Water Crisis in India: दो साल के बाद भारत में पानी की कमी हो सकती है. नदियों का जल लगातार घट रहा है- सीईईडब्ल्यू की रिपोर्ट.
भारत नदियों के मामले में काफी समृद्ध देश रहा है लेकिन अब यहां से पानी का भंडार धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है. वहीं इस देश में वेस्ट वॉटर (Waste-Water) यानि खराब पानी की मात्रा दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. हाल ही में काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (CEEW) के एक स्वतंत्र अध्ययन ‘रीयूज ऑफ ट्रीटेड वेस्टवॉटर इन इंडिया (Reuse of Treated Waste Water in India)’ में दी गई जानकारियां बेहद चौंकाने वाली हैं. यह न केवल दो साल बाद भारत में पैदा होने जा रहे जलसंकट (Jalsankat) की ओर इशारा रही है साथ ही वेस्टवॉटर (Waste Water) की बढ़ रही मात्रा को भी बता रही है.
सीईईडब्ल्यू (Council on Energy, Environment and Water) की रिपोर्ट बताती है कि भारत में अगर चुनिंदा क्षेत्रों में ट्रीटेड वेस्टवॉटर (उपचारित अपशिष्ट जल) को बेचने की व्यवस्था हो तो 2025 में इसका बाजार मूल्य 83 करोड़ रुपये होगा, जो 2050 में बढ़कर 1.9 अरब रुपये पहुंच जाएगा. इसके साथ ही अनुमानित सीवेज उत्पादन और ट्रीटमेंट क्षमता के आधार पर, 2050 तक भारत में कुल वेस्टवॉटर की मात्रा 35,000 मिलियन क्यूबिक मीटर से ज्यादा रहने का अनुमान है. इसलिए वेस्टवॉटर के रीयूज की अपार संभावनाएं मौजूद हैं.
अध्ययन बताता है कि भारत में पैदा हो रहे वेस्टवॉटर (Waste Water) की मात्रा इतनी है कि 2050 तक निकलने वाले वेस्टवॉटर के ट्रीटमेंट से जितना साफ पानी मिलेगा, उससे दिल्ली से 26 गुना बड़े क्षेत्रफल की सिंचाई की जा सकती है. दिलचस्प है कि सिर्फ 2021 में निकलने वाले वेस्टवॉटर के रीयूज में 28 मिलियन मीट्रिक टन फल-सब्जी उगाने और इससे 966 अरब रुपये राजस्व पैदा करने की क्षमता थी. इसके अलावा, इसमें 1.3 मिलियन टन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने और उर्वरकों का इस्तेमाल घटाते हुए 5 करोड़ रुपये की बचत करने की क्षमता भी थी.
भारत में है पानी की कमी
सीईईडब्ल्यू के प्रोग्राम लीड नितिन बस्सी बताते हैं कि भारत में प्रतिवर्ष प्रतिव्यक्ति 1,486 क्यूबिक मीटर पानी (Pani) उपलब्ध है, जो इसे जल की कमी वाला देश बनाता है. ऐसे में ट्रीटेड वेस्टवॉटर का रियूज बढ़ाने से ताजे जल के संसाधनों पर दबाव घटाने में मदद मिलेगी और अन्य लाभ व सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे. ट्रीटेड वेस्टवॉटर को सिर्फ सिंचाई कार्यों में उपयोग करने में ही एक बड़ी बाजार संभावना मौजूद है. हालांकि, इसके लिए वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट और इसके रियूज को बढ़ाने वाला एक आर्थिक रूप से व्यवहार्य मॉडल बनाना होगा.
15 में से 11 नदियों में घट जाएगा पानी
भारत में जल सुरक्षा एक प्रमुख विषय है. सीईईडब्ल्यू ने अपने विश्लेषण में केंद्रीय जल आयोग के आकलनों का उपयोग किया है जो बताता है कि 2025 तक भारत में 15 प्रमुख नदी घाटियों में से 11 को पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा. इसलिए मांग-आपूर्ति में मौजूद अंतर को भरने के लिए वैकल्पिक जल स्रोतों को खोजना जरूरी है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के 2021 के आंकड़ों के अनुसार, भारत प्रतिदिन निकलने वाले कुल सीवेज के 28 प्रतिशत हिस्से का ट्रीटमेंट कर पाता है, बाकी अनुपचारित वेस्टवॉटर नदी जैसे ताजे जल स्रोतों में चला जाता है.
सिर्फ 10 राज्यों में ही वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट की नीतियां
सीईईडब्ल्यू के अध्ययन में पाया गया है कि भारत में अभी सिर्फ 10 राज्यों में ही वेस्टवॉटर के ट्रीटमेंट और रियूज की नीतियां मौजूद हैं. इनमें से अधिकांश राज्यों की नीतियों में वेस्टवॉटर के अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं शामिल है, या फिर रियूज के विशेष उद्देश्यों के लिए गुणवत्ता मानकों को परिभाषित नहीं किया गया है.
पानी के लिए योजनाएं बनाने की जरूरत
सीईईडब्ल्यू में रिसर्च एनालिस्ट साइबा गुप्ता ने कहा कि राज्यों की नीतियों में ट्रीटेड वेस्टवॉटर के गुणवत्ता मानकों के प्रावधान सिर्फ सुरक्षित डिस्चार्ज मानकों तक ही सीमित हैं. सभी राज्यों को विभिन्न क्षेत्रों में वेस्टवॉटर के सुरक्षित रियूज के लिए वेस्टवॉटर के ट्रीटमेंट के विशेष मानकों को परिभाषित करना चाहिए. वेस्टवॉटर के रियूज की परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए, सभी राज्यों को जनता के बीच भरोसा पैदा करने और उनके व्यवहार में बदलाव के लिए प्रभावी जनसंपर्क योजनाएं बनानी चाहिए.
वेस्टवॉटर बने जल संसाधन का अभिन्न हिस्सा
सीईईडब्ल्यू के अध्ययन में यह भी सुझाव दिया गया है कि वेस्टवॉटर को भारत के जल संसाधनों का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए, और इसे जल प्रबंधन की सभी नीतियों, योजनाओं व विनियमों में शामिल करना चाहिए. वेस्टवॉटर के सुरक्षित डिस्चार्ज और रियूज, दोनों के लिए जल गुणवत्ता मानकों को अच्छी तरह से परिभाषित करने की जरूरत है. इसमें रिस्क को घटाने के दृष्टिकोण के साथ ही एक निश्चित समय पर समीक्षा करने की उचित व्यवस्था करना भी जरूरी है. इसके अलावा, वेस्टवॉटर के रियूज के लिए शहरी स्थानीय निकायों की भूमिकाओं और उत्तरदायित्वों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए. शहरों के स्तर पर वेस्टवॉटर रियूज की दीर्घकालिक योजनाएं बनाने और उन्हें लागू करने के लिए, शहरी स्थानीय निकायों को सशक्त बनाना भी महत्वपूर्ण है.
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Tags: Water, Water Crisis, Water Level
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