इस बार चुनाव में भाजपा के टिकट से चुने जाने वाले 5 लोग ऐसे हैं जो इससे पहले कभी किसी पार्टी के सक्रिय सदस्य नहीं रहे. हालांकि भाजपा पूरा आत्मविश्वास दिखाने की कोशिश कर रही है. (सांकेतिक तस्वीर)
(सिद्धार्थ सरकार)
बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान अमित शाह ने भाजपा की 200 सीटें आने का लक्ष्य तय किया था और जीतने का दावा किया था. इस लक्ष्य को साधने के लिए भाजपा ने जी जान झोंक दी थी. लेकिन जब 2 मई को चुनाव परिणाम निकले तो भाजपा लक्ष्य का आधा भी नहीं साध पाई. और उनका रथ 77 पर अटक कर रह गया. इनमें से निशित प्रमाणिक और जगन्नाथ सरकार ने इस्तीफा दे दिया. अब भाजपा के पास कुल जमा 75 विधायक रह गए हैं. ये भी पांच साल तक टिक पाते हैं या नहीं इस बात को लेकर भी संशय है. तृणमूल के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कुछ दिन पहले दावा भी किया था कि कुछ भाजपा के कुछ सांसदों और विधायकों ने उनकी पार्टी के साथ संपर्क साधा था. इसके बाद से ही वो कौन है? भाजपा में क्या खेल चल रहा है? ऐसे तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक तृणमूल के संपर्क में तीन भाजपा विधायक हैं, इनमें से एक उत्तर बंगाल और दो दक्षिण बंगाल से हैं. बाकी के 6-7 विधायक कौन हैं इसे लेकर अभी कुछ जानकारी नहीं है. टीएमसी में भी किसी ने भी अभी उनका नाम नहीं लिया है. हालांकि भाजपा के अंदरूनी सूत्रों की माने तो पार्टी को शक है कि ये तीन विधायक दिनाजपुर से हो सकते हैं. इसके अलावा दो विधायक नादिया से चुने गए हैं. साथ ही भाजपा नेतृत्व दक्षिण बंगाल के 2-3 विधायकों को लेकर भी चिंतित है.
इनमें से कई ऐसे हैं जो 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे और इनमें से जिन्हें टिकट मिला था उनमें से 10 ने चुनाव में जीत हासिल की थी. परेशानी यहीं खत्म नहीं होती है, इस बार चुनाव में भाजपा के टिकट से चुने जाने वाले 5 लोग ऐसे हैं जो इससे पहले कभी किसी पार्टी के सक्रिय सदस्य नहीं रहे. हालांकि भाजपा पूरा आत्मविश्वास दिखाने की कोशिश कर रही है. इससे पहले भाजपा नेता शमिक भट्टाचार्य ने दावा भी किया था कि कोई भी जीता हुआ प्रत्याशी पार्टी छोड़ कर नहीं जाएगा. सभी टीम का ही हिस्सा रहेंगे. भाजपा सभी विधायकों पर नियंत्रण भी बनाए हुई थी. लेकिन जल्दी ही ये पकड़ छूटने लगी और मुकुल रॉय ने एक बार फिर भाजपा छोड़ कर दोबारा टीएमसी का दामन थाम लिया. और ये भाजपा के लिए गहरा धक्का था.
