नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड (Rajeev Gandhi Assassination Case) के 7 दोषियों में से सुप्रीम कोर्ट ने एक दोषी ए जी पेरारिवलन (AG Perarivalan) को रिहा करने का आदेश दिया है. इसके लिए उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का इस्तेमाल किया है. 1991 में राजीव गांधी की हत्या के समय पेरारिवलन की उम्र 19 वर्ष थी और वह 31 साल से जेल में बंद है. 1991 में उसे बैटरियां खरीदने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसका इस्तेमाल उस बेल्ट बम को ट्रिगर करने के लिए किया गया था जिसने पूर्व प्रधान मंत्री की हत्या कर दी थी.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत पेरारिवलन की क्षमा याचिका में तमिलनाडु के राज्यपाल की ओर से हुई देरी को बरकरार रखा.
क्या है संविधान का अनुच्छेद 142?
सुप्रीम कोर्ट “पूर्ण न्याय” करने के लिए किसी भी मामले या उसके समक्ष लंबित मामले में अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करने के लिए अनुच्छेद 142 का उपयोग करता है. इस अनुच्छेद में कहा गया है कि, “सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए ऐसा हुक्मनामा पारित कर सकता है या ऐसा आदेश दे सकता है जो उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक हो.”
शीर्ष अदालत ने राज्यपाल द्वारा पेरारिवलन को क्षमा करने में अत्यधिक देरी का भी हवाला दिया. तमिलनाडु सरकार ने 2018 में तत्कालीन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से सिफारिश की थी कि सभी 7 दोषियों को संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत रिहा किया जाए.
हालाँकि राज्यपाल ने अनुच्छेद 161 के तहत राष्ट्रपति को भेजने से पहले राज्य की सिफारिश को महीनों तक टाल दिया, जो राज्यपाल को पेरारिवलन की रिहाई का फैसला करने की अनुमति देता है.
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अनुच्छेद 161 में कहा गया है कि, “किसी राज्य के राज्यपाल को किसी भी मामले से संबंधित किसी भी कानून के खिलाफ किसी भी अपराध के लिए दोषी व्यक्ति की सजा को माफ करने, राहत देने, राहत देने या सजा में छूट देने या सजा को निलंबित करने या सजा को कम करने की शक्ति होगी.”
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल कब किया?
शीर्ष अदालत ने 1989 के यूनियन कार्बाइड मामले और 2019 अयोध्या राम मंदिर के फैसले सहित कई मामलों में अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया था. भोपाल गैस त्रासदी मामले में अदालत ने अमेरिका स्थित यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन को पीड़ितों को 470 मिलियन डॉलर मुआवजा देने का आदेश दिया. राम मंदिर के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भूमि के विभाजन से इनकार कर दिया और इसके बजाय 2.77 एकड़ विवादित क्षेत्र हिंदुओं को सौंप दिया. मुसलमानों के साथ अन्याय को भांपते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्र को सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि के दायरे में एक वैकल्पिक स्थल में 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया.
अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को उन मामलों में पूर्ण न्याय करने की असीमित शक्ति देता है जहां कार्यवाही के दौरान वादियों को अन्याय का सामना करना पड़ा है. पंडित ठाकुर दास भार्गव के अनुसार, “सुप्रीम कोर्ट इन शक्तियों का प्रयोग करेगा और किसी भी नियम या कानून, कार्यकारी अभ्यास या कार्यकारी परिपत्र या विनियम के प्रावधान से न्याय करने से नहीं रोकेगा.”
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