कोरोनाः एम्स डायरेक्टर बोले- तेजी से बीमार करता है ब्रिटेन में मिला नया स्ट्रेन

एम्स डायरेक्टर ने कहा कि वैक्सीन को ब्रिटेन में मंजूरी मिलना भारत के लिहाज से एक बड़ा कदम है. ANI
एम्स डायरेक्टर (AIIMS Director Dr Randeep Guleria) ने कहा कि ब्रिटेन में मिला कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन (New Strain of Coronavirus), अगर भारत में प्रवेश कर चुका है, तब भी संक्रमण और मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने पर कुछ खास प्रभाव नहीं डाल पाया है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 31, 2020, 7:47 PM IST
नई दिल्ली. ब्रिटेन में मिले कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए स्ट्रेन एम्स दिल्ली के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया (Dr Randeep Guleria) ने कहा कि अलग-अलग जगहों पर वायरस में बदलाव और म्यूटेशन देखने को मिला है. ब्रिटेन में मिला स्ट्रेन चिंतित करने वाला है, क्योंकि ये लोगों को तेजी से बीमार करता है. ज्यादा संक्रमण फैलाता है. केंद्र सरकार ने ब्रिटेन से आने वाली उड़ानों को लेकर उचित कदम उठाए हैं. साथ ही कंसोर्टियम बनाया गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि ब्रिटेन में मिला स्ट्रेन भारत पहुंचा है या नहीं. बता दें कि कम से आधा दर्जन मामले भारत में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के मिले हैं.
एम्स के डायरेक्टर ने कहा, "अगर ब्रिटेन में मिले स्ट्रेन के चलते कोरोना वायरस (Coronavirus) मरीजों की संख्या बढ़ती है तो हम अपने हिसाब से फैसले लेने में सक्षम होंगे. वायरस संक्रमण के मामले में भारत की स्थिति अब बेहतर है. प्रतिदिन के हिसाब से संक्रमण के मामले कम हुए हैं. रिकवरी रेट ज्यादा है और मृत्यु दर भी कम है." उन्होंने कहा कि ये बता पाना बेहद मुश्किल होगा कि भारत में दिसंबर में रिपोर्ट किए जाने से पहले ब्रिटेन में मिला स्ट्रेन वहां मौजूद था या नहीं. हालांकि इसकी आशंका है, क्योंकि यह सितंबर के आखिर में पहली बार रिपोर्ट किया गया था और ब्रिटेन में नए स्ट्रेन से संक्रमित लोग भी पाए गए थे.
गुलेरिया ने आशंका जताई कि भारत में ब्रिटेन में मिला स्ट्रेन नवंबर के अंत और दिसंबर की शुरुआत प्रवेश कर चुका हो. उन्होंने कहा कि अगर महामारी के हिसाब से देखें तो 4 से 6 हफ्तों के दौरान भारत में संक्रमण के मामलों में कुछ खास इजाफा देखने को नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में मिला कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन, अगर भारत में प्रवेश कर चुका है, तब भी संक्रमण और मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने पर कुछ खास प्रभाव नहीं डाल पाया है. लेकिन, हमें ज्यादा सतर्क रहना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि यह देश में व्यापक पैमाने पर ना फैले.एम्स के डायरेक्टर ने कहा कि ये बड़ी अच्छी खबर है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (Astrazeneca Vaccine) को ब्रिटेन की नियामक संस्था की ओर से अप्रूवल मिल गया है. उनके पास पर्याप्त डाटा मौजूद है. भारत में, उसी वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) विकसित कर रहा है. वैक्सीन को ब्रिटेन में मंजूरी मिलना भारत के लिहाज से एक बड़ा कदम है और दुनिया के लिए भी अच्छी खबर है.

टीकाकरण कार्यक्रम पर उन्होंने कहा कि हमारे पास एक वृहद प्लान है. देश में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को यूनिवर्सल इम्युनाइजेशन प्रोग्राम के तहत टीका लगाया जाता है. इसी प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए हम 2 से 8 डिग्री सेंटीग्रेड पर वैक्सीन स्टोर कर सकते हैं, जिसके जरिए हमें पूरे देश में टीकाकरण कार्यक्रम चलाने में आसानी होगी.
एम्स के डायरेक्टर ने कहा, "अगर ब्रिटेन में मिले स्ट्रेन के चलते कोरोना वायरस (Coronavirus) मरीजों की संख्या बढ़ती है तो हम अपने हिसाब से फैसले लेने में सक्षम होंगे. वायरस संक्रमण के मामले में भारत की स्थिति अब बेहतर है. प्रतिदिन के हिसाब से संक्रमण के मामले कम हुए हैं. रिकवरी रेट ज्यादा है और मृत्यु दर भी कम है." उन्होंने कहा कि ये बता पाना बेहद मुश्किल होगा कि भारत में दिसंबर में रिपोर्ट किए जाने से पहले ब्रिटेन में मिला स्ट्रेन वहां मौजूद था या नहीं. हालांकि इसकी आशंका है, क्योंकि यह सितंबर के आखिर में पहली बार रिपोर्ट किया गया था और ब्रिटेन में नए स्ट्रेन से संक्रमित लोग भी पाए गए थे.
गुलेरिया ने आशंका जताई कि भारत में ब्रिटेन में मिला स्ट्रेन नवंबर के अंत और दिसंबर की शुरुआत प्रवेश कर चुका हो. उन्होंने कहा कि अगर महामारी के हिसाब से देखें तो 4 से 6 हफ्तों के दौरान भारत में संक्रमण के मामलों में कुछ खास इजाफा देखने को नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में मिला कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन, अगर भारत में प्रवेश कर चुका है, तब भी संक्रमण और मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने पर कुछ खास प्रभाव नहीं डाल पाया है. लेकिन, हमें ज्यादा सतर्क रहना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि यह देश में व्यापक पैमाने पर ना फैले.एम्स के डायरेक्टर ने कहा कि ये बड़ी अच्छी खबर है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (Astrazeneca Vaccine) को ब्रिटेन की नियामक संस्था की ओर से अप्रूवल मिल गया है. उनके पास पर्याप्त डाटा मौजूद है. भारत में, उसी वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) विकसित कर रहा है. वैक्सीन को ब्रिटेन में मंजूरी मिलना भारत के लिहाज से एक बड़ा कदम है और दुनिया के लिए भी अच्छी खबर है.
टीकाकरण कार्यक्रम पर उन्होंने कहा कि हमारे पास एक वृहद प्लान है. देश में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को यूनिवर्सल इम्युनाइजेशन प्रोग्राम के तहत टीका लगाया जाता है. इसी प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए हम 2 से 8 डिग्री सेंटीग्रेड पर वैक्सीन स्टोर कर सकते हैं, जिसके जरिए हमें पूरे देश में टीकाकरण कार्यक्रम चलाने में आसानी होगी.