चंडीगढ़. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नई आबकारी नीति को लेकर आज गुरुवार को अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है. इस बैठक में नई आबकारी नीति को अमलीजामा पहनाने पर विचार विमर्श किया जाएगा. सरकार की पुरानी आबकारी नीति जून माह में समाप्त होने वाली है और 1 जुलाई से पंजाब में नई आबकारी नीति लागू होनी है. सरकार की वर्तमान में आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. इसलिए माना जा रहा है कि आबकारी नीति को इस तरह से बनाया जाएगा कि खाली खजाने को भरा जा सके. एक अधिकारी ने कहा कि शराब के उत्पादन और आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान आईटी आधारित ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम लागू किया जाएगा.
पंजाब सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के पहले तीन महीनों के लिए पुरानी आबकारी नीति को मंजूरी दी थी. नीति को तीन महीने की अवधि के लिए नवीनीकरण की अनुमति उन मौजूदा लाइसेंसधारियों को दी गई है, जो शराब में स्थिरता बनाए रखने के लिए अपने संबंधित समूहों और क्षेत्रों के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 के न्यूनतम गारंटी राजस्व (एमजीआर) से 1.75% अधिक राजस्व देंगे. जून में एक विस्तृत उत्पाद नीति की घोषणा की जाएगी, जो 1 जुलाई से प्रभावी होगी. यह हाल ही में चुनी गई आप सरकार की नीति को दर्शाएगी. राज्य के समूहों / क्षेत्रों का एमजीआर तीन महीने की अवधि के लिए 1440.96 करोड़ रुपये होगा. अल्पकालीन आबकारी नीति का राजस्व लक्ष्य तीन माह के लिए 1910 करोड़ रुपये रखा गया है.
दिल्ली की तर्ज पर भी हो सकती है नीति
विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, शराब की बिक्री से उच्चतम राजस्व प्राप्त करने के लिए पंजाब सरकार दिल्ली की सरकार की नीति का भी अध्ययन कर रही है. सरकार की कोशिश है कि व्यापार में आसानी हो और बड़े घरानों का एकाधिकार खत्म हो सके. दिल्ली में राज्य सरकार द्वारा शराब की बिक्री की जाती है, जिससे होने वाली सारी आमदनी सीधे सरकार के खजाने में पहुंचती है.
आम लोगों से मांगे गए हैं सुझाव
आप सरकार ने एक जुलाई से लागू होने वाली वर्ष 2022-23 की आबकारी नीति बनाते समय संबंधित हितधारकों के अलावा आम लोगों से भी सुझाव मांगे हैं. जानकारों का कहना है कि इससे पहले राज्य में बनी आबकारी नीतियों से सरकारी खजाने को भरा नहीं जा सका है. इसलिए आर्थिक मंदी से गुजर रहे पंजाब के लिए यह आबकारी नीति अहम हो सकती है.
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