चंडीगढ़. पंजाब की राजनीति (Politics of Punjab) में दलित (Dalits) केंद्र बिंदु में आ गए हैं. इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पंजाब की 32 फीसदी दलितों की आबादी (Dalit population) की मांग पर चुनाव आयोग का मतदान की तिथि 14 फरवरी से 20 फरवरी करनी पड़ी. द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक से पंजाब यूनिवर्सिटी (Punjab University) में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रोनकी राम कहते हैं कि पंजाब में दलित 39 जातियों में बंटे हैं.
रोनकी राम ने कहा कि इनमें रामदासी, मज़हबी, राय सिख और सांसी, सिख धर्म का पालन करते हैं. वाल्मीकि मुख्य रूप से हिन्दू हैं. रविदासिया और आद-धर्मियों ने हाल ही में दलितों के लिए रविदसिया धर्म बनाया है. हालांकि इनके अलग धर्म बनाने के बावजूद इनमें से ज्यादातर लोग सिख धर्म के रीति-रिवाजों को मानते हैं. इसके साथ ही ये रविदसिया पहचान के साथ डेराओं से भी जुड़े हैं. ये ज्यादातर दोआब इलाकों में हैं.
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कई सामाजिक संगठनों ने की थी चुनाव की तारीख बदलने की मांग
रिपोर्ट के मुताबिक गुरु रविदास की जयंती 16 फरवरी को है. कई सामाजिक संगठनों ने भी चुनाव की तारीख बदलने की मांग की थी. 10 फरवरी से 16 फरवरी के बीच गुरु रविदास को मानने वाले बड़ी संख्या में लोग पंजाब से बनारस जाते हैं. ऐसे में 14 फरवरी को मतदान होता तो इनके लिए दिक्कत होती.
बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) और सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) ने 10 जनवरी को मतदान की तारीख बदलने की सबसे पहले मांग की थी. इसके बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charajit Singh Channi) ने चुनाव आयोग को ख़त लिखा था. इसके बाद बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियां- पंजाब लोक कांग्रेस के साथ एसएडी (संयुक्त) ने भी मतदान की तारीख बदलने की मांग की. इन मांगों के बाद चुनाव आयोग ने तारीख़ बदलने की घोषणा बीते सोमवार को कर दी. चुनाव आयोग की घोषणा के बाद राजनीतिक दलों में इस बदलाव का श्रेय लेने की होड़ शुरू हो गई.
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