शुरुआती दावों में कहा जा रहा है कि यह वेरिएंट डेल्टा से भी अधिक संक्रामक है और ये टीकों को भी चकमा दे सकता है. आइए हम आपको बताते हैं कि वायरस के इस नए वेरिएंट के बारे में हम क्या जानते हैं. साथ ही कुछ अहम सवालों के जवाब भी ढूंढ़ते हैं.
ओमिक्रॉन के बारे में क्या जानते हैं?
कोविड फैलने के बाद उसके नए रूप सामने आ रहे हैं. ऐसे में दुनिया भर में अलग-अलग स्वास्थ्य एजेंसियां इसके वेरिएंट और म्यूटेशन की निगरानी करती रहती हैं ताकि उन्हें यह पता चल सके कि कौन सा वेरिएंट दूसरे से ज्यादा अहम है. इसी क्रम में NGS-SA ने B.1.1.529 के बारे में पता लगाया. अभी तक की जानकारी के अनुसार B.1.1.529 में कई स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन हैं. शुरुआती विश्लेषण से पता चला है कि बहुत ही ज्यादा संक्रामक है. दक्षिण अफ्रीका में पिछले दो हफ्तों में नए मामलों में चार गुना वृद्धि दर्ज की गई है. माना जा रहा है कि यह वायरस के नए स्वरूप के चलते हुआ.गुरुवार को NGS-SA ने कहा कि गौतेंग प्रांत में B.1.1529 तेजी से बढ़ा है. आशंका है कि संक्रमण का स्वरूप अन्य प्रांतों में भी पहले से मौजूद हो सकता है. NGS-SA ने कहा है कि मामलों में निरंतर वृद्धि संभवतः क्लस्टर्स में नए मामलों में वृद्धि के कारण हुई है.नए वेरिएंट के म्यूटेशन प्रोफाइल पर NGS-SA ने कहा है कि B.1.1.1.529 में ‘म्यूटेशन के बहुत ही असामान्य’ है.
कौन से म्यूटेशन है चिंता की वजह?
NGS-SA ने कहा है कि म्यूटेशन का क्लस्टर H655Y + N679K + P681H के तौर पर में जाना जाता है. इससे संकेत मिलते हैं यह कि बहुत अधिक संक्रामक होगा. NGS-SA का कहना है कि यह इम्यूनिटी को भी चकमा देकर संक्रमण बढ़ा सकता है. नए वेरिएंट में R203K + G204R का भी म्यूटेशन है. यह अल्फा, गामा और लैम्ब्डा में भी पाया जा चुका है जिनके चलते कोरोना के मामले तेजी से बढ़े हैं.
WHO का आंकलन क्या कहता है?
डब्ल्यूएचओ ने शुक्रवार को कहा कि उसके तकनीकी सलाहकार समूह ने नए संस्करण की समीक्षा बैठक की. समिति ने वेरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया है. इसका मतलब है कि समिति को आशंका है कि इससे संक्रमण बढ़ सकता है साथ ही इस वेरिएंट के आगे वैक्सीन और इलाज का असर कम होगा.कोविड-19 पर तकनीकी समूह का नेतृत्व करने वाली मारिया वान केरखोव ने इस बाबत कहा था, ‘हम अभी तक इसके बारे में बहुत कुछ नहीं जानते हैं. हम इतना ही जानते हैं कि कोरोना के इस वेरिएंट में बड़ी संख्या में उत्परिवर्तन हैं, जो एक चिंता का विषय है, क्योंकि जब इतने सारे उत्परिवर्तन होते हैं तो यह वायरस के व्यवहार पर प्रभाव पड़ सकता है. हमें यह समझने में कुछ सप्ताह समय लगेगा कि किसी भी महत्वपूर्ण टीके पर इस स्वरूप का क्या असर होगा.’
क्या इस वेरिएंट में कोविड के लक्षण अलग हैं?
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रीय संचारी रोग संस्थान (NICD) ने कहा है कि फिलहाल B.1.1.1.529 प्रकार के संक्रमण के बाद ‘कोई असामान्य लक्षण’ नहीं बताया गया है. हालांकि कुछ ऐसे मामले में जरूर सामने आए हैं जिसमें शख्स में कोई लक्षण ही नहीं है.
इस वेरिएंट पर वैज्ञानिक टीके का असर और रोग की गंभीरता का फैसला कैसे करेंगे?
ओमिक्रॉन के संदर्भ में महामारी विज्ञान और क्लीनिकल संबंध पूरी तरह से स्थापित नहीं हुए हैं. इसके बिना वैज्ञानिक किसी भी उछाल से सीधा संबंध नहीं बता सके. दक्षिण अफ्रीका ने प्रयोगशाला में B.1.1.529 के इम्यूनिटी को चकमा देने की जांच शुरू कर दी है. इसके जरिए यह भी पता चल सकेगा कि वर्तमान टीकों का इस वेरिएंट पर क्या असर होगा? डेटा से पता चलेगा कि क्या म्यूटेशन रोग को और गंभीर कर देगा. साथ ही यह भी जानकारी मिल सकेगी कि अस्पताल में दिए जा रहे इलाज का इस पर क्या असर होगा.
RT-PCR टेस्ट में नए वेरिएंट का पता लग सकता है?
दक्षिण अफ्रीकी NICD ने कहा है कि B.1.1.1.529 में S जीन के भीतर एक डिलीशन है, ऐसे में इसकी पहचान तेजी से हो जाती है. NCIDC ने कहा- PCR टेस्ट्स आम तौर पर कम से कम दो अलग-अलग SARS-CoV-2 टार्गेट्स का पता लगाते हैं. जो एक म्यूटेशन के सामने आने पर बैकअप का काम करते हैं.हालांकि गौतेंग की लैब्स में 100 से अधिक नमूनों में परीक्षण किए जिसमें से अधिकतर अन्य टार्गेट्स (एन और आरडीआरपी जीन सहित) पर असर नहीं पड़ा. इसलिए यह संभावना नहीं है कि इससे पीसीआर पर असर पड़ेगा.
क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
सभी विशेषज्ञ संस्थाओं ने इस बात पर जोर दिया है कि टीकाकरण महत्वपूर्ण है. नए वेरिएंट का सामने आने यह बताता है कि महामारी खत्म नहीं हुई है. ऐसे में कोविड प्रोटोकॉल्स का पालन जरूर हो.
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FIRST PUBLISHED : November 27, 2021, 09:56 IST