सीएम योगी ने जनसंख्या नीति जारी करते हुए कहा, 'समग्र विकास के लिए जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई जनसंख्या नीति का ऐलान कर दिया है. CM योगी ने रविवार को विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर यूपी में 2021-2030 तक की जनसंख्या नीति लागू किया. उन्होंने कहा कि आबादी विस्तार के लिए गरीबी और अशिक्षा बड़ा कारक है. कुछ समुदायों में भी जनसंख्या को लेकर जागरूकता का अभाव है. ऐसे में समुदाय केंद्रित जागरूकता के प्रयास की जरूरत है. इस घोषणा के बाद न्यूज18 इंडिया ने उत्तर प्रदेश की जनसंख्या और कुल प्रजनन दर का विश्लेषण किया.
आधिकारिक आंकड़ों के रिसर्च में पता चला कि पिछले कई वर्षों में पैदा होने वाले बच्चों की औसत संख्या कम हो गई है. यूपी में 17 वर्षों में प्रजनन दर घटी है. 1999 में उत्तर प्रदेश में प्रजनन दर 4.06 फीसदी थी जो 2016 में घटकर 2.7 फीसदी हो गई. जबकि इसी अवधि के दौरान भारत में केवल 0.7 की गिरावट आई है. उत्तर प्रदेश की नई जनसंख्या नीति के अनुसार, प्रस्तावित जन्म दर को प्रदेश में 2026 तक 2.1% तक लाने का लक्ष्य रखा गया है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार यूपी की जन्म दर अभी 2.7% है, जो राष्ट्रीय औसत से 2.2% से अधिक है. इसे 2030 तक 1.9% तक लाने का लक्ष्य है. इसके लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत गर्भ निरोधक उपायों की पहुंच बढ़ाने और स्वास्थ्य सुविधा बेहतर करने पर जोर रहेगा.
सीएनएन-न्यूज18 द्वारा किए गए विश्लेषण में एनएफएचएस के आंकड़ों से पता चलता है कि 2006 और 2016 के बीच, राज्य की कुल प्रजनन दर में प्रति महिला 1.1 बच्चों की गिरावट आई थी.
किस साल में कितनी प्रजनन दर?
2005-06 में राज्य की कुल प्रजनन दर 3.8 थी. शहरी क्षेत्रों में यह 2.95 थी, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 4.13 थी. 1998-99 में, यूपी की कुल प्रजनन दर 4.06 थी. राज्य के शहरी हिस्सों में टीएफआर 2.91 था जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 4.39 था. भारत में अब तक NFHS के चार दौर (1992–93, 1998–99, 2005–06, 2015-16) पूरे हो चुके हैं जबकि पांचवां दौर (2019-20) अभी भी चल रहा है.
गर्भनिरोधक का इस्तेमाल बढ़ा
उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ सालों में गर्भनिरोधक ता इस्तेमाल बढ़ा है. 2016 में गर्भनिरोधक का प्रयोग 46 प्रतिशत था. यानि की 1999 के मुकाबले यह 1.5 गुणा अधिक है. 1999 में गर्भनिरोधक का इस्तेमाल सिर्फ 27 प्रतिशत था.
उत्तर प्रदेश दो-संतान नीति प्रस्ताव में क्या हैं प्रावधान?
उत्तर प्रदेश का विधि आयोग एक ऐसा ही प्रस्ताव लेकर आया है, जिसके तहत दो से अधिक बच्चों वाले किसी भी व्यक्ति को सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने से रोक दिया जाएगा. प्रस्ताव में वे सभी नियम हैं जो असम सरकार के पास पहले से मौजूद है - जैसे, दो से अधिक बच्चों वाला व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकता है या स्थानीय निकाय चुनाव नहीं लड़ सकता है.
नए मसौदे कानून के मुताबिक, "व्यक्तिगत कानून ए को बहुविवाह की अनुमति देता है. ए की तीन पत्नियां बी, सी और डी हैं. जहां तक बी, सी और डी की स्थिति है ए और बी, ए और सी, एवं ए और डी को तीन अलग-अलग विवाहित जोड़ों के रूप में गिना जाएगा. लेकिन जहां तक ए की स्थिति का संबंध है, इसे बच्चों की संख्या की गणना के उद्देश्य से एक विवाहित जोड़े के रूप में गिना जाएगा."
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Tags: Government of Uttar Pradesh, Uttar pradesh cm, Uttar Pradesh Government
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