सरकार के दावे की खुली पोल! 150 बच्चों को पढ़ाते हैं सिर्फ 2 टीचर, 6 सब्जेक्ट के लिए लेनी पड़ती है ट्यूशन

विषयों को समझने के लिए लेना पड़ता है ट्यूशन का सहारा.
बिहार सरकार (Bihar Government) भले ही सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा व्यवस्था (Education system) का दावा करती हो, लेकिन जमुई के खैरा प्रखंड के धरमपुर गांव में उच्च विद्यालय (High School) में करीब 150 छात्रों को सिर्फ दो शिक्षक पढ़ाते हैं.
- News18 Bihar
- Last Updated: November 19, 2019, 5:40 PM IST
जमुई. बिहार सरकार (Bihar Government) भले ही सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा व्यवस्था (Education system) का दावा करती हो, लेकिन जमुई जिले (Jamui District) के कई स्कूल इस तरह के हैं, जहां शिक्षकों के अभाव के कारण शिक्षा व्यवस्था चौपट है. इसी तरह का एक स्कूल है जिले के खैरा प्रखंड के धरमपुर गांव में, जो मध्य विद्यालय से उच्च विद्यालय (High School) हो गया, लेकिन पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की तैनाती नहीं हुई. हैरानी की बात ये है कि हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान के विषयों के लिए छात्रों को ट्यूशन लेनी पड़ती है.
करीब 150 विद्यार्थियों पर हैं सिर्फ दो शिक्षक
उच्च विद्यालय धरमपुर में 9वीं और 10वीं की पढ़ाई होती है, लेकिन इस स्कूल में मात्र दो ही शिक्षक तैनात हैं. जबकि इस विद्यालय में लगभग 150 विद्यार्थी नामांकित हैं. यही नहीं, लाखों रुपए खर्च कर स्कूल का भवन बन गया, लेकिन शिक्षकों की तैनाती नहीं हुई. इसी वजह से यहां कई विषयों के शिक्षक नहीं है, लिहाजा छात्रों को काफी परेशानी होती है.
स्मार्ट क्लास तो बनी, लेकिन...मुक्त शिक्षा देने के सरकारी दावे की सच्चाई यह है कि इस स्कूल का प्रयोगशाला का ताला खुला ही नहीं है. स्मार्ट क्लास तो स्थापित हो गई, लेकिन शिक्षक के अभाव में उसका भी ताला नहीं खुलता. शिक्षकों के अभाव की स्थिति में अधिकांश क्लास रूम खाली रहते हैं. जबकि भवन की स्थिति भी खराब हो रही है. बीते दिनों आंधी में स्कूल की छत रखी पानी की टंकी नीचे गिरी थी वह अभी तक नहीं लग सकी है. इस वजह से स्कूल के शौचालय में पानी की सुविधा नहीं और इससे लड़कियों को खास परेशानी हो रही है.
6 विषयों के नहीं शिक्षक
इस स्कूल मे पढ़ने वाले छात्रों को पढ़ाने के लिए हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान के शिक्षक नहीं है. जबकि दो ही शिक्षक होने की स्थिति में एक शिक्षक अगर 9वीं के छात्र को पढ़ाता है तो दूसरा शिक्षक 10वीं के छात्रों को. अगर एक शिक्षक अवकाश पर रहता है तो परेशानी और भी बढ़ जाती है. यकीनन शिक्षकों की पर्याप्त संख्या नहीं रहने से शिक्षक और छात्रों को परेशानी उठानी पड़ती है.छात्रों ने कही ये बात
स्कूल की नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली मिली कुमारी नाम की छात्रा का कहना है कि हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, जीव विज्ञान और रसायन विषय को समझने के लिए ट्यूशन लेनी पड़ती है. अगर इन सभी विषयों के शिक्षक स्कूल में आ जाते हैं तो पढ़ाई में काफी सहूलियत होती. जबकि छात्रा जूली कुमारी और प्रिया का कहना है कि वे लोग गरीब परिवार से आते हैं. ट्यूशन करने में पैसे खर्च हो जाते हैं. अगर स्कूल में शिक्षक रहते हैं तो उन्हें मुफ्त में विषयों को समझने में आसानी होती. साथ ही स्कूल की प्रयोगशाला भी खुल जाती.
