चंडीगढ़. पंजाब के 23 किसान संघों से जुड़े सैकड़ों किसान गेहूं खरीद पर बोनस और धान बुवाई शरू करने सहित कई मांगों को लेकर मंगलवार सुबह से ही राज्य की राजधानी की तरफ आने लगे थे. बाद में संघ के नेताओं को सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के लिए बुलाया गया. मगर उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान के अलावा किसी और से मिलने से मना कर दिया. इसके बाद दोनों पक्षों के बीच गतिरोध पैदा हो गया. वहीं किसान नेताओं ने दावा किया है कि पूरे राज्य में पुलिस ने जगह-जगह बैरिकेड्स लगा रखे थे और उन्हें धरना स्थल पर पहुंचने से रोक दिया गया था. कुछ किसान मोहाली के अम्ब साहिब गुरुद्वारे तक पहुंचने में कामयाब रहे, जहां से सभी को चंडीगढ़ जाना था.
द ट्रिब्यून इंडिया ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि किसानों की संख्या कम होने की वजह से यूनियन ने फैसला लिया कि वे सीएम मान की जगह सरकार के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल से मिलेंगे. इसी बीच किसान संघ के नेताओं ने पक्के धरने के लिए अपना मार्च शुरू करने से पहले दोपहर 2 बजे तक का इंतजार करने का फैसला किया. बिजली मंत्री हरभजन सिंह से बातचीत विफल होने के बाद यूनियन नेताओं ने पिछले हफ्ते धरना-प्रदर्शन करने की घोषणा की थी. किसान मांग कर रहे हैं कि सरकार 18 जून से नहीं बल्कि 10 जून से धान की रोपाई के लिए आदेश दें.
न्यूज एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, किसान चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे हैं. पंजाब पुलिस ने 17 मई को चंडीगढ़ में घुसने से किसानों को रोक दिया था.
Punjab | Morning visuals from Chandigarh-Mohali border where farmers are sitting on a protest against the state government over various demands. They were stopped by the state police from entering Chandigarh, yesterday, May 17 pic.twitter.com/fUnr0bwz4Z
— ANI (@ANI) May 18, 2022
क्या है किसानों की मांग
दरअसल मान सरकार ने राज्य को पांच जोन में बांटा है. सरकार ने घोषणा की थी कि सभी जोन में 8 घंटे बिजली की आपूर्ति दी जाएगी. वहीं किसानों की मांग है कि बिजली लोड बढ़ाने में लगने वाले शुल्क को कम किया जाए. इसके साथ ही किसान 85 हजार स्मार्ट मीटर को प्रीपेड मीटर में बदलने का विरोध कर रहे हैं. किसान यह भी चाहते हैं कि सरकार सुनिश्चित करें कि किसानों को मकई पर एमएसपी मिले. साथ ही किसानों की यह भी मांग है कि सरकार ने जो मूंग पर एमसएपी देने का निर्णय लिया है, उसे अधिसूचित किया जाए.
किसानों का कहना है कि 23 फसलों पर एमएसपी की घोषणा की जाती है, लेकिन किसानों को गेहूं और धान पर ही एमएसपी मिलता है.
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