चीन को चेतावनी: भारत ने समुद्र में बढ़ाई ताकत, नौसेना प्रमुख ने कहा- चुनौतियों से निपटने को तैयार हैं

नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह. (फोटो: ANI/Twitter)
हाल ही में भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने लद्दाख में मौजूद पैंगॉन्ग झील (Pengong Lake) इलाके में मार्कोस (MARCOS) तैनात करने का फैसला किया था. इस तैनाती का मकसद तीनों सेनाओं के बीच एकता को बढ़ाना और खराब मौसम के लिए तैयार करना था.
- News18Hindi
- Last Updated: December 3, 2020, 10:16 PM IST
नई दिल्ली. सीमा पर जारी भारत और चीन (India-China Conflict) की बीच तनाव खत्म नहीं हुआ है. इसी बीच नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह (Admiral Karambir Singh) ने चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की बात कही है. एक कार्यक्रम के दौरान करमबीर सिंह ने सेना की कई योजनाओं और सीमा पर जारी स्थिति पर बात की. खास बात है कि कुछ दिनों पहले आई अमेरिकी आयोग (American Commission) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि गलवान (Galwan) में हुई सेना के बीच झड़प में चीन का हाथ था. इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे.
नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा, 'हमारे सामने कोविड-19 और चीन के LAC बदलने के प्रयासों की दोहरी चुनौती है. नौसेना इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है.' उन्होंने कहा, 'अगर चीन की तरफ से कोई उल्लंघन होता है, तो हमारे पास हालात से निपटने के लिए एसओपी तैयार है.' इसके अलावा सिंह ने सीमा पर जारी तनाव के बीच तैयारियों को लेकर भी चर्चा की.
चीन ने हिंद महासागर में छोड़ रखे हैं तीन युद्धपोत
नौसेना ने प्रमुख ने जानकारी दी, 'सेना (Indian Army) और वायुसेना (Indian Airforce) की जरूरतों के अनुसार, हमने कई स्थानों पर P-8I एयरक्राफ्ट तैनात कर दिए हैं. इसके अलावा हमने उत्तरी सीमा के क्षेत्रों में हेरॉन सर्विलांस ड्रोन भी छोड़े हैं.' उन्होंने बताया कि अब तक हिंद महासागर में चीन के तीन युद्धपोत हैं. उन्होंने कहा, 'चीन ने साल 2008 के बाद से ही एंटी-पाइरेसी पेट्रोल्स के लिए तीन जहाज बरकरार रखे हैं.'
ड्रोन को लेकर तैयार है नौसेना
करमबीर सिंह ने कहा, 'भारतीय नौसेना ड्रोन्स से हमलों का सामना करने के लिए एंटी ड्रोन उपकरण के तौर पर स्मैश-2000 राइफल खरीद रही है.' उन्होंने कहा, 'हम इस बात पर एकदम स्पष्ट हैं कि समुद्र में हवाई ताकत की जरूरत है. अगर आप ऐसे राष्ट्र हैं, जो 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना चाहता है और तटों पर सीमित नहीं रहना चाहता.' नौसेना प्रमुख ने कहा, 'हवाई जहाज वाहक काफी जरूरी हैं.'
उन्होंने तीन सेनाओं के लिए ड्रोन की जरूरत को लेकर भी बात की. करमबीर सिंह ने कहा 'तीनों सेवाओं के लिए 30 प्रीडेटर ड्रोन्स का अधिग्रहण जारी है.' उन्होंने बताया कि इन ड्रोन्स (Drones) में काफी क्षमता होगी. उन्होंने बताया, '2 प्रीडेटर ड्रोन्स को लीज पर लिया गया है, ताकि हमारी निगरानी की क्षमता में हुई कमी को पूरा किया जा सके.' उन्होंने बताया कि 24 घंटे की निगरानी क्षमता हमारी निगरानी क्षमता को बनाए रखने में काफी मदद कर रही है. अगर सेना और वायुसेना को उत्तर पूर्व में इनकी जरूरत पड़ती है, तो हम विचार कर सकते हैं.

हाल ही में नौसेना ने लद्दाख में मौजूद पैंगॉन्ग झील इलाके में मार्कोस तैनात करने का फैसला किया था. इस तैनाती का मकसद तीनों सेनाओं के बीच एकता को बढ़ाना और खराब मौसम के लिए तैयार करना था. न्यूज 18 इंडिया की तरफ से नौसेना प्रमुख से पैंगाग लेक में नौसेना के मारकोज स्पेशल फोर्स की तैनाती के सवाल पर नौसेना प्रमुख ने साफ साफ जवाब तो नहीं दिया, लेकिन ये जरूर कहा कि मारकोज एक एलीट स्पेशल फोर्स है और उसके ऑपरेशन के बारे में बात करना ठीक नहीं. चीन के साथ जारी विवाद की स्थिति को लेकर करमबीर सिंह ने कहा, 'नौसेना की गतिविधियां भारतीय सेना और वायुसेना के साथ तालमेल में हैं.'
