क्यों ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन भारत के लिए सबसे मुफीद साबित हो सकती है?

इस वैक्सीन को भारत में कोविशील्ड का नाम दिया गया है. (फाइल फोटो)
भारत में लोगों के मन में यह सवाल बना हुआ है कि आखिर कौन सी वैक्सीन (Vaccine) देश के लिए सबसे ज्यादा मुफीद होगी. अगर विदेशी वैक्सीन की बात की जाए तो कहा जा रहा है कि ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी की वैक्सीन (Oxford Vaccine) भारत के लिए सबसे ज्यादा कारगर हो सकती है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 31, 2020, 8:22 AM IST
नई दिल्ली. दुनिया में अब कोरोना टीकाकरण (Covid Vaccination) की शुरुआत हो चुकी है. अमेरिकी दवा कंपनी Pfizer की वैक्सीन को कई देशों ने अपने यहां इस्तेमाल की इजाजत दे दी है. लेकिन इस बीच भारत में लोगों के मन में यह सवाल बना हुआ है कि आखिर कौन सी वैक्सीन देश के लिए सबसे ज्यादा मुफीद होगी. अगर विदेशी वैक्सीन की बात की जाए तो कहा जा रहा है कि ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी की वैक्सीन (Oxford Vaccine) भारत के लिए सबसे ज्यादा कारगर हो सकती है.
ब्रिटेन दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका वैक्सीन के इमरजेंसी यूज की अनुमति दे दी है. अब कहा जा रहा है कि भारत भी जल्द ही इस वैक्सीन के इमरजेंसी यूज की अनुमति दे सकता है. दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादक सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया इस प्रोजेक्ट में पार्टनर है. कंपनी पहले ही इस वैक्सीन के 5 करोड़ डोज तैयार कर चुकी है. भारत में इस वैक्सीन का नाम Covishield रखा गया है.
कम तापमान पर रखना है सबसे बड़ी खूबी
भारत के लिए कोविशील्ड वैक्सीन के ज्यादा मुफीद होने के कई कारण हैं. पहला तो ये कि Pfizer की वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फ्रीज करके रखना है जिसके लिए फ्रीजर की व्यवस्था करना भारत के लिए बड़ी चुनौती होगी. वहीं मॉडर्ना की वैक्सीन के लिए भी डीप फ्रीजर की आवश्यकता होगी. लेकिन ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को सामान्य फ्रीज में रखा जा सकता है.बड़े स्तर पर वैक्सीन की आपूर्ति आसानी से हो सकेगी
दूसरा सकारात्मक पहलू ये है कि भारत जैसे बड़े देश में टीकाकरण के लिए बहुत बड़े स्तर पर प्रोडक्शन की आवश्यकता होगी. दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक के रूप में सीरम इंस्टिट्यूट इसमें बेहद मददगार साबित हो सकता है. कंपनी का कहना है कि वह मार्च महीने तक तकरीबन दस करोड़ डोज तैयार कर लेगी. गौरतलब है कि भारत में कोरोना के पहले फेज के वैक्सिनेशन में तकरीबन 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण किया जाना है.
अपेक्षाकृत कम होगी कीमत
सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ये भी साफ कर चुके हैं कि वर्तमान में बने तकरीबन सभी डोज भारत के लिए ही इस्तेमाल किए जाएंगे. वहीं इस वैक्सीन की तीसरी खासियत पैसे भी हैं. नवंबर में एक इंटरव्यू में पूनावाला कह चुके हैं कि वैक्सीन के दोनों डोज की कीमत एक हजार रुपए से कम रखी जाएगी.
ब्रिटेन दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका वैक्सीन के इमरजेंसी यूज की अनुमति दे दी है. अब कहा जा रहा है कि भारत भी जल्द ही इस वैक्सीन के इमरजेंसी यूज की अनुमति दे सकता है. दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादक सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया इस प्रोजेक्ट में पार्टनर है. कंपनी पहले ही इस वैक्सीन के 5 करोड़ डोज तैयार कर चुकी है. भारत में इस वैक्सीन का नाम Covishield रखा गया है.
कम तापमान पर रखना है सबसे बड़ी खूबी
भारत के लिए कोविशील्ड वैक्सीन के ज्यादा मुफीद होने के कई कारण हैं. पहला तो ये कि Pfizer की वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फ्रीज करके रखना है जिसके लिए फ्रीजर की व्यवस्था करना भारत के लिए बड़ी चुनौती होगी. वहीं मॉडर्ना की वैक्सीन के लिए भी डीप फ्रीजर की आवश्यकता होगी. लेकिन ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को सामान्य फ्रीज में रखा जा सकता है.बड़े स्तर पर वैक्सीन की आपूर्ति आसानी से हो सकेगी
दूसरा सकारात्मक पहलू ये है कि भारत जैसे बड़े देश में टीकाकरण के लिए बहुत बड़े स्तर पर प्रोडक्शन की आवश्यकता होगी. दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक के रूप में सीरम इंस्टिट्यूट इसमें बेहद मददगार साबित हो सकता है. कंपनी का कहना है कि वह मार्च महीने तक तकरीबन दस करोड़ डोज तैयार कर लेगी. गौरतलब है कि भारत में कोरोना के पहले फेज के वैक्सिनेशन में तकरीबन 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण किया जाना है.
अपेक्षाकृत कम होगी कीमत
सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ये भी साफ कर चुके हैं कि वर्तमान में बने तकरीबन सभी डोज भारत के लिए ही इस्तेमाल किए जाएंगे. वहीं इस वैक्सीन की तीसरी खासियत पैसे भी हैं. नवंबर में एक इंटरव्यू में पूनावाला कह चुके हैं कि वैक्सीन के दोनों डोज की कीमत एक हजार रुपए से कम रखी जाएगी.