CAA बनता जा रहा वक्फ बिल...सुप्रीम कोर्ट में धड़ाधड़ लग रही याचिकाएं, नागरिकता कानून का हाल तो पूछिए मत
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Agency:एजेंसियां
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Waqf Amendment Bill 2025: संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पर बहस के बाद पास हुआ और राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और अन्य ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. विधेयक को असंवैधानिक बताया गया.
वक्फ संसोधन विधेयक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लग चुकी हैं. (फाइल फोटो)नई दिल्ली: संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पर तीखी बहस हुई. लेकिन दोनों सदनों में तीखी बहस के बाद भी यह पास हो गया. इस विधेयक को शनिवार देर शाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई. अब सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाओं के साथ वक्फ संसोधन विधेयक के खिलाफ एक कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है. अब सवाल उठता है कि क्या वक्फ बिल नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 बनता जा रहा है. क्योंकि CAA के खिलाफ कोर्ट में कुल 220 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं.
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने वक्फ बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की. इसके ठीक एक दिन बाद आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान और एनजीओ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने भी याचिकाएं दायर कीं. उन्होंने कहा कि यह विधेयक असंवैधानिक है और कई प्रावधानों का उल्लंघन करता है.
कर्नाटक में वक्फ बिल के खिलाफ प्रदर्शन. (फोटो PTI)
वक्फ की याचिकाओं में क्या-क्या आरोप?
दोनों याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि वक्फ विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30 और 300ए के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. कुछ विपक्षी दल और नेता सुप्रीम कोर्ट में इस कानून के खिलाफ जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि विधेयक ने मुसलमानों की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वायत्तता को कम किया, मनमानी कार्यकारी हस्तक्षेप की अनुमति दी, और उनके धार्मिक और धर्मार्थ संस्थानों के प्रबंधन के अधिकारों को कमजोर किया.
दोनों याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि वक्फ विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30 और 300ए के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. कुछ विपक्षी दल और नेता सुप्रीम कोर्ट में इस कानून के खिलाफ जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि विधेयक ने मुसलमानों की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वायत्तता को कम किया, मनमानी कार्यकारी हस्तक्षेप की अनुमति दी, और उनके धार्मिक और धर्मार्थ संस्थानों के प्रबंधन के अधिकारों को कमजोर किया.
वक्फ बिल के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन हुआ. (फोटो PTI)
एडवोकेट अदील अहमद की याचिका में वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति पर सवाल उठाया गया. उन्होंने कहा कि कानून में किसी भी वर्गीकरण का तार्किक संबंध होना चाहिए. लेकिन यह संशोधन मनमाने ढंग से मुस्लिम अल्पसंख्यकों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करता है. गैर-मुस्लिम धार्मिक संस्थानों पर इसी तरह के प्रतिबंध नहीं हैं. इससे यह संशोधन निष्पक्षता की कसौटी पर खरा नहीं उतरता.
याचिका में कहा गया कि गैर-मुस्लिम धार्मिक संस्थान अपने धार्मिक मामलों में मुस्लिम भागीदारी को रोकते हैं, जो इस संशोधन के भेदभावपूर्ण प्रभाव को दिखाता है. NGO ने सच्चर समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति कमजोर है और सार्वजनिक संस्थानों में उनका प्रतिनिधित्व कम है.
मुंबई में वक्फ बिल के खिलाफ प्रदर्शन. (फोटो PTI)
CAA के विरोध में लगाई गई याचिकाओं में क्या?
मार्च 2024 तक, नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 200 से अधिक याचिकाएं दायर की गई थीं. इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग (IUML) ने CAA के लागू होने पर रोक लगाने की मांग करते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की थी. असदुद्दीन ओवैसी ने भी CAA के प्रावधानों के लागू पर रोक लगाने की मांग की है.
मार्च 2024 तक, नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 200 से अधिक याचिकाएं दायर की गई थीं. इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग (IUML) ने CAA के लागू होने पर रोक लगाने की मांग करते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की थी. असदुद्दीन ओवैसी ने भी CAA के प्रावधानों के लागू पर रोक लगाने की मांग की है.
याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क यह है कि CAA धर्म के आधार पर भेदभाव करता है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 15 (धर्म, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध) का उल्लंघन है. उनका कहना है कि यह कानून कुछ धार्मिक समुदायों को नागरिकता प्रदान करता है जबकि अन्य को बाहर रखता है. उनका तर्क है कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के शिकार लोगों को ही शामिल करना मनमाना है. जबकि अन्य पड़ोसी देशों के उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों को बाहर रखा गया है.
याचिकाकर्ताओं का मानना है कि यह कानून संविधान की मूल भावना और मूल्यों का उल्लंघन करता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक इन याचिकाओं पर कोई अंतिम फैसला नहीं सुनाया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और मामले की सुनवाई जारी है.
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Sumit Kumar
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism from Atal Bihari Vajpayee Hindi U...और पढ़ें
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