विधानसभा चुनावः TMC का दावा- बंगाल में बीजेपी को लेफ्ट और कांग्रेस जैसे दो दोस्त मिले

टीएमसी नेता ने कहा कि चुनाव की तैयारियों को देखने के लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व में एक चुनाव समिति गठित की गई है. (फोटो: ANI)
West Bengal Assembly Election 2021: टीएमसी नेता सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि ब्रिगेड सभा के बाद स्पष्ट हो गया कि माकपा और कांग्रेस के रूप में बीजेपी को दो दोस्त मिल गए हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: March 2, 2021, 12:21 PM IST
कोलकाता. पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने सोमवार को दावा किया कि अब तक 'जाति और पंथ की राजनीति' करने वाली बीजेपी (BJP) को माकपा और कांग्रेस (Congress) के रूप में दो दोस्त मिल गए हैं. टीएमसी के वरिष्ठ नेता और राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि रविवार को ब्रिगेड परेड ग्राउंड में वाम दल, कांग्रेस और नव निर्मित इंडियन सेकुलर फ्रंट (ISF) द्वारा संयुक्त रूप से आहूत सभा से यह तथ्य स्थापित हो गया कि विधानसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियां भगवा दल की तरह बांटने वाली राजनीति कर रही हैं. हालांकि सुब्रत मुखर्जी ने दोनों पार्टियों पर इस तरह के आरोप लगाने का कोई कारण नहीं बताया.
लेफ्ट और कांग्रेस रूपी तीसरा विकल्प
बंगाल में सत्ता से बाहर होने के एक दशक बाद वाम मोर्चे ने कांग्रेस और मुस्लिम धर्म गुरु अब्बास सिद्दिकी की नव निर्मित आईएफएस से गठबंधन किया है. मोर्चे ने रविवार को जनसभा के दौरान राज्य में टीएमसी बनाम बीजेपी की राजनीति उभरने के बीच खुद को 'तीसरी वैकल्पिक ताकत' के तौर पर पेश किया. ऐसे में टीएमसी नेता मुखर्जी ने दावा करते हुए कहा, 'हम हमेशा से जानते थे कि माकपा और कांग्रेस जाति और पंथ की राजनीति नहीं करती हैं, लेकिन ब्रिगेड सभा के बाद वह विश्वास बदल गया. माकपा और कांग्रेस के रूप में बीजेपी को दो दोस्त मिल गए हैं.'
ये भी पढ़ेंः बंगाल में आठ चरणों में वोटिंग कराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
ममता के नेतृत्व में बनी चुनाव समिति
सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ नेता ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि चुनाव की तैयारियों को देखने के लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व में एक चुनाव समिति गठित की गई है. उन्होंने कहा कि समिति में सांसद सुदीप बंदोपाध्याय और अभिषेक बनर्जी समेत अन्य सदस्य हैं. इसकी पहली बैठक सोमवार को हुई. पंचायत मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं, जैसे स्वास्थ्य साथी, खाद्य साथी और कन्याश्री से लाखों लोगों के जीवन में बेहतरी आई है.
ये भी पढ़ेंः बांग्ला फिल्मों की अदाकारा श्रावंती चटर्जी ने थामा भाजपा का दामन
मुखर्जी ने कहा कि पिछले एक साल में, बैंकों ने छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों को 63,000 करोड़ रुपये का ऋण दिया है, जिससे लगभग 23 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं.

उन्होंने कहा कि टीएमसी सरकार की ओर से शुरू की गई योजनाएं देश में कहीं और नहीं हैं. कोई अन्य राज्य सरकार इतने बड़े स्तर पर लोगों को लाभ नहीं पहुंचा सकी है.
लेफ्ट और कांग्रेस रूपी तीसरा विकल्प
बंगाल में सत्ता से बाहर होने के एक दशक बाद वाम मोर्चे ने कांग्रेस और मुस्लिम धर्म गुरु अब्बास सिद्दिकी की नव निर्मित आईएफएस से गठबंधन किया है. मोर्चे ने रविवार को जनसभा के दौरान राज्य में टीएमसी बनाम बीजेपी की राजनीति उभरने के बीच खुद को 'तीसरी वैकल्पिक ताकत' के तौर पर पेश किया. ऐसे में टीएमसी नेता मुखर्जी ने दावा करते हुए कहा, 'हम हमेशा से जानते थे कि माकपा और कांग्रेस जाति और पंथ की राजनीति नहीं करती हैं, लेकिन ब्रिगेड सभा के बाद वह विश्वास बदल गया. माकपा और कांग्रेस के रूप में बीजेपी को दो दोस्त मिल गए हैं.'
ये भी पढ़ेंः बंगाल में आठ चरणों में वोटिंग कराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

ममता के नेतृत्व में बनी चुनाव समिति
सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ नेता ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि चुनाव की तैयारियों को देखने के लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व में एक चुनाव समिति गठित की गई है. उन्होंने कहा कि समिति में सांसद सुदीप बंदोपाध्याय और अभिषेक बनर्जी समेत अन्य सदस्य हैं. इसकी पहली बैठक सोमवार को हुई. पंचायत मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं, जैसे स्वास्थ्य साथी, खाद्य साथी और कन्याश्री से लाखों लोगों के जीवन में बेहतरी आई है.
ये भी पढ़ेंः बांग्ला फिल्मों की अदाकारा श्रावंती चटर्जी ने थामा भाजपा का दामन
मुखर्जी ने कहा कि पिछले एक साल में, बैंकों ने छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों को 63,000 करोड़ रुपये का ऋण दिया है, जिससे लगभग 23 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं.
उन्होंने कहा कि टीएमसी सरकार की ओर से शुरू की गई योजनाएं देश में कहीं और नहीं हैं. कोई अन्य राज्य सरकार इतने बड़े स्तर पर लोगों को लाभ नहीं पहुंचा सकी है.