अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि बतौर यूएनजीए अध्यक्ष उनकी प्राथमिकता वैक्सीन इक्विटी है. (File Photo)
(माहा सिद्दिकी)
नई दिल्ली. 2019 में चीन के वुहान (Wuhan) से शुरू होकर पूरी दुनिया में फैली कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) की जब एक बार फिर से जांच की मांग उठ रही है तो ऐसे में अब सवाल भी खड़ा हो जाता है कि क्या चीन इसमें सहयोग करेगा? ये पूछे जाने पर कि क्या संयुक्त राष्ट्र चीन के अधिक पारदर्शी होने के लिए दबाव बना पाएगा, यूएनजीए (UNGA) के निर्वाचित अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि, इस सवाल का जवाब जनरल एसेंबली के सदस्यों द्वारा दिया जाएगा.
शाहिद ने कहा कि उन्होंने कहा कि महासभा के अध्यक्ष को आचार संहिता का पालन करना होता है, जिसमें मुख्य है निष्पक्ष रहना. उन्होंने कहा, “यह सदस्यों पर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वे इस मुद्दे पर कैसे आगे बढ़ना चाहते हैं.” हाल ही में जी7 देशों ने इस मुद्दे को लेकर चीन पर निशाना साधा है. कोरोना वायरस की उत्पत्ति के संबंध में जी7 समूह शुरुआत से जांच करवाना चाहता है.
G7 विज्ञप्ति में कहा गया है, “हम चीन में विशेषज्ञों की रिपोर्ट की सिफारिश के अनुसार, समय पर, पारदर्शी, विशेषज्ञों के नेतृत्व वाली और विज्ञान-आधारित WHO द्वारा बुलाए गए दूसरे चरण में COVID-19 की उत्पत्ति का भी आह्वान करते हैं.”
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जो बाइडन ने दिए हैं जल्द रिपोर्ट पेश करने के निर्देश
जी7 सम्मेलन के लिए यूके के लिए निकलने से ठीक पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपनी इंटेलिजेंस कम्युनिटी से वायरस के लीक होने की आशंका को लेकर 90 दिन में रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा. इसके बाद इंटेलिजेंस रिपोर्ट में कहा गया कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में नवंबर 2019 में तीन रिसर्चर्स बीमार हो गए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी थी.
इस नई जांच को लेकर उठ रही मांग ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से की गई प्रारंभिक पड़ताल पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं.
महामारी से निपटने और वायरस के इंसानों से इंसानों में फैलने को लेकर देरी से चेतावनी जारी करने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की काफी आलोचना हुई है. यह पूछे जाने पर कि क्या संयुक्त राष्ट्र और डब्ल्यूएचओ जैसे बहुपक्षीय संगठन सदी में एक बार होने वाले संकट को कम करने के टेस्ट में फेल रहे हैं, उन्होंने कहा कि यह कहना “अनुचित” होगा कि बहुपक्षीय प्रणाली विफल हो गई है, लेकिन उन्होंने कहा कि इसमें ‘कमियां’ थीं.
अफ्रीकन देशों में टीकाकरण की हालत बेहद खराब
अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि बतौर यूएनजीए अध्यक्ष उनकी प्राथमिकता वैक्सीन इक्विटी है. उन्होंने कहा कि उनकी अफ्रीका के राजनयिकों से बात हुई है और उन्हें जानकारी मिली है कि इन देशों में 500 में से 1 व्यक्ति का ही अब तक टीकाकरण हुआ है, जबकि अमीर देशों में अब तक 5 में से 1 व्यक्ति का टीकाकरण किया जा चुका है.
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भारत ने पिछले सप्ताह हुए चुनावों में शाहिद का समर्थन किया था जिसमें उन्होंने तीन चौथाई बहुमत से जीत दर्ज की थी. इसके बावजूद अफगान विदेश मंत्री ज़ल्माई रसूल ने मैदान में प्रवेश किया. सूत्रों ने बताया कि जबकि दोनों उम्मीदवार भारत के दोस्त थे. हालांकि, देश ने पहले ही मालदीव को ऐसे समय में अपना समर्थन देने का वादा किया था जब कोई अन्य उम्मीदवार मैदान में नहीं था.
मालदीव ने दिसंबर 2018 में एफएम शाहिद की उम्मीदवारी की घोषणा की थी. जनवरी 2021 के मध्य में, आश्चर्यजनक तौर पर चुनावों से पहले 6 महीने से भी कम समय के साथ, अफगान विदेश मंत्री ज़ल्माई रसूल ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी.
इसके अलावा, चूंकि मालदीव ने पहले कभी महासभा के अध्यक्ष का पद नहीं संभाला था, और अफगानिस्तान ने 1966-67 में 21वें महासभा सत्र के दौरान इस पद पर कार्य किया था, भारत ने शाहिद को वोट देने का विकल्प चुना.
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