Indo-Pak Talks: भारत-पाकिस्तान के बीच ढाई साल बाद आज से शुरू होगी सिंधु जल आयोग की बैठक

भारत पाकिस्तान के बीच दो दिवसीय अहम बैठक (फाइल फोटो)
भारत और पाकिस्तान के बीच स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission-PIC) की बैठक आज से शुरू होगी. इसके लिए पाकिस्तान का दल भारत पहुंच गया है.
- News18Hindi
- Last Updated: March 23, 2021, 7:12 AM IST
नई दिल्ली. पाकिस्तान के सिंधु आयुक्त सैयद मुहम्मद मेहर अली शाह के नेतृत्व में सात सदस्यीय पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission-PIC) की वार्षिक बैठक के लिए सोमवार को यहां पहुंचा. इस बैठक के दौरान शाह अपने भारतीय समकक्ष के साथ वार्ता करेंगे. दोनों देशों के सिंधु आयुक्त 23-24 मार्च को वार्षिक वार्ता करेंगे.
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रदीप कुमार सक्सेना करेंगे जिनके साथ केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण और राष्ट्रीय जलविद्युत निगम के उनके सलाहकार होंगे. सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) में दोनों आयुक्तों के साल में कम से कम एक बार बैठक करने का प्रावधान है और यह बैठक एक बार भारत में तथा एक बार पाकिस्तान में होती है. हालांकि पिछले साल नयी दिल्ली में प्रस्तावित बैठक कोरोना वायरस संबंधी महामारी के चलते रद्द कर दी गयी थी. इस संधि के प्रभाव में आने के बाद पहली बार यह बैठक रद्द की गयी.
इन परियोजनाओं को भारत ने दी मंजूरी
भारत ने तब से इस क्षेत्र के लिए कई पनबिजली परियोजनाओं को मंजूरी दी है जिनमें डरबक श्योक (19 मेगावाट), शांकू (18.5 मेगावाट), निमू चिलिंग (24 मेगावाट), रोंगडो (12 मेगावाट) और रतन नाग (10.5 मेगावाट) लेह में हैं तथा मंगदूम सांगरा (19 मेगावाट), कारगिल हंडममैन (25 मेगावाट) और तमशा (12 मेगावाट) कारगिल से जुड़ी हैं.भारत ने इन परियोजनाओं के बारे में पाकिस्तान को सूचित किया था. यह मुद्दा इस बैठक के दौरान उठने की संभावना है. पाकिस्तान चिनाब नदी पर भारतीय पनबिजली परियोजना के डिजाइन पर आपत्ति कर सकता है. आईडब्ल्यूटी के तहत चिनाब नदी के पानी का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को दिया गया है. बैठक से पहले सक्सेना ने कहा, ‘भारत इस संधि के तहत अपने अधिकारों के संपूर्ण दोहन के लिए कटिबद्ध है और वार्ता के माध्यम से मुद्दों के सौहार्दपूर्ण हल में यकीन करता है.’
इससे पहले पीआईसी की बैठक 29-30 अगस्त, 2018 को लाहौर में आयोजित की गई थी. इस दौरान पाक डल और लोअर कलनई परियोजनाओं पर भी चर्चा की गई थी. इस बैठक के बाद, सिंधु जल के पाकिस्तान के आयुक्त ने 28-31 जनवरी, 2019 को चिनाब बेसिन में पाक डल, लोअर कलनई, चूहा और अन्य जल विद्युत परियोजनाओं का निरीक्षण किया था.

बता दें पुलवामा हमले (14 फरवरी, 2019), बालाकोट हवाई हमले (26 फरवरी, 2019) और अनुच्छेद 370 के लिए विशेष प्रावधानों को निरस्त करने के बाद यह बैठक ढाई साल से अधिक समय के बाद आयोजित की जा रही है. (भाषा इनपुट के साथ)
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रदीप कुमार सक्सेना करेंगे जिनके साथ केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण और राष्ट्रीय जलविद्युत निगम के उनके सलाहकार होंगे. सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) में दोनों आयुक्तों के साल में कम से कम एक बार बैठक करने का प्रावधान है और यह बैठक एक बार भारत में तथा एक बार पाकिस्तान में होती है. हालांकि पिछले साल नयी दिल्ली में प्रस्तावित बैठक कोरोना वायरस संबंधी महामारी के चलते रद्द कर दी गयी थी. इस संधि के प्रभाव में आने के बाद पहली बार यह बैठक रद्द की गयी.
इन परियोजनाओं को भारत ने दी मंजूरी
भारत ने तब से इस क्षेत्र के लिए कई पनबिजली परियोजनाओं को मंजूरी दी है जिनमें डरबक श्योक (19 मेगावाट), शांकू (18.5 मेगावाट), निमू चिलिंग (24 मेगावाट), रोंगडो (12 मेगावाट) और रतन नाग (10.5 मेगावाट) लेह में हैं तथा मंगदूम सांगरा (19 मेगावाट), कारगिल हंडममैन (25 मेगावाट) और तमशा (12 मेगावाट) कारगिल से जुड़ी हैं.भारत ने इन परियोजनाओं के बारे में पाकिस्तान को सूचित किया था. यह मुद्दा इस बैठक के दौरान उठने की संभावना है. पाकिस्तान चिनाब नदी पर भारतीय पनबिजली परियोजना के डिजाइन पर आपत्ति कर सकता है. आईडब्ल्यूटी के तहत चिनाब नदी के पानी का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को दिया गया है. बैठक से पहले सक्सेना ने कहा, ‘भारत इस संधि के तहत अपने अधिकारों के संपूर्ण दोहन के लिए कटिबद्ध है और वार्ता के माध्यम से मुद्दों के सौहार्दपूर्ण हल में यकीन करता है.’
इससे पहले पीआईसी की बैठक 29-30 अगस्त, 2018 को लाहौर में आयोजित की गई थी. इस दौरान पाक डल और लोअर कलनई परियोजनाओं पर भी चर्चा की गई थी. इस बैठक के बाद, सिंधु जल के पाकिस्तान के आयुक्त ने 28-31 जनवरी, 2019 को चिनाब बेसिन में पाक डल, लोअर कलनई, चूहा और अन्य जल विद्युत परियोजनाओं का निरीक्षण किया था.
बता दें पुलवामा हमले (14 फरवरी, 2019), बालाकोट हवाई हमले (26 फरवरी, 2019) और अनुच्छेद 370 के लिए विशेष प्रावधानों को निरस्त करने के बाद यह बैठक ढाई साल से अधिक समय के बाद आयोजित की जा रही है. (भाषा इनपुट के साथ)