1300 किमी की लम्बी दूरी तय कर बाघ पहुंचा अभयारण्य, 2 राज्यों की सीमा की पार

1300 किमी चल ज्ञानगंगा वन्यजीव अभयारण्य पहुंचा बाघ
टीपेश्वर (Tipeshwar) से बाघ पांच महीने तक 1300 किमी चला और ज्ञानगंगा वन्यजीव अभयारण्य (Dnyanganga Wildlife Sanctuary) में पहुंचा.
- News18Hindi
- Last Updated: December 4, 2019, 9:37 AM IST
नए क्षेत्र, साथी और शिकार की तलाश में निकले एक बाघ (Tiger) ने करीब 1300 किमी की दूरी तय की. यह बाघ महाराष्ट्र और तेलंगाना (Maharashtra and Telangana) राज्यों में 1,300 किमी तक चला. भारत में अभी तक सबसे ज्यादा समय और सबसे दूरी तय करने वाला यह बाघ 5 महीने तक लगातार चलता रहा. टीपेश्वर (Tipeshwar) से बाघ पांच महीने तक चला और ज्ञानगंगा वन्यजीव अभयारण्य (Dnyanganga Wildlife Sanctuary) में पहुंचा.
यह बाघिन T1 को 2016 में तीन शावक हुए थे यह उनमें से एक शावक है. महाराष्ट्र वन विभाग ने भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के साथ मिलकर एक अध्ययन के तहत यह मॉनिटरिंग की थी. इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य यह देखना है कि किस तरह बाघ अपने लिए नई जगह तलाशते हैं. बाघ C1 की तरह ही उसके भाई-बहन C2 और C3 ने काफी लंबी दूरी तय की है.
बाघ C1 ने इस साल जून में महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में टिपेश्वर अभयारण्य को छोड़ अपनी यात्रा शुरू की थी. तभी से उसने महाराष्ट्र और तेलंगाना के कई गावं, कृषि क्षेत्र और लोगों के रहने वाली जगहों पर से निकला. पेंच टाइगर रिजर्व के चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट एंड फील्ड डायरेक्टर, डॉ. आर गोवेकर ने मीडिया को बताया कि उसने सबसे कम समय में सबसे लंबी दूरी तय की है.
डॉ गोवेकर ने कहा कि बाघ C1 की इस यात्रा की सबसे बड़ी खासियत यह रही की यह उन जगहों से गुजरा जहां लोगों की आबादी अत्यधिक थी लेकिन उसने किसी पर हमला नही किया. हिंगलो जिले में कुछ लोग इस बाघ की फोटो लेने के लिए इसके काफी करीब आ गये थे. बाघ ने खुद को बचाने के एक व्यक्ति पर हमला किया जिसमें व्यक्ति को हल्की चोटें आई.1 दिसंबर को, बाघ C1 ज्ञानगंगा अभयारण्य में पहुंचा. शिकार के हिसाब से ज्ञानगंगा एक अच्छा प्रबंधित वन्यजीव क्षेत्र है. यह उम्मीद की जा रही है कि वह शायद कुछ समय यहां बिता सकता है.
ये भी पढ़ें : आखिर कुत्तों को पेंट करके बाघ क्यों बना रहे हैं कर्नाटक के किसान?
यह बाघिन T1 को 2016 में तीन शावक हुए थे यह उनमें से एक शावक है. महाराष्ट्र वन विभाग ने भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के साथ मिलकर एक अध्ययन के तहत यह मॉनिटरिंग की थी. इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य यह देखना है कि किस तरह बाघ अपने लिए नई जगह तलाशते हैं. बाघ C1 की तरह ही उसके भाई-बहन C2 और C3 ने काफी लंबी दूरी तय की है.
बाघ C1 ने इस साल जून में महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में टिपेश्वर अभयारण्य को छोड़ अपनी यात्रा शुरू की थी. तभी से उसने महाराष्ट्र और तेलंगाना के कई गावं, कृषि क्षेत्र और लोगों के रहने वाली जगहों पर से निकला. पेंच टाइगर रिजर्व के चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट एंड फील्ड डायरेक्टर, डॉ. आर गोवेकर ने मीडिया को बताया कि उसने सबसे कम समय में सबसे लंबी दूरी तय की है.
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