शिक्षिका ने बताई अपनी परेशानी
स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका शोभा कुमारी का कहना है कि स्कूल में मात्र 2 शिक्षक हैं. अगर एक शिक्षक छुट्टी पर जाता है तो परेशानी बढ़ जाती है. यही नहीं, अगर इमरजेंसी में दूसरे शिक्षक को भी जाना पड़े तो स्कूल को बंद करना पड़ेगा. इस स्कूल में सभी विषयों के शिक्षक आ जाते हैं तो उन लोगों को भी पढ़ाने में सहूलियत होती. फिलहाल बारी बारी से दोनों शिक्षक नौवीं और दसवीं के छात्रों को पढ़ाते हैं.
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने दिया ये आश्वासन
इस मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी विजय कुमार हिमांशु का कहना है कि शिक्षक नियोजन का काम चल रहा है. अगर शिक्षकों की नियुक्ति हो जाती है तो वहां शिक्षकों की तैनाती की जाएगी.
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करीब 150 विद्यार्थियों पर हैं सिर्फ दो शिक्षक
उच्च विद्यालय धरमपुर में 9वीं और 10वीं की पढ़ाई होती है, लेकिन इस स्कूल में मात्र दो ही शिक्षक तैनात हैं. जबकि इस विद्यालय में लगभग 150 विद्यार्थी नामांकित हैं. यही नहीं, लाखों रुपए खर्च कर स्कूल का भवन बन गया, लेकिन शिक्षकों की तैनाती नहीं हुई. इसी वजह से यहां कई विषयों के शिक्षक नहीं है, लिहाजा छात्रों को काफी परेशानी होती है.
स्मार्ट क्लास तो बनी, लेकिन...मुक्त शिक्षा देने के सरकारी दावे की सच्चाई यह है कि इस स्कूल का प्रयोगशाला का ताला खुला ही नहीं है. स्मार्ट क्लास तो स्थापित हो गई, लेकिन शिक्षक के अभाव में उसका भी ताला नहीं खुलता. शिक्षकों के अभाव की स्थिति में अधिकांश क्लास रूम खाली रहते हैं. जबकि भवन की स्थिति भी खराब हो रही है. बीते दिनों आंधी में स्कूल की छत रखी पानी की टंकी नीचे गिरी थी वह अभी तक नहीं लग सकी है. इस वजह से स्कूल के शौचालय में पानी की सुविधा नहीं और इससे लड़कियों को खास परेशानी हो रही है.
6 विषयों के नहीं शिक्षक
इस स्कूल मे पढ़ने वाले छात्रों को पढ़ाने के लिए हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान के शिक्षक नहीं है. जबकि दो ही शिक्षक होने की स्थिति में एक शिक्षक अगर 9वीं के छात्र को पढ़ाता है तो दूसरा शिक्षक 10वीं के छात्रों को. अगर एक शिक्षक अवकाश पर रहता है तो परेशानी और भी बढ़ जाती है. यकीनन शिक्षकों की पर्याप्त संख्या नहीं रहने से शिक्षक और छात्रों को परेशानी उठानी पड़ती है.
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स्कूल की नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली मिली कुमारी नाम की छात्रा का कहना है कि हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, जीव विज्ञान और रसायन विषय को समझने के लिए ट्यूशन लेनी पड़ती है. अगर इन सभी विषयों के शिक्षक स्कूल में आ जाते हैं तो पढ़ाई में काफी सहूलियत होती. जबकि छात्रा जूली कुमारी और प्रिया का कहना है कि वे लोग गरीब परिवार से आते हैं. ट्यूशन करने में पैसे खर्च हो जाते हैं. अगर स्कूल में शिक्षक रहते हैं तो उन्हें मुफ्त में विषयों को समझने में आसानी होती. साथ ही स्कूल की प्रयोगशाला भी खुल जाती.
शिक्षिका ने बताई अपनी परेशानी
स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका शोभा कुमारी का कहना है कि स्कूल में मात्र 2 शिक्षक हैं. अगर एक शिक्षक छुट्टी पर जाता है तो परेशानी बढ़ जाती है. यही नहीं, अगर इमरजेंसी में दूसरे शिक्षक को भी जाना पड़े तो स्कूल को बंद करना पड़ेगा. इस स्कूल में सभी विषयों के शिक्षक आ जाते हैं तो उन लोगों को भी पढ़ाने में सहूलियत होती. फिलहाल बारी बारी से दोनों शिक्षक नौवीं और दसवीं के छात्रों को पढ़ाते हैं.
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने दिया ये आश्वासन
इस मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी विजय कुमार हिमांशु का कहना है कि शिक्षक नियोजन का काम चल रहा है. अगर शिक्षकों की नियुक्ति हो जाती है तो वहां शिक्षकों की तैनाती की जाएगी.
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First published: November 19, 2019, 5:37 PM IST
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