पिछले वित्त वर्ष में यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी रहा. (फोटो सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करने के आरोप में बीजेपी ने रविवार को अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को सस्पेंड कर दिया और दिल्ली के प्रवक्ता को पार्टी से बाहर कर दिया. ये कार्रवाई तीन प्रमुख खाड़ी देशों द्वारा भारतीय राजदूत को बुलाकर विरोध जताने के बाद की गई. खाड़ी देशों में भारतीय उत्पादों के बायकॉट की भी मांग उठने लगी थी. ये छिपी बात नहीं है कि भारत के लिए खाड़ी देश कितने अहम हैं. चाहे बात द्विपक्षीय संबंधों की हो, व्यापार की हो या नागरिकों की, भारत के लिए ये काफी मायने रखते हैं. आइए जानते हैं कि खाड़ी के देश भारत के लिए क्यों अहम हैं.
खाड़ी के 9 देशों में 20 फीसदी मुस्लिम
खाड़ी के 10 में से 9 देशों- सऊदी अरब, कतर, ईरान, इराक, बहरीन, कुवैत, यूएई, ओमान, जॉर्डन और यमन में दुनिया के 20 फीसदी मुस्लिम आबादी रहती है. इन देशों में तेल व गैस के प्रचुर भंडार हैं. भारत का इनसे काफी व्यापार होता है. वहां बड़ी तादाद में भारतीय रहते हैं, और अपनी कमाई भारत में भेजते हैं. ये कुछ बड़ी वजहें हैं, जो इन देशों के प्रति भारत के संबंधों को दिशा देती हैं. गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल भारत का प्रमुख व्यापारिक सहयोगी है. इस काउंसिल में यूएई, बहरीन, सऊदी अरब, ओमान, कतर और कुवैत आते हैं.
यूएई तीसरा बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी रहा. इस दौरान 72.9 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. भारत के कुल एक्सपोर्ट का 6.6 फीसदी और इंपोर्ट का 7.3 फीसदी यूएई से हुआ, जो इससे पिछले साल से 68.4 प्रतिशत ज्यादा है. सऊदी अरब भारत का चौथा बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर रहा, जिससे 42.9 अरब डॉलर का बिजनेस हुआ. इसमें ज्यादातर कच्चा तेल था. इराक से 34.3 अरब डॉलर का कारोबार पिछले साल किया गया. कतर की बात करें तो वह भारत में नेचुरल गैस का सबसे प्रमुख सप्लायर है. वहां पिछले वित्त वर्ष में 15 अरब डॉलर का व्यापार हुआ.
20 देशों से आता है 95% कच्चा तेल
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) की अप्रैल की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की कच्चे तेल और पेट्रोलियम की 84 फीसदी जरूरत की पूर्ति विदेश से होती है. पिछले वित्त वर्ष में भारत ने 42 देशों से कच्चा तेल खरीदा जबकि 2006-07 में 27 देशों से ये व्यापार होता था. हालांकि इनमें से 20 देश ही ऐसे हैं, जो 95 फीसदी तेल जरूरतों को पूरा करते हैं. पिछले 15 साल में 60 फीसदी क्रूड इंपोर्ट फारस के खाड़ी देशों से हुआ है. 2021-22 में भारत में सबसे ज्यादा 22 फीसदी तेल का इंपोर्ट इराक से हुआ. सऊदी अरब से पिछले एक दशक से 17-18 प्रतिशत तेल आता रहा है. कुवैत और यूएई भी भारत के प्रमुख तेल पार्टनर हैं. हालांकि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत का तेल व्यापार काफी कम हो गया है.
सबसे ज्यादा NRI यूएई में
एक्सप्रेस ने विदेश मंत्रालय के डाटा के हवाले से बताया कि 1 करोड़ 34 लाख से ज्यादा भारतीय विदेश में रहकर काम करते हैं. अगर भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों और उनकी पीढ़ियों को जोड़ा जाए तो ये संख्या 3 करोड़ 20 लाख से ऊपर हो जाती है. 1.34 करोड़ एनआरआई में सबसे ज्यादा यूएई में 34 लाख, सऊदी अरब में 26 लाख और कुवैत में 10 लाख रहते हैं. विदेशों में बसे भारतीयों द्वारा भारत में पैसा भी खूब भेजा जाता है. 2020 में 83.15 अरब डॉलर इनके जरिए भारत में आए, जो दुनिया के किसी भी देश से सबसे ज्यादा हैं. नबंवर 2018 में आरबीआई ने बताया था कि 2016-17 में गल्फ देशों से 69 अरब डॉलर भारतीयों ने भेजे थे, जो कुल रिमिटेंस का 50 फीसदी था. इसमें कुवैत में बसे भारतीयों का योगदान सबसे ज्यादा रहा.
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