Night Curfew: कोरोना को रोकने में कितना मददगार है नाइट कर्फ्यू? जानिए विशेषज्ञों की राय

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्ष वर्धन को भी नाइट कर्फ्यू में कोई फायदा नजर नहीं आता है. (फाइल फोटो: Shutterstock)
Coronavirus in India: सवाल उठता है कि क्या वाकई नाइट कर्फ्यू (Night Curfew) कोरोना वायरस संक्रमण रोकने में कारगर हैं? इस सवाल पर जानकारों की अलग-अलग राय है...
- News18Hindi
- Last Updated: April 7, 2021, 4:15 PM IST
(राजीव कुमार)
नई दिल्ली. देश एक बार फिर कोरोना वायरस (Coronavirus) की जद में है. कयास लगाए जाने लगे हैं कि राज्य सरकारें लॉकडाउन (Lockdown) लगा सकती हैं. फिलहाल कई प्रमुख जगहों पर सरकार और प्रशासन ने नाइट कर्फ्यू या वीकेंड लॉकडाउन लगाने का फैसला लिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई नाइट कर्फ्यू कोरोना वायरस संक्रमण रोकने में कारगर हैं? इस सवाल पर जानकारों की अलग-अलग राय है. हाल ही में राजधानी दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की सरकार ने नाइट कर्फ्यू की घोषणा की है.
पहले आंकड़ों को देखते हैं
17 मई 2020 को केंद्र ने शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक 12 घंटे का नाइट कर्फ्यू लगाया था. फिर इसे रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक कर दिया गया. बीते साल अनलॉक 3.0 के दौरान इसे पूरी तरह से हटा लिया गया. हालांकि, इस दौरान देश में कोरोना वायरस के मामले 16 गुना बढ़े हैं. 17 मई को मरीजों का आंकड़ा 95 हजार 698 था , जो 31 जुलाई 2020 को 16.3 लाख पर पहुंच गया था.
अब एक्सपर्ट्स से जानते हैं
डॉक्टर संजीव बागई ने इसे अवैज्ञानिक बताया. उन्होंने इसे घाव पर एक बैंडेज लगाने के समान बताया. इनके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को भी नाइट कर्फ्यू में कोई फायदा नजर नहीं आता है. वहीं, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी को इसमें कुछ फायदा नजर आता है. वे कहते हैं 'रात के कर्फ्यू को कुछ व्यावहारिक और कुछ सैद्धांतिक आधारों पर सही ठहराया जा सकता है.' वे कहते हैं कि ऐसे कर्फ्यू की मदद से 'इंडोर पार्टी, समारोह, जश्न और रेस्टोरेंट में खाने से बचा जा सकता है. ये सुपरस्प्रेडर बन सकते हैं.'
शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक कर्फ्यू को लेकर रेड्डी कहते हैं '6 से 10 बजे का कर्फ्यू काम करने वाले परिवारों की काम से लौटने के दौरान खरीदारी को प्रभावित करेगा और इससे देर रात होने वाले जश्न, मीटिंग और पार्टियों पर लगाम नहीं लगेगी.' वे कहते हैं 'रात में अंदर भीड़ के मुकाबले दिन के समय में भीड़ लगाने में जोखिम कम है. दोनों तरह की भीड़ से बचना चाहिए. सभी मामलों में मास्क पहनना जरूरी होना चाहिए.'
यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र सरकार का केंद्र को संदेश- कई जिलों में कल तक खत्म हो जाएगा वैक्सीन स्टॉक, लोगों को सेंटर से वापस भेजा
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रैडर्स यानि CAIT के संस्थापक और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल कहते हैं 'मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि दिल्ली में नाइट कर्फ्यू आखिर किस तरह से कोरोना वायरस रोकेगा.' उन्होंने कहा कि ना महाराष्ट्र और ना ही केजरीवाल सरकार ने फैसला लेने से पहले हमारे साथ चर्चा की. मंगलवार को CAIT ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि कर्फ्यू के संबंध में कोई भी फैसला लेने से पहले एसोसिएशन से चर्चा की जाए.