स्वदेशी तकनीक के साथ तैयार हो रही है भारतीय नौसेना
भारतीय नौसेना भविष्य की चुनौती से निपटने के लिए स्वदेशी तकनीक को विकसित कर लगातार खुद को तैयार कर रही है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण होगा स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत होगा. हालांकि कई जंगी जहाजों और पंडुब्बियों का निर्माण भी भारत में हो रहा है. पिछले 6 सालों में भारत में निर्मित कुल 24 जंगी जहाजों और पंडुब्बियों को नौसेना शामिल कर चुकी है. भारत के अलग-अलग शिपयार्ड में 41 जंगी जहाजों और पनडुब्बियों का निर्माण कार्य चल रहा है. स्वदेशी तकनीक से भारत की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ है.
नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा, 'हमारे सामने कोविड-19 और चीन के LAC बदलने के प्रयासों की दोहरी चुनौती है. नौसेना इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है.' उन्होंने कहा, 'अगर चीन की तरफ से कोई उल्लंघन होता है, तो हमारे पास हालात से निपटने के लिए एसओपी तैयार है.' इसके अलावा सिंह ने सीमा पर जारी तनाव के बीच तैयारियों को लेकर भी चर्चा की.
चीन ने हिंद महासागर में छोड़ रखे हैं तीन युद्धपोत
नौसेना ने प्रमुख ने जानकारी दी, 'सेना (Indian Army) और वायुसेना (Indian Airforce) की जरूरतों के अनुसार, हमने कई स्थानों पर P-8I एयरक्राफ्ट तैनात कर दिए हैं. इसके अलावा हमने उत्तरी सीमा के क्षेत्रों में हेरॉन सर्विलांस ड्रोन भी छोड़े हैं.' उन्होंने बताया कि अब तक हिंद महासागर में चीन के तीन युद्धपोत हैं. उन्होंने कहा, 'चीन ने साल 2008 के बाद से ही एंटी-पाइरेसी पेट्रोल्स के लिए तीन जहाज बरकरार रखे हैं.'
ड्रोन को लेकर तैयार है नौसेना
करमबीर सिंह ने कहा, 'भारतीय नौसेना ड्रोन्स से हमलों का सामना करने के लिए एंटी ड्रोन उपकरण के तौर पर स्मैश-2000 राइफल खरीद रही है.' उन्होंने कहा, 'हम इस बात पर एकदम स्पष्ट हैं कि समुद्र में हवाई ताकत की जरूरत है. अगर आप ऐसे राष्ट्र हैं, जो 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना चाहता है और तटों पर सीमित नहीं रहना चाहता.' नौसेना प्रमुख ने कहा, 'हवाई जहाज वाहक काफी जरूरी हैं.'
We have an SOP to tackle the situation if there is an infringement (by Chinese research vessels): Navy Chief Admiral Karambir Singh https://t.co/XX35f5LnZV
— ANI (@ANI) December 3, 2020
उन्होंने तीन सेनाओं के लिए ड्रोन की जरूरत को लेकर भी बात की. करमबीर सिंह ने कहा 'तीनों सेवाओं के लिए 30 प्रीडेटर ड्रोन्स का अधिग्रहण जारी है.' उन्होंने बताया कि इन ड्रोन्स (Drones) में काफी क्षमता होगी. उन्होंने बताया, '2 प्रीडेटर ड्रोन्स को लीज पर लिया गया है, ताकि हमारी निगरानी की क्षमता में हुई कमी को पूरा किया जा सके.' उन्होंने बताया कि 24 घंटे की निगरानी क्षमता हमारी निगरानी क्षमता को बनाए रखने में काफी मदद कर रही है. अगर सेना और वायुसेना को उत्तर पूर्व में इनकी जरूरत पड़ती है, तो हम विचार कर सकते हैं.
हाल ही में नौसेना ने लद्दाख में मौजूद पैंगॉन्ग झील इलाके में मार्कोस तैनात करने का फैसला किया था. इस तैनाती का मकसद तीनों सेनाओं के बीच एकता को बढ़ाना और खराब मौसम के लिए तैयार करना था. न्यूज 18 इंडिया की तरफ से नौसेना प्रमुख से पैंगाग लेक में नौसेना के मारकोज स्पेशल फोर्स की तैनाती के सवाल पर नौसेना प्रमुख ने साफ साफ जवाब तो नहीं दिया, लेकिन ये जरूर कहा कि मारकोज एक एलीट स्पेशल फोर्स है और उसके ऑपरेशन के बारे में बात करना ठीक नहीं. चीन के साथ जारी विवाद की स्थिति को लेकर करमबीर सिंह ने कहा, 'नौसेना की गतिविधियां भारतीय सेना और वायुसेना के साथ तालमेल में हैं.'
स्वदेशी तकनीक के साथ तैयार हो रही है भारतीय नौसेना
भारतीय नौसेना भविष्य की चुनौती से निपटने के लिए स्वदेशी तकनीक को विकसित कर लगातार खुद को तैयार कर रही है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण होगा स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत होगा. हालांकि कई जंगी जहाजों और पंडुब्बियों का निर्माण भी भारत में हो रहा है. पिछले 6 सालों में भारत में निर्मित कुल 24 जंगी जहाजों और पंडुब्बियों को नौसेना शामिल कर चुकी है. भारत के अलग-अलग शिपयार्ड में 41 जंगी जहाजों और पनडुब्बियों का निर्माण कार्य चल रहा है. स्वदेशी तकनीक से भारत की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ है.