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Earthquake: पशु-पक्षियों को भूकंप का पहले ही पता लग जाता है? बैद्यनाथ मंदिर के पुजारी ने बताई 'सच्चाई'

Turkey earthquake birds video viral: बैद्यनाथ मंदिर के ज्योतिषाचार्य पंडित कन्हैयालाल मिश्रा भी मानते हैं कि कुछ ऐसे जी ...अधिक पढ़ें

    रिपोर्ट- परमजीत कुमार

    देवघर. तुर्की में आए भूकंप (Turkey earthquake) ने पूरी दुनिया को दहशत में डाल दिया है. भूकंप की तीव्रता इतनी थी कि सब तहस-नहस हो गया है. अब तबाही की दर्दनाक तस्वीरें सामने आ रही हैं. एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें पक्षी आसमान में उड़ते हुए नजर आ रहे हैं. कहा जा रहा है कि ये भूकंप से पहले की बेचैनी थी, जो पक्षियों में देखी गई है.

    लेकिन क्या ऐसा होता है? क्या पशु-पक्षियों को पहले ही इस तरह के विनाश की आहट मिल जाती है? इस पहलु को धार्मिक नजरिए से भी समझते हैं. बैद्यनाथ मंदिर के ज्योतिषाचार्य पंडित कन्हैयालाल मिश्रा से इस विषय पर जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि हां कुछ ऐसे जीव जंतु हैं जिन्हें प्राकृतिक आपदाओं का पहले ही आभास हो जाता है.

    इन पक्षियों को मिल जाते हैं संकेत?

    पंडित कन्हैयालाल का कहना है कि इन जीव जंतु को सिर्फ भूकंप ही नहीं, सुनामी व ज्वालामुखी के फटने का आभास पहले ही हो जाता है. इनमें कुत्ता, बिल्ली, मछली, सांप, मेंढक आदि शामिल हैं. ये पशु पक्षी धरती से उठने वाली तरंगों और सूक्ष्म हलचल को महसूस कर लेते हैं. जिसके बाद ये सतर्क हो जाते हैं. कई जगहों पर भूकंप के बाद पाया गया है कि वहां ये जीव-जंतु दो-तीन दिन पहले से संकेत दे रहे थे. इनके द्वारा मिलने वाले संकेतों से आगाह होकर इंसान प्राकृतिक आपदाओं में सतर्क हो सकते हैं.

    ‘बिल से बाहर आ जाते हैं सांप’

    उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा से एक या दो दिन पहले चिड़ियों में कोलाहल होने लगती है. ठीक उसी तरह भूकंप आने से पहले सांप अपने बिल से बाहर निकल जाता है. भूकंप आने का अनुमान पानी में भी जाता है. ऐसे में मेंढक पानी से बाहर निकल जाता है. वहीं, मछलियां भी समुंद्र या नदी के केंद्र से किनारों पर आ जाती हैं. कुत्ते बहुत ज्यादा भोंकने लगते हैं और बिल्लियां रोने लगती हैं. इन पशु पक्षियों को प्राकृतिक आपदा आने से पहले आभास हो जाता है.

    धार्मिक ग्रंथ में भी है उल्लेख

    पंडित कन्हैयालाल मिश्रा बताते हैं कि गीता में एक श्लोक है ‘ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः । मनःषष्ठानीन्द्रियाणि प्रकृतिस्थानि कर्षति’ अर्थात जीव मेरा ही सनातन अंग है और वह इस प्राकृतिक मन और छ इंद्रियों के द्वारा आकर्षित है. छठी इंद्रिय सभी जीव जंतु के पास हैं और जागृत अवस्था में होता है. लेकिन ज्ञानेंद्र इन पक्षियों, कुत्ते, बिल्ली, मेंढक, सांप, मछली में ज्यादा होती है. इसलिए उन्हें आभास हो जाता है.

    पंडित मिश्रा ने ये भी बताया कि यदि पशु-पक्षियों में इंसानों की तरह बोलने की शक्ति होती तो वे बेहतरीन ज्योतिषी साबित होते. उनके मुताबिक पशु-पक्षी भले ही बुद्धि-कौशल में मनुष्य की तुलना में कमतर हों, परंतु उनकी इंद्रियातीत शक्ति काफी बढ़ी-चढ़ी होती है और वे उसके आधार पर अपनी जीवनचर्या का सुविधापूर्वक संचालन करते हैं.

    Tags: Earthquake News, Turkey

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