मुकुल रॉय के पार्टी छोड़ने पर भाजपा की चुप्पी
मुकुल रॉय के भाजपा छोड़ कर वापस टीएमसी में जाने को लेकर पार्टी ने चुप्पी साध ली, हालांकि भाजपा नेता दिलीप घोष ने हाल ही में कहा कि उन्हें पता नहीं रॉय के इस फैसले से पार्टी को क्या नुकसान हुआ. दरअसल वो ये कहना चाहते थे कि क्या उनके पार्टी में शामिल होने से पार्टी को कोई फायदा मिला भी था. उनका कहना था कि मुकल रॉय के छोड़कर जाने से ज्यादा गंभीर समस्या राज्य में लगातार हो रही हिंसा है, हम अपने कार्यकर्ताओं की सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंतित हैं. जिन्हें टीएमसी लगातार अपना निशाना बना रही है. उन्होंने ये भी कहा कि अगर कोई बगैर बलिदान के सिर्फ सत्ता के मज़े लूटना चाहता है तो उसका छोड़कर जाना ही बेहतर है. घोष ने ट्विटर पर लिखा था, ‘कुछ लोगों को पार्टी बदलने की आदत होती है. अगर कोई भाजपा में रहना चाहता है तो उसे त्याग तो करना ही पड़ेगा. जो सिर्फ सत्ता सुख चाहते हैं, हमारे यहां उनके लिए कोई जगह नहीं है.' दिलीप घोष ने बंगाली में ट्वीट करते हुए अपने मन की बात लिखी थी.
वहीं बंगाल में भाजपा के उपाध्यक्ष अर्जुन सिंह ने कटाक्ष करते हुए मुकुल रॉय को अवसरवादी पुकारा था. उनका कहना था कि ऐसा काम राजनीति में अवसरवादी ही करते हैं. उनकी अभिषेक बनर्जी से तनातनी हो गई थी इसलिए वो भाजपा में शामिल हुए और आते जाते रहते हैं. बंगाल में भाजपा के महासचिव ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘मुकुल रॉय को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया, इससे वो इनकार नहीं कर पाए, वो तब भी इनकार नहीं कर पाए थे जब उन्हें भाजपा के टिकट पर कृष्णानगर उत्तर से चुनाव लड़ने का मौका मिला था. पता नहीं पर हो सकता है वो कल को फिर कहें कि उनका टीएमसी में दिल नहीं लग रहा है.' वहीं मुकुल रॉय की वापसी को लेकर शुभेंदु अधिकारी का कहना था कि उनके जाने से पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ा है, बतौर नेता प्रतिपक्ष, मैं सारी जिम्मेदारी लेते हुए कहता हूं कि पद और सदस्यता देने के दौरान सारे प्रोटोकॉल का सही अनुसरण नहीं हो पाया.
कई टीएमसी छोड़ कर जाने वाले नेताओं की तरह ही, जो बाद में ममता बनर्जी का स्तुतिगान करते नज़र आए, भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता भी सड़कों पर उतर कर भाजपा के समर्थन को लेकर अपना पछतावा जाहिर कर रहे हैं. यही नहीं लाभपुर, बोलपुर, और बीरभूम जिले के सैंन्थिया से लेकर हुगली जिले में धनियाखली तक ई-रिक्शा पर सार्वजनिक घोषणा की जा रही है कि भाजपा को समझने में उनसे भूल हो गई है. हालांकि भाजपा का आरोप है कि टीएमसी उनके कार्यकर्ताओं को डरा धमका कर उनसे ऐसी माफी मंगवा रही है.
उधर टीएमसी में मुकुल रॉय की वापसी के बाद पूर्व राज्य मंत्री राजीब बनर्जी की तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष के साथ वार्ता ने उनकी पार्टी में वापसी को लेकर अटकलें तेज कर दी हैं. हालांकि पूर्व मंत्री जो भाजपा के टिकट पर दोमजुर विधानसभा से चुनाव हार गए थे उन्होंने इसे एक औपचारिक वार्ता बताया और हाल ही में सोशल मीडिया पर भाजपा की आलोचना करने को लेकर खुद का बचाव भी किया.
भले ही भाजपा के नेता कुछ भी बयान दें, लेकिन ये बात साफ है कि पार्टी में इन दिनों बेहद उठापटक चल रही है. सभी 75 विधायकों से संपर्क साधा जा रहा है और उन्हें टीम की महत्ता के बारे में बताया जा रहा है, साथ ही ये संदेश भी फैलाया जा रहा है कि भाजपा का बंगाल में भविष्य बेहतर है. इसलिए धीरज से काम लें.
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