चंडीगढ़/स्वाति भान. पंजाब में 50 दिन पुरानी आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को झकझोरने वाले राज्य के खुफिया तंत्र के मुख्यालय पर हमले के साथ, मुख्यमंत्री भगवंत मान शायद अपनी सबसे गंभीर परीक्षा का सामना कर रहे हैं क्योंकि विपक्षी दल महत्वपूर्ण सीमावर्ती राज्य में कानून व्यवस्था को व्यवस्थित करने की उनकी क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं. मोहाली में इंटेलिजेंस विंग के मुख्यालय पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) हमले ने पंजाब पुलिस की छवि खराब की है, जो अब अपराधियों को पकड़ने के लिए सुराग तलाश रही है.
यह हमला राज्य में विध्वंसक कार्रवाइयों की एक सीरीज को जाहिर करता है, जो उस रिपोर्ट्स को हवा दे रहा था कि पंजाब या तो आतंकवादी समूहों के लिए एक लक्ष्य बन रहा है या फिर अन्य राज्यों में ड्रग्स, हथियार और गोला-बारूद के लिए आवागमन का केंद्र. दो दिन पहले तरनतारन से आरडीएक्स बरामद हुआ था और हरियाणा पुलिस ने चार खालिस्तानी आतंकियों को पकड़ा था. मान सरकार न केवल बार-बार विध्वंसक कृत्यों के लिए, बल्कि उस हालात से निपटने के प्रबंधन के लिए भी आलोचना के घेरे में आ गई है.
उदाहरण के लिए, मोहाली पर सोमवार के हमले के बाद पार्टी और सरकार के एक वर्ग ने हमले को कार्यालय में “आकस्मिक विस्फोट” के रूप में प्रसारित करने की कोशिश की. हालांकि, बाद में उन्होंने बयान में सुधार कर लिया. समीक्षकों का दावा है कि कानून और व्यवस्था को संभालने में न्यूनतम अनुभव के साथ, मान को अभी भी प्रशासन को सही से समझना बाकी था.
इसने संयुक्त विपक्ष के उस आरोप को हवा दी है, जिसमें कहा गया कि मान की अगुवाई वाली सरकार ‘दिल्ली से रिमोट-नियंत्रित’ थी और जिसकी वजह से महत्वपूर्ण निर्णय लेने में देरी हुई. ग्रेनेड हमला कोई अकेला मामला नहीं है, जिसने पंजाब सरकार को आलोचना के घेरे में ला दिया है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान संकट से निपटने में अक्षम हैं.
जबकि पंजाब सरकार अभी भी 29 अप्रैल को घटित पटियाला सांप्रदायिक दंगों की जांच में उलझी है, विपक्ष ने भारतीय जनता पार्टी के नेता तजिंदर बग्गा को गिरफ्तार करने के लिए पंजाब पुलिस द्वारा सीमा पार करने और कांग्रेस नेता अलका लांबा एवं आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के पूर्व सहयोगी कुमार विश्वास के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने के तरीके पर जमकर निशाना साधा. इन सभी ने पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाया है. विपक्ष का मानना है कि इन कार्यों को “केजरीवाल के आदेश” के आधार पर किया गया. इस तरह से देखा जाए, तो पंजाब पुलिस असहाय नजर आती है.
विपक्ष ने बुलंद किये आवाज
विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, “भगवंत मान सरकार को दिल्ली के आदेशों का पालन करने के बजाय राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए.” उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक दंगे, ड्रग्स, हथियार और गोला-बारूद बरामद किया जा रहा है, और अब एक विस्फोट हालात पर नियंत्रण की कमी को दिखाता है. शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल भी विपक्षी दलों के साथ सुर में सुर मिलाते नजर आए और कहा कि मान सरकार को स्थिति नियंत्रण से बाहर होने से पहले जल्द ही सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए. हालांकि, राज्य सरकार ने कहा कि शांति और सद्भाव भंग करने के लिए दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी और अनुकरणीय कार्रवाई की जाएगी.
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