पत्र में लॉकडाउन से पड़ने वाले किसी भी आर्थिक प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किए जाने की अपील की है. साथ ही वायरस की रोकथाम के लिए अन्य उपाय खोजे जाने की बात कही है. नाइट कर्फ्यू के चलते अकेले महाराष्ट्र में ही CAIT के प्रतिमाह 1 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. जानकारों का मनना है कि सरकार दुविधा में पड़ गई है. कोविड मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में इकोनॉमी को बंद कर देना बहुत भयानक उपाय है, खासतौर से तब जब आर्थिक हालात पटरी पर आ रहे हैं. वहीं, लोगों की जान बचाना भी उतना ही जरूरी है.
नई दिल्ली. देश एक बार फिर कोरोना वायरस (Coronavirus) की जद में है. कयास लगाए जाने लगे हैं कि राज्य सरकारें लॉकडाउन (Lockdown) लगा सकती हैं. फिलहाल कई प्रमुख जगहों पर सरकार और प्रशासन ने नाइट कर्फ्यू या वीकेंड लॉकडाउन लगाने का फैसला लिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई नाइट कर्फ्यू कोरोना वायरस संक्रमण रोकने में कारगर हैं? इस सवाल पर जानकारों की अलग-अलग राय है. हाल ही में राजधानी दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की सरकार ने नाइट कर्फ्यू की घोषणा की है.
पहले आंकड़ों को देखते हैं
17 मई 2020 को केंद्र ने शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक 12 घंटे का नाइट कर्फ्यू लगाया था. फिर इसे रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक कर दिया गया. बीते साल अनलॉक 3.0 के दौरान इसे पूरी तरह से हटा लिया गया. हालांकि, इस दौरान देश में कोरोना वायरस के मामले 16 गुना बढ़े हैं. 17 मई को मरीजों का आंकड़ा 95 हजार 698 था , जो 31 जुलाई 2020 को 16.3 लाख पर पहुंच गया था.

डॉक्टर संजीव बागई ने इसे अवैज्ञानिक बताया. उन्होंने इसे घाव पर एक बैंडेज लगाने के समान बताया. इनके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को भी नाइट कर्फ्यू में कोई फायदा नजर नहीं आता है. वहीं, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी को इसमें कुछ फायदा नजर आता है. वे कहते हैं 'रात के कर्फ्यू को कुछ व्यावहारिक और कुछ सैद्धांतिक आधारों पर सही ठहराया जा सकता है.' वे कहते हैं कि ऐसे कर्फ्यू की मदद से 'इंडोर पार्टी, समारोह, जश्न और रेस्टोरेंट में खाने से बचा जा सकता है. ये सुपरस्प्रेडर बन सकते हैं.'
शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक कर्फ्यू को लेकर रेड्डी कहते हैं '6 से 10 बजे का कर्फ्यू काम करने वाले परिवारों की काम से लौटने के दौरान खरीदारी को प्रभावित करेगा और इससे देर रात होने वाले जश्न, मीटिंग और पार्टियों पर लगाम नहीं लगेगी.' वे कहते हैं 'रात में अंदर भीड़ के मुकाबले दिन के समय में भीड़ लगाने में जोखिम कम है. दोनों तरह की भीड़ से बचना चाहिए. सभी मामलों में मास्क पहनना जरूरी होना चाहिए.'
यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र सरकार का केंद्र को संदेश- कई जिलों में कल तक खत्म हो जाएगा वैक्सीन स्टॉक, लोगों को सेंटर से वापस भेजा
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रैडर्स यानि CAIT के संस्थापक और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल कहते हैं 'मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि दिल्ली में नाइट कर्फ्यू आखिर किस तरह से कोरोना वायरस रोकेगा.' उन्होंने कहा कि ना महाराष्ट्र और ना ही केजरीवाल सरकार ने फैसला लेने से पहले हमारे साथ चर्चा की. मंगलवार को CAIT ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि कर्फ्यू के संबंध में कोई भी फैसला लेने से पहले एसोसिएशन से चर्चा की जाए.
पत्र में लॉकडाउन से पड़ने वाले किसी भी आर्थिक प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किए जाने की अपील की है. साथ ही वायरस की रोकथाम के लिए अन्य उपाय खोजे जाने की बात कही है. नाइट कर्फ्यू के चलते अकेले महाराष्ट्र में ही CAIT के प्रतिमाह 1 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. जानकारों का मनना है कि सरकार दुविधा में पड़ गई है. कोविड मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में इकोनॉमी को बंद कर देना बहुत भयानक उपाय है, खासतौर से तब जब आर्थिक हालात पटरी पर आ रहे हैं. वहीं, लोगों की जान बचाना भी उतना ही जरूरी है.