नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में में हुई चूक (Prime Minister Narendra Modi Security Breach in Punjab) की जांच करने की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जस्टिस इंदु मल्होत्रा (Ex-Justice of Supreme Court Indu Malhotra) को सौंपी है. वे जांच समिति की अगुवाई करेंगी. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) के महानिदेशक, केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक (DGP-Chandigarh) और पंजाब के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक- सुरक्षा (ADG-Security, Punjab Police) इस समिति के सदस्य हैं. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के महापंजीयक को भी जांच समिति का सदस्य बनाया गया है, जिनके पास इसी 5 जनवरी को फिरोजपुर, पंजाब (Firozpur, Punjab) में हुई इस घटना से जुड़ा रिकॉर्ड सुरक्षित है.
पहली बार सुर्खियों में नहीं आई हैं इंदु मल्होत्रा
जस्टिस इंदु मल्होत्रा (Justice Indu Malhotra) पहली बार देशभर में सुर्खियों में नहीं आई हैं. साल 2018 में जब उन्हें वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था, तब भी वे चर्चा में रही थीं. क्योंकि यह उपलब्धि हासिल करने वालीं वे देश की पहली महिला वकील थीं, उस वक्त. आजादी के बाद से 2018 तक सुप्रीम कोर्ट में बनी महिला जजों की सूची में उनका क्रम छठवां था. उन्होंने अप्रैल-2018 से मार्च-2021 तक सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस (Supreme Court Justice) के रूप में काम किया. जस्टिस इंदु मल्होत्रा का जन्म बेंगलुरू में हुआ और पढ़ाई-लिखाई दिल्ली में. दिल्ली के प्रतिष्ठित लेडी श्रीराम कॉलेज से उन्होंने बीए की डिग्री ली हुई है. जाने-माने वकील स्वर्गीय ओमप्रकाश मल्होत्रा की बेटी जस्टिस इंदु 1983 दिल्ली की बार काउंसिल में नामांकित हुईं. इसके करीब पांच साल बाद 1988 में वे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (Advocate-on-Record) चुन ली गईं. साल 2007 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वरिष्ठ वकील की उपाधि दी थी. यह उपलब्धि हासिल करने वाली वे दूसरी महिला वकील बनी थीं.
सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ यौन-उत्पीड़न मामले की जांच कर चुकी हैं
जस्टिस इंदु मल्होत्रा (Justice Indu Malhotra) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपने कार्यकाल के दौरान कई अहम मामलों और फैसलों की भागीदार रह चुकी हैं. उदाहरण के तौर पर साल 2019 में तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई (CJI-Ranjan Gogoi) के खिलाफ उन्हीं के स्टाफ की एक महिला कर्मचारी ने यौन-उत्पीड़न का आरोप लगाया था. तब जस्टिस इंदु ने ही इस मामले की जांच की थी और आरोपों को निराधार बताया था. केरल के सबरीमला मंदिर (Sabarimala Temple, Kerala) में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश से जुड़े मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट की बेंच के अपने साथी जजों से अलग फैसला दिया था. उन्होंने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटाने से इंकार कर दिया था. अपने फैसले में उन्होंने लिखा था, ‘धर्म के मामले में तर्क का सिद्धांत लागू नहीं हो सकता.’ यही नहीं, आपसी सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी (Section-377 of IPC) से हटाने का ऐतिहासिक फैसला सुप्रीम कोर्ट की जिस बेंच ने दिया था, उसमें भी जस्टिस इंदु सदस्य थीं. इसमें उन्होंने लिखा था, ‘इस वर्ग के लोगों को इतने लंबे समय बाद न्याय मिल सका, इसके लिए इतिहास को इनसे माफी मांगनी चाहिए.’
इस वक्त दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़ी हुई हैं
सुप्रीम कोर्ट जस्टिस के तौर पर रिटायर होने के बाद वर्तमान में इंदु मल्होत्रा डीडीसीए (Delhi Cricket Association) से जुड़ी हुई हैं. सितंबर-2021 में डीडीसीए ने वार्षिक महासभा आयोजित की थी. उसमें जस्टिस इंदु मल्होत्रा को डीडीसीए का लोकपाल और नैतिकता अधिकारी (Ombudsman-cum-Ethics Officer) नियुक्त किया है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Prime Minister Narendra Modi, Security, Supreme Court