नई दिल्ली. पूर्व सैनिकों ने नई दिल्ली में इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) का राष्ट्रीय समर स्मारक (National War Memorial) पर जल रही लौ के साथ विलय किए जाने के केंद्र के निर्णय पर शुक्रवार को मिली-जुली प्रतिक्रिया व्यक्ति की. एकीकृत रक्षा स्टाफ के पूर्व प्रमुख और लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सतीश दुआ ने केंद्र के निर्णय पर संतोष व्यक्त किया.
दुआ ने कहा, ”राष्ट्रीय समर स्मारक के डिजाइन चयन और निर्माण में भूमिका निभाने वाले व्यक्ति के रूप में मेरा विचार है कि इंडिया गेट प्रथम विश्व युद्ध के शहीद नायकों का स्मारक है.” उन्होंने कहा कि अमर जवान ज्योति को 1972 में स्थापित किया गया था क्योंकि हमारे पास कोई और स्मारक नहीं था.
‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का एक राष्ट्रीय पहचान है’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय समर स्मारक देश की आजादी के बाद युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देता है और सभी श्रद्धांजलि समारोहों को पहले ही नए स्मारक में स्थानांतरित किया जा चुका है. दुआ ने कहा, “अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ विलय करना सही निर्णय है. कोई विवाद नहीं होना चाहिए. राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का एक राष्ट्रीय पहचान है.”
#WATCH | The merger of Amar Jawan Jyoti with the National War Memorial is the right decision to make. There should be no controversy. National War Memorial has a national character: Lt General Satish Dua (Retd), former Chief of Integrated Defence Staff pic.twitter.com/ZBSeTZL1I9
— ANI (@ANI) January 21, 2022
हालांकि पूर्व एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री को टैग करते हुए उनसे इस आदेश को रद्द करने की अपील की. उन्होंने कहा, ”श्रीमान, इंडिया गेट पर जल रही लौ भारतीय मानस का हिस्सा है. आप, मैं और हमारी पीढ़ी के लोग वहां हमारे वीर जवानों को सलामी देते हुए बड़े हुए हैं.” बहादुर ने कहा कि एक ओर जहां राष्ट्रीय समर स्मारक का अपना महत्व है, वहीं दूसरी ओर अमर जवान ज्योति की स्मृतियां भी अतुल्य हैं.
‘अमर जवान ज्योति को बुझाने की जरूरत नहीं’
पूर्व कर्नल राजेंद्र भादुड़ी ने कहा कि अमर जवान ज्योति पवित्र है और इसे बुझाने की जरूरत नहीं है. भादुड़ी ने ट्विटर पर लिखा, ”इंडिया गेट पर उन भारतीय सैनिकों के नाम हैं जिन्होंने युद्ध के दौरान जान गंवाई. यह मायने नहीं रखता कि इसे किसने बनवाया.”
इंदिरा गांधी ने किया था अमर जवान ज्योति का उद्घाटन
अमर जवान ज्योति का निर्माण 1971 के भारत-पाक युद्ध में जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों के लिए एक स्मारक के रूप में किया गया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी, 1972 को इसका उद्घाटन किया था. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी, 2019 को राष्ट्रीय समर स्मारक का उद्घाटन किया था, जहां ग्रेनाइट के पत्थरों पर 25,942 सैनिकों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं.
पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल कमल जीत सिंह ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय समर स्मारक के उद्घाटन के बाद दोनों लौ का एक होना लाजमी है. पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल अनिल दुहून ने ट्विटर पर कहा कि ”अगर किसी के जैसी कोई चीज नहीं बना सकते सकते, तो उसे ही तोड़ दो” नए भारत के लिए भाजपा का मंत्र है. उन्होंने कहा कि अमर जवान ज्योति इतनी पवित्र है कि उसे छुआ या स्थानांतरित नहीं किया जा सकता.
1971 युद्ध के दिग्गज और पूर्व थल सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जेबीएस यादव (सेवानिवृत्त) दोनों लौ के विलय को सही बताया. उन्होंने कहा, मैं इसे सही समझता हूं. अब हमारे पास वॉर मेमोरियल बन गया है अब उचित होगा कि वॉर मेमोरियल के अदंर ही अमर जवान ज्योति को मिला दिया जाएं. अब हमारा एक ही नेशनल वॉर मेमोरियल होना चाहिए. इसके अंदर 1947 से लेकर आज तक जितने भी हमारे जवान मारे गए हैं उनके लिए यह उचित सम्मान होगा.”
(इनपुट भाषा से भी)
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