नई दिल्ली. कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने 1988 के ‘रोड रेज’ मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को एक स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया. वरिष्ठ अधिवक्ता एचपीएस वर्मा ने कहा, “उन्होंने (सिद्धू ने) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित मल्हान की अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया.” वर्मा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू के साथ अदालत पहुंचे थे. सिद्धू (58) ने शाम चार बजे के बाद आत्मसमर्पण कर दिया और वहां से उन्हें अनिवार्य चिकित्सकीय जांच के लिए माता कौशल्या अस्पताल ले जाया गया. चिकित्सा जांच के बाद उन्हें पटियाला केंद्रीय जेल भेज दिया गया.
शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया भी मादक पदार्थों से जुड़े मामले में इसी जेल में बंद हैं. मजीठिया अमृतसर-पूर्व से सिद्धू के खिलाफ हाल में हुए विधानसभा चुनाव लड़े थे, लेकिन दोनों ही नेता चुनाव हार गए थे. इस सीट पर आम आदमी पार्टी की जीवनजोत कौर विजयी हुई थीं. नवतेज सिंह चीमा, अश्विनी सेखरी, हरदयाल सिंह कम्बोज और पीरमल सिंह तथा अपने समर्थकों के साथ सिद्धू अपने आवास से जिला अदालत तक गए. चीमा, सिद्धू को टोयोटा लैंड क्रूजर कार से अदालत लेकर गए. सिद्धू ने नीले रंग का ‘पठानी सूट’ पहना हुआ था. आत्मसमर्पण के लिए कुछ मोहलत की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाए जाने के तुरंत बाद सिद्धू ने आत्मसमर्पण कर दिया.
फिलहाल के लिए, पंजाब के नेता नवजोत सिद्धू के लिए जेल जीवन की शुरुआत होती है.
तो चलिए जानते हैं, जेल में कैसा होता है एक कैदी का दिन:
* सुबह 5:30 बजे: कैदियों के लिए दिन बहुत जल्दी शुरू हो जाता है.
* सुबह 7 बजे: उन्हें चाय के साथ बिस्किट या काले चने परोसे जाते हैं.
* सुबह 8:30 बजे: ब्रंच (6 चपाती, दाल/सब्जी) के बाद वे काम पर निकल जाते हैं.
* शाम 5:30 बजे : सभी दोषी अपनी श्रेणी के अनुसार आवंटित कार्य को पूरा कर वापस लौटते हैं.
* शाम 6 बजे: रात का खाना, जिसमें छह चपाती और दाल या सब्जी होती है.
* शाम 7 बजे: रात के खाने बाद कैदियों को उनके बैरक में बंद कर दिया जाता है.
कैदी रोजाना 30 से 90 रुपये कमाते हैं
एनडीटीवी के मुताबिक पहले तीन महीनों के लिए, दोषियों को बिना वेतन के प्रशिक्षित किया जाता है. अकुशल, अर्धकुशल या कुशल कैदी के रूप में वर्गीकृत होने के बाद वे प्रतिदिन ₹ 30-90 कमाते हैं. दोषी अपराधी दिन में आठ घंटे काम कर सकते हैं और उनका मेहनताना सरकार द्वारा वहन किया जाता है.
शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति जे. बी. परदीवाला की पीठ ने सिद्धू की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि इस मामले में फैसला एक विशेष पीठ द्वारा सुनाया गया था, इसलिए वह अर्जी दायर कर सकते हैं और प्रधान न्यायाधीश के समक्ष मामले का उल्लेख कर सकते हैं. सिंघवी ने कहा कि वह प्रधान न्यायाधीश के समक्ष मामले का उल्लेख करने की कोशिश करेंगे.
34 साल पुराने ‘रोड रेज’ मामले में सिद्धू को सजा
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को 34 साल पुराने ‘रोड रेज’ मामले में सिद्धू को एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी और कहा था कि अपर्याप्त सजा देकर किसी भी तरह की ‘अनुचित सहानुभूति’ से न्याय प्रणाली को अधिक नुकसान होगा तथा इससे कानून पर जनता का भरोसा कम होगा. ‘रोड रेज’ की घटना में 65 वर्षीय बुजुर्ग गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी. न्यायालय के फैसले के बाद जब पत्रकारों ने सिद्धू से इस पर प्रतिक्रिया मांगी थी तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था. हालांकि, शीर्ष अदालत के फैसले के बाद सिद्धू ने ट्वीट करके कहा था कि वह “कानून के समक्ष आत्मसमर्पण करेंगे.”
पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
यद्यपि शीर्ष अदालत ने मई 2018 में सिद्धू को ‘जान-बूझकर चोट पहुंचाने’ के अपराध का दोषी माना था, लेकिन जेल की सजा देने के बजाय केवल एक हजार रुपये का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था. न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने गुरनाम सिंह के परिवार की पुनर्विचार याचिका बृहस्पतिवार को स्वीकार कर ली थी और सिद्धू को एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी. पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था, “…हमें लगता है कि रिकॉर्ड में एक खामी स्पष्ट है…. इसलिए, हमने सजा के मुद्दे पर पुनर्विचार आवेदन को स्वीकार किया है. लगाए गए जुर्माने के अलावा, हम एक साल के कठोर कारावास की सजा देना उचित समझते हैं.”
सिद्धू ने 2004 में भाजपा से की राजनीतिक पारी की शुरुआत
भाजपा के पूर्व सांसद सिद्धू ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का दामन थाम लिया था. राज्य में 2022 के विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले, सिद्धू तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ उलझ गए थे. अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से अपदस्थ कर दिया गया था और सिद्धू को पार्टी का अध्यक्ष पद सौंपा गया था. सिद्धू ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 2004 में भाजपा के टिकट पर अमृतसर से लोकसभा का चुनाव लड़कर की थी, जिसमें उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता आर. एल. भाटिया को शिकस्त दी थी.
(इनपुट भाषा से भी)
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