखते हुए दफ्तरों, कारखानों, कार्यस्थलों और अन्यसभी जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन किया जाएगा.
- News18Hindi
- Last Updated: April 21, 2020, 11:46 PM IST
नई दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्रालय (Ministry Home Ministry) ने कोरोना वायरस (Coronavirus) के मद्देनजर जारी लॉकडाउन (Lockdown) में 20 अप्रैल से दी गई छूट के दौरान की जाने वाली गतिविधियों को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं. इसमें बताया गया है कि इस दौरान कौन से काम किये जा सकते हैं और कौन से नहीं. गृह मंत्रालय के इस आदेश के मुताबिक इस दौरान प्रीपेड मोबाइल रीचार्जिंग की सुविधा दी जा सकती है. वहीं शहरी इलाकों में ब्रेड फैक्ट्रियां, मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट, आटा और दाल मिलों में काम किया जा सकता है.
गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस लॉकडाउन के दौरान वरिष्ठ नागरिकों के साथ उनके घरों में रह रहे सहायकों के अलावा, उनकी देखभाल करने वालों को भी सेवा प्रदान करने की अनुमति दी गयी है.सोशल डिस्टेंसिंग का करना होगा पालन
गृह मंत्रालय की प्रवक्ता ट्वीट कर बताया कि लॉकडाउन में मिली छूट को लेकर कई लोगों कुछ गतिविधियों को लेकर सवाल किए थे. जिसे लेकर गृह मंत्रालय के सचिव अजय भल्ला की ओर से दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि हालांकि लॉकडाउन के दौरान नेशनल कोविड-19 डाइरेक्टिव्स और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर का ध्यान रखते हुए दफ्तरों, कारखानों, कार्यस्थलों और अन्यसभी जगहों पर सोशल डिस्टेंस का पूरी तरह से पालन किया जाएगा.
गौरतलब है कि भारत ने सोमवार को दुनिया के सबसे बड़े ‘लॉकडाउन’ (बंद) से धीरे-धीरे बाहर निकलने की शुरूआत की लेकिन पहले दिन विभिन्न क्षेत्रों में काम धंधे की शुरुआत छिटपुट इकाइयों तक सीमित रही.
अर्थव्यवस्था को गति देने के इरादे से किया गया फैसला
सोमवार से ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों पर लगी रोक हटा ली गयी है लेकिन अभी कामकाज छिटपुट ही शुरू हो पाया है. कुछ कंपनियों ने वस्तुओं और लोगों की आवाजाही पर पाबंदी पूरी तरह से हटने का इंतजार करने का निर्णय किया है.
सरकार ने बंद के कारण अटकी पड़ी अर्थव्यवस्था को थोड़ी गति देने के इरादे से पिछले सप्ताह ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों और किसानों के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर बनाने वाले उद्योगों को कामकाज शुरू करने की अनुमति दी. एक अनुमान के अनुसार इस महा बंद के कारण 7-8 लाख करोड़ रुपये के नुकसान होने की आशंका है.
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In response to queries, it is clarified that specific services/activities below have already been exempted from #lockdown measures to fight #COVID19●Caregivers of senior citizens residing with them●Prepaid mobile recharge utilities●Food processing units in urban areas pic.twitter.com/8Kiro1881p
— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) April 21, 2020
गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस लॉकडाउन के दौरान वरिष्ठ नागरिकों के साथ उनके घरों में रह रहे सहायकों के अलावा, उनकी देखभाल करने वालों को भी सेवा प्रदान करने की अनुमति दी गयी है.सोशल डिस्टेंसिंग का करना होगा पालन
गृह मंत्रालय की प्रवक्ता ट्वीट कर बताया कि लॉकडाउन में मिली छूट को लेकर कई लोगों कुछ गतिविधियों को लेकर सवाल किए थे. जिसे लेकर गृह मंत्रालय के सचिव अजय भल्ला की ओर से दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि हालांकि लॉकडाउन के दौरान नेशनल कोविड-19 डाइरेक्टिव्स और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर का ध्यान रखते हुए दफ्तरों, कारखानों, कार्यस्थलों और अन्यसभी जगहों पर सोशल डिस्टेंस का पूरी तरह से पालन किया जाएगा.
गौरतलब है कि भारत ने सोमवार को दुनिया के सबसे बड़े ‘लॉकडाउन’ (बंद) से धीरे-धीरे बाहर निकलने की शुरूआत की लेकिन पहले दिन विभिन्न क्षेत्रों में काम धंधे की शुरुआत छिटपुट इकाइयों तक सीमित रही.
अर्थव्यवस्था को गति देने के इरादे से किया गया फैसला
सोमवार से ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों पर लगी रोक हटा ली गयी है लेकिन अभी कामकाज छिटपुट ही शुरू हो पाया है. कुछ कंपनियों ने वस्तुओं और लोगों की आवाजाही पर पाबंदी पूरी तरह से हटने का इंतजार करने का निर्णय किया है.
सरकार ने बंद के कारण अटकी पड़ी अर्थव्यवस्था को थोड़ी गति देने के इरादे से पिछले सप्ताह ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों और किसानों के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर बनाने वाले उद्योगों को कामकाज शुरू करने की अनुमति दी. एक अनुमान के अनुसार इस महा बंद के कारण 7-8 लाख करोड़ रुपये के नुकसान होने की आशंका है.
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