पंजाब: कृषि कानूनों पर गरजने के बाद किसान नेता बोले, मेरा समय खत्म... और फिर तोड़ दिया दम
Farm Laws: तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी देने की मांग के साथ हजारों किसान कई दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
Hindi.news18.com | February 23, 2021, 1:56 PM IST
Last Updated 5 days ago
हाइलाइट्स
नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब की मुखर आवाज रहे किसान नेता दातार सिंह का रविवार को अमृतसर में निधन हो गया. उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. वो किरती किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष थे और किसान आंदोलन में जुड़ने से पहले उन्हें ट्रेड यूनियन लीडर के तौर पर जाना जाता था.
वो रविवार को अमृतसर के स्वतंत्रता सेनानी उजागर सिंह की याद में रखे गए एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे. उन्होंने जैसे ही अपना भाषण खत्म किया, मंच पर ही उन्हें हार्ट अटैक आया और अस्पताल जाने के दौरान उनकी मृत्यु हो गई.
सभा में किसान आंदोलन को लेकर वो अपनी बात रख रहे थे. इसी दौरान उन्होंने कहा कि अलविदा, मेरा वक्त अब खत्म होता है. इसके तुरंत बाद ही जैसे वो कुर्सी पर बैठे, उन्होंने दिल के दौरे की शिकायत की. इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाने की तैयारी हुई, लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया.
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन की कई सभाओं में दातार सिंह ने ना सिर्फ हिस्सा लिया, बल्कि इस कानून को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी आवाज भी बुलंद की. उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि समस्या का समाधान करने की बजाय सरकार किसान नेताओं में फूट डलवाना चाहती है. सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि जब तक कानून वापस नहीं होते, किसान अपने घर नहीं लौटेंगे. दूसरी ओर, संयुक्त किसान मोर्चा के दर्शन पाल सिंह ने उन्हें संगठन का बहादुर नेता बताया.
गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी देने की मांग के साथ पंजाब, हरियाणा और देश के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों किसान दो महीनों से अधिक समय से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
क्या है मामला
कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर सरकार ने सितंबर में तीनों कृषि कानूनों को लागू किया था. सरकार ने कहा था कि इन कानूनों के बाद बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसानों को देश में कहीं पर भी अपने उत्पाद को बेचने की अनुमति होगी. वहीं, किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं. प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी.
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