पंजाब विधानसभा में BJP MLA को बोलने से रोका, कांग्रेस और शिअद के मेंबर बोले- कृषि कानूनों पर साफ करें अपना रुख

पंजाब विधानसभा. (PTI File Photo)
कांग्रेस और शिअद के सदस्यों ने बुधवार को विधानसभा में भाजपा विधायक अरुण नारंग को राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान बोलने से रोक दिया .
- भाषा
- Last Updated: March 4, 2021, 11:27 AM IST
चंडीगढ़. सत्तारूढ़ कांग्रेस (Congress)और विपक्षी शिअद (SAD) के सदस्यों ने बुधवार को विधानसभा (Punjab Assembly) में भाजपा विधायक अरुण नारंग को राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान बोलने से रोक दिया और उन्हें पहले केंद्र के कृषि कानूनों पर अपना रुख साफ करने को कहा. नारंग पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा में भाग ले रहे थे. इसी बीच कांग्रेस विधायक दलवीर सिंह गोल्डी ने उन्हें रोक दिया.
गोल्डी के साथ कांग्रेस विधायक नवतेज सिंह चीमा और गुरकीरत सिंह कोटली तथा अकाली दल के विधायकों ने नारंग के खिलाफ विरोध दर्ज कराया. इन विधायकों ने कहा कि भाजपा विधायकों को सदन में बोलने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि पिछले साल जब पंजाब विधानसभा में केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ संशोधन विधेयक पारित किये गये थे, तो उस समय उन्होंने इनसे दूरी बनाई थी.
जब कांग्रेस और शिअद के विधायक भाजपा विधायक का विरोध कर रहे थे तो उस समय पीठासीन सभापति हरप्रताप सिंह अजनाला ने स्थिति को शांत करने का प्रयास किया लेकिन विधायकों का विरोध जारी रहा. बाद में गोल्डी ने मीडिया से कहा कि भाजपा विधायकों को बोलने की अनुमति क्यों दी जानी चाहिए, जब भगवा पार्टी कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की आवाज को नहीं सुन रही है.
गोल्डी के साथ कांग्रेस विधायक नवतेज सिंह चीमा और गुरकीरत सिंह कोटली तथा अकाली दल के विधायकों ने नारंग के खिलाफ विरोध दर्ज कराया. इन विधायकों ने कहा कि भाजपा विधायकों को सदन में बोलने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि पिछले साल जब पंजाब विधानसभा में केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ संशोधन विधेयक पारित किये गये थे, तो उस समय उन्होंने इनसे दूरी बनाई थी.
जब कांग्रेस और शिअद के विधायक भाजपा विधायक का विरोध कर रहे थे तो उस समय पीठासीन सभापति हरप्रताप सिंह अजनाला ने स्थिति को शांत करने का प्रयास किया लेकिन विधायकों का विरोध जारी रहा. बाद में गोल्डी ने मीडिया से कहा कि भाजपा विधायकों को बोलने की अनुमति क्यों दी जानी चाहिए, जब भगवा पार्टी कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की आवाज को नहीं सुन रही है.