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क्या है भारतीय संविधान की छठी अनुसूची? जिसके लिए सोनम वांगचुक को करनी पड़ी भूख हड़ताल, जानें डिमांड

गणतंत्र दिवस पर 56 वर्षीय सोनम वांगचुक ने 13 मिनट का वीडियो जारी कर 18,380 फीट ऊंचे पहाड़ खारदुंग ला पर भूख हड़ताल की घोषणा की थी. (फोटो: ANI)

गणतंत्र दिवस पर 56 वर्षीय सोनम वांगचुक ने 13 मिनट का वीडियो जारी कर 18,380 फीट ऊंचे पहाड़ खारदुंग ला पर भूख हड़ताल की घोषणा की थी. (फोटो: ANI)

Sonam Wangchuk: लद्दाख (Ladakh), जिसे पृथ्वी का तीसरा ध्रुव भी कहा जाता है, उसके लिए 56 वर्षीय सोनम वांगचुक इस केंद्र श ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता 56 वर्षीय सोनम वांगचुक पांच दिवसीय भूख हड़ताल पर थे
सोनम वांगचुक की मांग लद्दाख के पर्यावरण और ग्लेशियर की सुरक्षा को लेकर है
लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने के लिए अनशन पर बैठे थे वांगचुक

लेह: लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) इन दिनों चर्चा में हैं. वांगचुक पिछले पांच दिनों से भूख हड़ताल पर थे. उन्होंने गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी से अपनी पांच दिवसीय भूख हड़ताल बीते सोमवार को खत्म की. 2007 में बनी ‘थ्री इडियट्स फिल्म’ में आमिर खान ने सोनम वांगचुक की ही भूमिका निभाई थी. वांगचुक ने समुदाय-संचालित शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार भी जीता है, लेकिन अचानक वांगचुक को अनशन पर क्यों बैठना पड़ा? आइए समझते हैं…

सोनम वांगचुक की क्या मांग है
लद्दाख (Ladakh), जिसे पृथ्वी का तीसरा ध्रुव भी कहा जाता है, इसके लिए 56 वर्षीय सोनम वांगचुक इस केंद्र शासित प्रदेश (Union Territories) को बचाने की गुहार लगा रहे हैं. उनका कहना है कि लद्दाख गंभीर मुद्दों से जूझ रहा है, अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो खतरे की घंटी बजने में ज्यादा देर नहीं लगेगी. वांगचुक की मांगों के समर्थन में भाजपा को छोड़कर, लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दल, सामाजिक और धार्मिक समूह और छात्र संगठन, लेह और कारगिल जिलों में एक साथ आए हैं. उनकी मांग लद्दाख के पर्यावरण और ग्लेशियर की सुरक्षा को लेकर है.

लद्दाख में खनन कंपनियां आईं तो ग्लेशियर तेजी से पिघलेंगे
द प्रिंट के अनुसार वांगचुक ने कहा, ‘अगर हम लद्दाख को सुरक्षित करने का कोई तरीका नहीं निकालेंगे तो यहां की आबादी बढ़ जाएगी और तेजी से उद्योग बढ़ेंगे. यही वजह होगी जिससे यहां के ग्लेशियर (Glaciers) तेजी से पिघलेंगे क्योंकि लद्दाख में एक बहुत ही नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र (Fragile Ecosystem) है और वह इसे बर्दाश्त नहीं कर पाएगा. लद्दाख के लोग नहीं चाहते हैं कि यहां पर खनन कंपनियां (Mining Companies) आएं.’

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लेह-लद्दाख में ग्लेशियर दो-तिहाई समाप्त हो जाएंगे
द स्टेट्समैन के अनुसार वांगचुक ने कहा, ‘कश्मीर विश्वविद्यालय (Kashmir University) और अन्य शोध संगठनों के हालिया अध्ययनों ने निष्कर्ष निकाला है कि लेह-लद्दाख में ग्लेशियर दो-तिहाई तक समाप्त हो जाएंगे यदि उनकी ठीक से देखभाल नहीं की गई. कश्मीर विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया है कि राजमार्गों और मानवीय गतिविधियों से घिरे ग्लेशियर तुलनात्मक रूप से तेज गति से पिघल रहे हैं. खनन और ऐसी गतिविधियां ग्लेशियरों को पिघला सकती हैं. इसके अलावा, लद्दाख रणनीतिक रूप से सेना के लिए महत्वपूर्ण है और इसने कारगिल और अन्य युद्धों में अहम भूमिका निभाई है.’

क्या है भारतीय संविधान की छठी अनुसूची
जम्मू-कश्मीर से अलग होने के बाद लद्दाख का विधान सभा में प्रतिनिधित्व खत्म हो गया है. इसीलिए वांगचुक कह रहे हैं, ‘हम 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर राज्य के हिस्से के रूप में बेहतर स्थिति में थे.’ छठी अनुसूची में संविधान के अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275 (1) के तहत खास प्रावधान किए गए हैं. असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों में जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन छठी अनुसूची का विषय है. इसके तहत, जनजातीय क्षेत्रों में ऑटोनॉमस जिला बनाने का प्रावधान किया गया है. राज्‍य के भीतर इन जिलों को कानूनी, न्यायिक और प्रशासनिक अधिकार मिलते हैं. लेकिन गर्वनर को यह अधिकार है कि वे इन जिलों की सीमा घटा-बढ़ा सकते हैं, या बदलाव कर सकते हैं, अगर किसी जिले में अलग-अलग जनजातियां हैं तो कई ऑटोनॉमस जिले बनाए जा सकते हैं.

हर ऑटोनॉमस जिले में एक ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल बनाने का प्रावधान है. अधिकतम पांच साल के कार्यकाल वाली काउंसिल में अधिकतम 30 मेंबर हो सकते हैं. इस काउंसिल को जमीन, जंगल, जल, खेती, ग्राम परिषद, स्वास्थ्य, स्वच्छता, ग्राम और नगर स्तर की पुलिसिंग, विरासत, विवाह और तलाक, सामाजिक रीति-रिवाज और खनन आदि जैसे कुछ विशिष्ट मामलों से जुड़े कानून, नियम बनाने का अधिकार है.

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Tags: Hunger strike, Indian Constitution, Ladakh, Protest

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