नई दिल्ली/ममता त्रिपाठी. स्वामी प्रसाद मौर्य की विधानसभा में पहुंचने की राह 2022 के विधानसभा चुनावों (UP Assembly Elections 2022) में आसान नहीं दिख रही है. मौर्य इस बार अपनी परंपरागत सीट पडरौना छोड़कर कुशीनगर जिले की ही फाजिलनगर सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि राजनीतिक पंडितों का ये मानना है कि मौर्य की सीट पर कांटे की लड़ाई है और अगर मुस्लिम मतों में बिखराव नहीं हुआ, तो स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव जीत सकते हैं.
स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने विधानसभा चुनावों के ठीक पहले पिछड़ों की उपेक्षा के नाम पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) से इस्तीफा देते हुए समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था, जिसके बाद भाजपा ने ‘मास्टर स्ट्रोक’ खेला और कुशीनगर के कद्दावर कांग्रेसी नेता आरपीएन सिंह भगवाधारी हो गए. आरपीएन के भाजपा ज्वॉइन करते ही कुछ दिनों बाद सपा ने मौर्य को उनकी परंपरागत पडरौना विधानसभा से नहीं, बल्कि बगल की फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया.
भाजपा ने इस बार अपने मौजूदा विधायक गंगा सिंह कुशवाहा के बेटे सुरेंद्र कुशवाहा (Surendra Kushwaha) पर दांव खेला हैं. पेशे से शिक्षक सुरेन्द्र युवा हैं और साफ सुथरी छवि के हैं. वहीं कांग्रेस (Congress) से मनोज कुमार सिंह और बहुजन समाज पार्टी ने सपा के बागी इलियास अंसारी को उम्मीदवार बनाया है जो स्वामी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. मौर्य को हराने के लिए बसपा और भाजपा दोनों ही पूरी ताकत झोंक रहें है. फाजिलनगर में स्वामी प्रसाद मौर्य को भीतरघात का सामना भी करना पड़ रहा है. आपको बता दें कि 2017 विधानसभा चुनाव के पहले ‘टिकट के लिए पैसे मांगने’ का आरोप लगाते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था.
फाजिलनगर में कोइरी बिरादरी की अच्छी संख्या
भाजपा के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि फाजिलनगर का चुनाव आरपीएन सिंह (RPN Singh) की नाक का सवाल बन गया है, हालांकि वह जिले की सभी सीटों पर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. आरपीएन सिंह ने 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे स्वामी प्रसाद मौर्य को हराया था. फाजिलनगर विधानसभा क्षेत्र के एसवीएम पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रदीप कुमार के अनुसार कोइरी बिरादरी की संख्या अच्छी खासी है इसी वजह से स्वामी प्रसाद ने ये सीट अपने लिए चुनी है, लेकिन मुस्लिम वोटर जिस तरफ जाएगा वही प्रत्याशी यहां से चुनाव जीत पाएगा. आपको बता दें कि भाजपा ने भी कोइरी बिरादरी का ही प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारा है.
2017 के चुनाव में भाजपा ने सपा उम्मीदवार को भारी अंतर से हराया था
आप किसे वोट देंगे यह पूछने पर युवा आसिफ अंसारी जिनका होटल का कारोबार है, कहते हैं कि जो नफ़रत की राजनीति नहीं करेगा, मुसलमान उसी को वोट देगा. फाजिलनगर विधानसभा क्षेत्र में करीब 90 हजार मुस्लिम मतदाता, 55 हजार मौर्य-कुशवाहा, 50 हजार यादव, 30 हजार ब्राह्मण, 40 हजार कुर्मी-सैंथवार, 30 हजार वैश्य और लगभग 80 हजार दलित मतदाता हैं. फाजिलनगर में 2017 के चुनाव में भाजपा के गंगा सिंह कुशवाहा ने कांग्रेस गठबंधन से सपा के विश्वनाथ सिंह को क़रीब 41 हजार मतों के भारी अंतर से हराया था. गंगा सिंह को 1,02778 मत मिले थे, जबकि सपा के विश्वनाथ को 60856, बसपा के जगदीश सिंह को 34250 और नोटा में 2811 मत मिले थे.
बसपा और भाजपा में भी रह चुके हैं स्वामी प्रसाद मौर्य
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी राजनीति की शुरुआत लोकदल से की थी. प्रतापगढ़ जिले के मूल निवासी 68 वर्षीय स्वामी प्रसाद मौर्य बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, विधानसभा में नेता विपक्ष और मायावती की सरकारों में मंत्री रह चुके हैं. वह दो बार रायबरेली की ऊंचाहार और तीन बार कुशीनगर की पडरौना सीट से विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. मौर्य पिछले विधानसभा चुनाव से पहले बसपा विधानमंडल दल का नेता पद छोड़कर भाजपा में और इस बार भी चुनाव से पहले मंत्री पद छोड़कर सपा में शामिल हो गये हैं.
आपको बता दें कि कोइरी जाति पश्चिमी यूपी के आगरा से लेकर कुशीनगर तक अच्छी संख्या में हैं. यूपी में स्वामी प्रसाद मौर्य कोइरी समाज के सबसे बड़े नेता के रुप में जाने जाते थे, मगर 2016 में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने और 2017 में उप-मुख्यमंत्री बनने के बाद केशव प्रसाद मौर्य कोइरी बिरादरी के सबसे बड़े नेता बन गए हैं.
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Tags: Assembly elections, BJP, BSP, Congress, Swami prasad maurya, Uttar Pradesh Elections
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