अटारी-वाघा बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट देखने के लिए ऑनलाइन बुकिंग करवा सकेंगे पर्यटक. (फाइल फोटो)
रिपोर्ट- एस. सिंह
चंडीगढ़. अमृतसर के अटारी-वाघा बॉर्डर पर भारत और पाकिस्तान के जवानों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किए जाने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह (बीआरसी) के लिए पर्यटक अब ऑनलाइन बुकिंग करवा सकेंगे. बताया जा रहा है कि बॉर्डर पर आने वाले पर्यटकों की संख्या को देखते हुए बीएसएफ के महानिदेशक पंकज सिंह ने पर्यटकों के लिए सीटों की ऑनलाइन बुकिंग का प्रस्ताव रखा. जिसके बाद बीएसएफ ने पूरी प्रक्रिया को देखते हुए योजना बनाई है.
बीएसएफ के पंजाब फ्रंटियर के महानिरीक्षक आसिफ जलाल ने कहा कि बीआरसी देखने के लिए हर दिन तीस हजार से अधिक पर्यटक अटारी आते हैं. उनमें से काफी लोग कार्यक्रम स्थल खचाखच भरा होने के कारण समारोह देख ही नहीं पाते हैं और उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता है. उन्होंने माना कि पर्यटक ऐसे में एजेंटों की लूटपाट का भी शिकार हो जाते हैं. आसिफ जलाल ने कहा कि बीआरसी एक पारंपरिक अभ्यास है जो तब किया जाता है जब सैनिक अपनी दिनचर्या समाप्त करते हैं, अपने हथियारों को साफ करते हैं और सूर्यास्त के बाद अपनी पोस्टों पर पीछे हटते हैं.
1 जनवरी 2023 से शुरू होगी बुकिंग वेबसाइट
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ तकनीकी निदेशक अशोक कुमार अग्रवाल के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि अटारी में सीटों की बुकिंग के लिए विशेष रूप से एक समर्पित वेबसाइट www.attari.bsf.gov.in बनाई गई है, जो 1 जनवरी 2023 से शुरू होगी. उन्होंने कहा कि शुरुआत में हम एक समर्पित वेबसाइट लेकर आए हैं, लेकिन निकट भविष्य में देश में कहीं से भी अटारी में ऑनलाइन सीट बुक करने के लिए एक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया जाएगा. उन्होंंने कहा कि जल्द ही शत प्रतिशत बुकिंग ऑनलाइन होगी. अशोक कुमार अग्रवाल कहा कि आवेदक सीटों की वरीयता दे सकता है और अनुरोध प्रस्तुत करने के बाद व्यक्ति को मेल पर एक ओटीपी और बुकिंग का विवरण मिलेगा जो अटारी में शो के लिए आवश्यक होगा.
अभी क्या है व्यवस्था
आसिफ जलाल ने बताया कि एजेंटों द्वारा सुविधा के किसी भी दुरुपयोग से बचने के लिए अभी तक उन्होंने एक आवेदक द्वारा 12 सीटों की बुकिंग की सीमा निर्धारित की थी. सुरक्षा के लिहाज से अटारी आने वाले लोगों को अपना आईडी प्रूफ आदि जमा करना होगा. सूत्रों ने बताया कि औसतन 25 हजार से अधिक लोग अटारी में बीआरसी के आयोजन स्थल पर दीर्घाओं और किसी भी खुले स्थान में किसी तरह समायोजित हो जाते हैं. जबकि वास्तविक बैठने की क्षमता लगभग 10-15 हजार है. पर्यटकों को बीआरसी देखने के लिए लगभग 3.30 बजे अटारी पहुंचने की सलाह दी जाती है, जिसकी अवधि 1 घंटे से लेकर 2 घंटे तक हो सकती है.
1959 में शुरू हुई थी बीटिंग रिट्रीट
गौरतलब है कि 1947 में विभाजन से पहले अमृतसर और लाहौर अविभाजित पंजाब के दो प्रमुख शहर थे. लेकिन विभाजन के बाद जीटी रोड पर अटारी गांव में अंतरराष्ट्रीय सीमा स्तंभ संख्या 102 के पास भारत-पाक संयुक्त चेक पोस्ट (जेसीपी) स्थापित किया गया था. 1947 में भारतीय सेना को JCP की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जबकि बीटिंग रिट्रीट समारोह 1959 में भारत और पाकिस्तान दोनों सरकारों के सहमत होने के बाद शुरू किया गया था. प्रारंभ में सेना की कुमाऊं रेजीमेंट ने जेसीपी के लिए पहली टुकड़ी प्रदान की थी. 11 अक्टूबर 1947 को ब्रिगेडियर मोहिंदर सिंह चोपड़ा द्वारा यहां पहला ध्वजारोहण समारोह हुआ था. 1950 के दशक के मध्य में JCP को पंजाब पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया था और अपनी तरह का पहला रिट्रीट समारोह 1952 में शुरू किया गया था.
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Tags: Beating Retreat Ceremony, Punjab, WAGAH
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