SGPC के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने बजट पेश किया जिसे एसजीपीसी सदस्यों ने पारित कर दिया है. (फोटो News18)
रिपोर्ट- एस. सिंह
चंडीगढ़. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए पेश किए गए 1,138.14 करोड़ रुपये के बजट में बंदी सिखों की रिहाई के लिए करीब 2 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान रखा गया है. बजट में बंदी सिखों के परिवारों को 20 हजार रुपये भत्ता देने का भी प्रावधान है. एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने बजट पेश किया जिसे एसजीपीसी सदस्यों ने पारित कर दिया है. बजट बैठक के दौरान हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) के प्रमुख ग्रंथी (पुजारी) ज्ञानी जगतार सिंह, तख्त केशगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह, एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी, एसजीपीसी के पदाधिकारी और सदस्य उपस्थित थे.
एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि एसजीपीसी के बजट में पिछले साल की तुलना में 17 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि बंदी सिखों की रिहाई और उनके मामलों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ उनके परिवारों का समर्थन करने के लिए एक विशेष राशि की व्यवस्था की गई है. SGPC उन सिख कैदियों की रिहाई की मांग कर रही है, जो अपनी सजा पूरी होने के बावजूद विभिन्न जेलों में बंद होने का दावा करते हैं.
इस अवसर पर, बंदी सिखों से संबंधित मुद्दों के संबंध में कई प्रस्ताव पारित किए गए. प्रस्ताव में एसजीपीसी द्वारा शुरू किए गए हस्ताक्षर अभियान के बारे में भी उल्लेख किया गया है, जिसमें बंदी सिखों की रिहाई की मांग की गई थी और सरकारों से अपना कठोर व्यवहार छोड़ने और मानवाधिकारों के आलोक में निर्णय लेने का आग्रह किया गया था.
उन्होंने सिविल और प्रशासनिक सेवाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सिख युवाओं को तैयार करने के लिए खोली गई अकादमी का विशेष रूप से उल्लेख किया है. धामी ने कहा कि एसजीपीसी कोचिंग अकादमी में हर साल 25 उम्मीदवारों को मुफ्त कोचिंग देगी, जिसके लिए पहले साल के बजट में एक करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है.
धामी ने कहा कि हरियाणा में गुरुद्वारों के लिए 57.11 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है. SGPC ने हाल ही में हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 को निरस्त करने की मांग की थी, जिसके तहत हरियाणा में गुरुद्वारों के मामलों के प्रबंधन के लिए एक अलग समिति बनाई गई थी. एक प्रस्ताव में एसजीपीसी ने फिर से हरियाणा अधिनियम को निरस्त करने की मांग की है.
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