अन्ना हजारे ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी, कहा- किसानों के मुद्दे पर दिल्ली में करूंगा भूख हड़ताल

हजारे ने तारीख बताए बिना कहा कि वह महीने के अंत तक उपवास शुरू करेंगे. (File pic)
Farm Laws: पिछले साल 14 दिसंबर को अन्ना हजारे (Anna Hazare) ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) को पत्र लिखकर आगाह किया था कि कृषि पर एम एस स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें समेत उनकी मांगें नहीं मानी गयी तो वह भूख हड़ताल करेंगे.
- भाषा
- Last Updated: January 14, 2021, 11:23 PM IST
पुणे. सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे (Social Activist Anna Hazare) ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को एक पत्र लिखा और अपना फैसला दोहराया कि ‘‘वह जनवरी के अंत में दिल्ली में किसानों के मुद्दे पर अंतिम भूख हड़ताल करेंगे.’’ केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विभिन्न किसान संगठनों के जारी आंदोलन के बीच हजारे ने यह चिट्ठी लिखी है. हजारे ने तारीख बताए बिना कहा कि वह महीने के अंत तक उपवास शुरू करेंगे.
पिछले साल 14 दिसंबर को हजारे ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) को पत्र लिखकर आगाह किया था कि कृषि पर एम एस स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें समेत उनकी मांगें नहीं मानी गयी तो वह भूख हड़ताल करेंगे. उन्होंने कृषि लागत और मूल्य के लिए आयोग को स्वायत्तता प्रदान करने की भी मांग की है. हजारे ने कहा, ‘‘किसानों के मुद्दे पर मैंने (केंद्र के साथ) पांच बार पत्र व्यवहार किया लेकिन कोई जवाब नहीं आया.’’
हजारे ने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा है, ‘‘इस कारण से मैंने अपने जीवन की अंतिम भूख हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.’’
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हजारे ने कहा कि उन्होंने दिल्ली के रामलीला मैदान में अपनी भूख हड़ताल के लिए संबंधित प्राधिकारों से अनुमति के लिए चार पत्र लिखे थे लेकिन एक का भी जवाब नहीं आया.
वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार रोधी मुहिम के अग्रणी चेहरा हजारे ने याद दिलाया कि उन्होंने जब रामलीला मैदान में भूख हड़ताल शुरू की थी तो तत्कालीन संप्रग सरकार को संसद का विशेष सत्र आहूत करना पड़ा था.
उन्होंने कहा, ‘‘उस सत्र में आप और आपके वरिष्ठ मंत्री (भाजपा उस समय विपक्ष में थी) ने मेरी प्रशंसा की थी लेकिन अब मांगों पर लिखित आश्वासन देने के बावजूद आप उन्हें पूरा नहीं कर रहे हैं.’’
गौरतलब है कि हजारों किसान केन्द्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल 28 नवम्बर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं.
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इस साल सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को केन्द्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है. उसका कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे.

दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कॉरपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी.
पिछले साल 14 दिसंबर को हजारे ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) को पत्र लिखकर आगाह किया था कि कृषि पर एम एस स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें समेत उनकी मांगें नहीं मानी गयी तो वह भूख हड़ताल करेंगे. उन्होंने कृषि लागत और मूल्य के लिए आयोग को स्वायत्तता प्रदान करने की भी मांग की है. हजारे ने कहा, ‘‘किसानों के मुद्दे पर मैंने (केंद्र के साथ) पांच बार पत्र व्यवहार किया लेकिन कोई जवाब नहीं आया.’’
हजारे ने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा है, ‘‘इस कारण से मैंने अपने जीवन की अंतिम भूख हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.’’
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हजारे ने कहा कि उन्होंने दिल्ली के रामलीला मैदान में अपनी भूख हड़ताल के लिए संबंधित प्राधिकारों से अनुमति के लिए चार पत्र लिखे थे लेकिन एक का भी जवाब नहीं आया.
वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार रोधी मुहिम के अग्रणी चेहरा हजारे ने याद दिलाया कि उन्होंने जब रामलीला मैदान में भूख हड़ताल शुरू की थी तो तत्कालीन संप्रग सरकार को संसद का विशेष सत्र आहूत करना पड़ा था.
उन्होंने कहा, ‘‘उस सत्र में आप और आपके वरिष्ठ मंत्री (भाजपा उस समय विपक्ष में थी) ने मेरी प्रशंसा की थी लेकिन अब मांगों पर लिखित आश्वासन देने के बावजूद आप उन्हें पूरा नहीं कर रहे हैं.’’
गौरतलब है कि हजारों किसान केन्द्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल 28 नवम्बर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं.
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इस साल सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को केन्द्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है. उसका कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे.
दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कॉरपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी.