पंजाबी कल्चरल काउंसिल ने किसान आंदोलन में शहीद हुए 162 किसानों के परिवारों के लिए केंद्र से मांगा मुआवजा

पंजाबी कल्चरल काउंसिल ने शहीद किसानों के परिवार के लिए सरकार से मुआवजा मांगा है.
Farm Laws: पंजाबी कल्चरल काउंसिल के चेयरमैन स्टेट अवार्डी हरजीत सिंह ग्रेवाल व वाइस चेयरमैन सीनियर वकील तेजिन्दरपाल सिंह नलवा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सरहदों पर आंदोलन कर रहे किसानों की हर संभव सहायता प्रदान करने का भी आग्रह किया है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 25, 2021, 6:49 PM IST
चंडीगढ़. पंजाबी कल्चरल काउंसिल ने केंद्र सरकार से मांग की है कि किसान आंदोलन (Farmers Protest) के दौरान शहीद हुए सभी 162 किसानों एक्स-ग्रेशिया लाभ के तहत 25-25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करे. काउंसिल ने कहा है कि कृषि कानूनों को रद्द करके उस अन्नदाता को उचित सम्मान दिया जाए जिसने देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अपना सबकुछ दाव पर लगा दिया है. इस बारे में काउंसिल ने केंद्र सरकार को एक पत्र भी लिखा है. पंजाबी कल्चरल काउंसिल के चेयरमैन स्टेट अवार्डी हरजीत सिंह ग्रेवाल व वाइस चेयरमैन सीनियर वकील तेजिन्दरपाल सिंह नलवा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से सरहदों पर आंदोलन कर रहे किसानों की हर संभव सहायता प्रदान करने का भी आग्रह किया है.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को लिखी चिट्ठी में दोनों पदाधिकारियों ने कहा है कि यह बहुत दुखद बात है कि केंद्र सरकार के शर्मनाक व्यवहार के कारण 25 नवंबर 2020 से दिल्ली की सरहदों पर कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान चार राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सैकड़ों किसान अपनी जान गंवा चुके हैं. इसके अलावा पंजाब में धरनों और रेल रोके मोर्चे पर भी सितम्बर से 24 नवंबर, 2020 तक 13 किसानों ने अपनी जान कुर्बान कर दी है.
केंद्र सरकार की जिद किसी भी तरह जायज नहींउन्होंने कहा कि देश के अन्न भंडार भरने, खेती आधारित उद्योग के लिए कच्चा माल मुहैया करवाने के लिए किसान कड़ी मेहनत कर रहे हैं और खेत मज़दूरों को भी नौकरियां प्रदान कर रहे हैं. इसलिए केंद्र सरकार की यह जिद किसी भी तरह जायज नहीं है. किसी भी तरह का नुकसान देश के किसानों के साथ सरासर बेइंसाफी है. काउंसिल के नेताओं ने पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, छत्तीसगढ़, केरल और पश्चिमी बंगाल के मुख्यमंत्री की तरफ से इन काले खेती कानूनों के विरुद्ध कड़े रवैये की सराहना की है. उन्होंने इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया है कि शहीद किसानों के प्रभावित परिवार को हर संभव आर्थिक सहायता सुनिश्चित करने के लिए वे मामले में निजी हस्तक्षेप करें.
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शहीद किसानों की सूची की जारी
काउंसिल ने सभी शहीद हुए किसानों की एक सूची भी केंद्रीय कृषि मंत्री को भेजी है जिससे दुखी किसान परिवारों को हर तरीके से सहायता और सहयोग दिया जा सके. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ से आंदोलन में शहीद हुए किसानों को पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिए जाने की भी सराहना की है. ग्रेवाल व नलवा ने शहीद हुए किसानों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इनमें संगरूर जिला के 22 किसान, मानसा और पटियाला के 14 -14, बरनाला के 9, बठिंडा और लुधियाना के 8-8, श्री फतेहगढ़ साहिब और फाजिल्का से 7-7, श्री मुक्तसर साहब और अमृतसर से 6-6 किसान शामिल हैं. मोगा, होशियारपुर, फ़िरोज़पुर और एसबीएस नगर के 5-5, मोहाली, रूपनगर, गुरदासपुर और जालंधर से 3-3, तरनतारन जिला के 2 किसान शहीद शहीद हुए हैं. इस के इलावा हरियाणा से 9 किसान, उत्तर प्रदेश के 3 और मध्य प्रदेश से 1 किसान ने भी अपनी कुर्बानी दी है.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को लिखी चिट्ठी में दोनों पदाधिकारियों ने कहा है कि यह बहुत दुखद बात है कि केंद्र सरकार के शर्मनाक व्यवहार के कारण 25 नवंबर 2020 से दिल्ली की सरहदों पर कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान चार राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सैकड़ों किसान अपनी जान गंवा चुके हैं. इसके अलावा पंजाब में धरनों और रेल रोके मोर्चे पर भी सितम्बर से 24 नवंबर, 2020 तक 13 किसानों ने अपनी जान कुर्बान कर दी है.
केंद्र सरकार की जिद किसी भी तरह जायज नहींउन्होंने कहा कि देश के अन्न भंडार भरने, खेती आधारित उद्योग के लिए कच्चा माल मुहैया करवाने के लिए किसान कड़ी मेहनत कर रहे हैं और खेत मज़दूरों को भी नौकरियां प्रदान कर रहे हैं. इसलिए केंद्र सरकार की यह जिद किसी भी तरह जायज नहीं है. किसी भी तरह का नुकसान देश के किसानों के साथ सरासर बेइंसाफी है. काउंसिल के नेताओं ने पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, छत्तीसगढ़, केरल और पश्चिमी बंगाल के मुख्यमंत्री की तरफ से इन काले खेती कानूनों के विरुद्ध कड़े रवैये की सराहना की है. उन्होंने इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया है कि शहीद किसानों के प्रभावित परिवार को हर संभव आर्थिक सहायता सुनिश्चित करने के लिए वे मामले में निजी हस्तक्षेप करें.
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शहीद किसानों की सूची की जारी
काउंसिल ने सभी शहीद हुए किसानों की एक सूची भी केंद्रीय कृषि मंत्री को भेजी है जिससे दुखी किसान परिवारों को हर तरीके से सहायता और सहयोग दिया जा सके. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ से आंदोलन में शहीद हुए किसानों को पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिए जाने की भी सराहना की है. ग्रेवाल व नलवा ने शहीद हुए किसानों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इनमें संगरूर जिला के 22 किसान, मानसा और पटियाला के 14 -14, बरनाला के 9, बठिंडा और लुधियाना के 8-8, श्री फतेहगढ़ साहिब और फाजिल्का से 7-7, श्री मुक्तसर साहब और अमृतसर से 6-6 किसान शामिल हैं. मोगा, होशियारपुर, फ़िरोज़पुर और एसबीएस नगर के 5-5, मोहाली, रूपनगर, गुरदासपुर और जालंधर से 3-3, तरनतारन जिला के 2 किसान शहीद शहीद हुए हैं. इस के इलावा हरियाणा से 9 किसान, उत्तर प्रदेश के 3 और मध्य प्रदेश से 1 किसान ने भी अपनी कुर्बानी दी है.