विजय माल्या (Vijay Mallya) लंदन में साल 2017 से केस चल रहा है. (फाइल फोटो)
लंदन. ब्रिटेन (Britain) की एक अदालत ने सोमवार को विजय माल्या (Vijay Mallya) को दिवालिया घोषित किए जाने का आदेश जारी किया. इससे भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अगुवाई में भारतीय बैंकों के समूह के लिये बंद पड़ी एयरलाइन किंगफिशर (Kingfisher) के ऊपर बकाये कर्ज की वसूली को लेकर वैóश्विक स्तर पर उनकी सम्पत्तियों की जब्ती की कार्रवाई कराने का रास्ता साफ हो गया है. लंदन के हाई कोर्ट के उच्चतम न्यायालय प्रभाग के मुख्य ऋण शोधन और दिवाला तथा कंपनी मामलों के न्यायालय (ICC) के जज माइकल ब्रिग्स ने मामले की ऑनलाइन सुनवाई के दौरान अपने फैसले में कहा, ‘‘… मैं डॉ माल्या को दिवालिया घोषित करता हूं.’’
जज ने बचाव पक्ष की दलीलों का संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘मुझे यह तय करना है कि क्या याचिकर्ताओं के कर्ज उपयुक्त समयावधि में लौटाने की संभावना है….इस बात के अपर्याप्त साक्ष्य हैं कि वह पूरा कर्ज उपयुक्त समयावधि में लौटाएंगे.’’ बचाव पक्ष के वकील ने दलील में कहा था कि माल्या की संपत्ति की कुर्की के लिए मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (PMLA) अदालत के आदेश के बाद भारत में इस दिशा में कदम उठाये जा रहे हैं. जज ब्रिग्स ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘….ऐसा कोई सबूत नहीं है कि डॉ माल्या आपराधिक मुकदमे से निपटने के लिए भारत लौट जाएंगे और वसूली के लिये संपत्ति को लेकर कार्रवाई हो रही है, उसके उचित मूल्य की मांग करेंगे.’
मनी लांड्रिंग के मामलों में वॉन्टेड है माल्या
कारोबारी 65 साल के माल्या भारत में धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग के मामलों में वॉन्टेड है. ऐसा समझा जाता है कि प्रत्यर्पण प्रक्रिया से जुड़े एक अलग मामले में देश में शरण देने के मुद्दे पर गोपनीय कानूनी कार्रवाई का समाधान होने तक वह जमानत पर रह सकता हैं.
सुनवाई के दौरान ब्रिग्स ने माल्या के वकील फिलीप मार्शल से पूछा कि क्या ऐसा कोई संकेत है कि उनका मुवक्किल आपराधिक कार्रवाई का सामना करने और उससे निपटने को लेकर भारत लौटने को इच्छुक है. इस पर अदालत में कहा गया कि ऐसा कोई संकेत नहीं है. विधि कंपनी टीएलटी एलएलपी और अधिवक्ता मार्सिया शेकरडेमियन ने भारतीय बैंकों का प्रतिनिधित्व किया और भारतीय बैंकों के पक्ष में दिवालियापन के आदेश को लेकर अपने तर्क रखे. माल्या के ऊपर भारतीय बैंकों के समूह का एक अरब पौंड से ज्यादा बकाया है.
ब्रिटेन में क्या है दिवालियापन के आदेश के बाद की प्रक्रिया?
एक बार जब ब्रिटेन में दिवालियापन का आदेश दिया जाता है, तो दिवालिया इकाई की सभी संपत्तियां दिवालियापन से संबद्ध एक न्यास के अंतर्गत स्वत: तरीके से आ जाता है. उसकी भूमिका उन मामलों की जांच करने और प्रासंगिक संपत्तियों को बेचने की दृष्टि से उनकी वास्तविक संपत्ति और देनदारियों को स्थापित करने की होती है. इसका मकसद संबंधित संपत्ति बेचकर कर्जदाताओं को वापस भुगतान करना होता है. ब्रिटेन के कानून के तहत, एक दिवालिया व्यक्ति को दिवालियापन में ट्रस्टी के साथ सहयोग करना जरूरी होता है.
आदेश के तुरंत बाद माल्या के वकील मार्शल ने मामले में स्थगन के साथ-साथ आदेश को स्थगित करने का आग्रह किया. हालांकि, जज ने आग्रह ठुकरा दिया. उन्होंने दिवालियापन के आदेश के खिलाफ अपील करने की अनुमति मांगने वाला एक आवेदन भी रखा, जिसे जज ब्रिग्स ने अस्वीकार कर दिया. कर्ज वसूली से जुड़े मामले में तेरह बैंकों के समूह याचिकाकर्ता हैं. याचिकाकर्ता एक अरब ब्रिटिश पौंड के कर्ज के संदर्भ में दिवालिया आदेश के क्रियान्वयन को लेकर कानूनी कदम उठा रहे हैं. माल्या के वकीलों की टीम ने तर्क दिया कि कर्ज विवादित बना हुआ है और भारत में चल रही कार्यवाही ब्रिटेन में दिवालियापन के आदेश को निषेध करता है.
इसी साल जून में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा था कि पीएनबी घोटाले और भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े धोखाधड़ी मामलों में बैंकों की करीब 40 फीसदी रकम की वसूली PMLA के तहत जब्त किए गए शेयरों की बिक्री से हुई है. ईडी ने कहा कि माल्या को उधार देने वाले गठजोड़ की ओर से ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT) ने यूनाइटेड ब्रेवरीज लिमिटेड (यूबीएल) के 5,800 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेचे गए, जिन्हें एजेंसी ने पीएमएलए प्रावधानों के तहत जब्त किया था. (भाषा इनपुट के साथ)
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Tags: India, London, Vijay mallya case
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