होम /न्यूज /पंजाब /घर से दूर सता रही है बुजुर्गों के सेहत की चिंता? तो केयर फॉर पैरेंट्स से लें मदद और इस खास तरह से रखें ध्यान

घर से दूर सता रही है बुजुर्गों के सेहत की चिंता? तो केयर फॉर पैरेंट्स से लें मदद और इस खास तरह से रखें ध्यान

सीनियर सिटिजन का रखें खास खयाल.

सीनियर सिटिजन का रखें खास खयाल.

जो लोग अपने पैरेंट्स से दूर रहते हैं उन्हें अपने पैरेंट के बारे में ज्यादा चिंता नहीं होगी. केयर फॉर पैरेंट्स की शुरुआत ...अधिक पढ़ें

    बुजुर्गों के हेल्थकेयर की चर्चा कम ही होती है. ऐसे में केयर फॉर पैरेंट्स प्लैटफॉर्म उनकी सेहत का स्पेशल ध्यान रखने के लिए बनाया गया है. फाउंडर सुचिता गुप्ता (Suchita Gupta) इसकी खासियत के बारे में बताया. सुचिता गुप्ता के अनुसार- ‘भारत में बुजुर्गों के हेल्थकेयर में कई कमियां हैं. उनकी सेहत का ध्यान रखने के लिए बहुत कम स्पेसिफिक ऑर्गनाइज्ड सेट-अप्स हैं. उनके हेल्थ से संबंधित पर्याप्त डेटा का भी अभाव है. प्राइमरी, सेकेंड्री और टर्शियरी हेल्थकेयर के लिए कई खिलाड़ी हैं, लेकिन उनके पास ऑनलाइन डेटा बहुत कम होता है. केयर फॉर पैरेंट्स इसी कमी को पूरा करता है.’

    सुचिता गुप्ता आगे कहती हैं- ‘जो लोग अपने पैरेंट्स से दूर रहते हैं उन्हें अपने पैरेंट के बारे में ज्यादा चिंता नहीं होगी. इसकी शुरुआत सितंबर 2020 में की गई. इस प्लैटफॉर्म पर बुजुर्गों को इंटरनेट ऑफ थिंग्स की मदद से हेल्थ सर्विस दी जाती है. सारा काम मोबाइल ऐप की मदद से होता है. यहां कंप्लीट हेल्थकेयर की सुविधा मिलती है जिसमें जनरल फिजिशियल चेकअप से लेकर जांच तक की सुविधा शामिल है.’

    केयर फॉर पैरेंट्स के किन सर्विसेज की सबसे ज्यादा डिमांड रहती है, किन्हीं तीन के नाम बताएं?
    जीपी कंसल्टेशन हमारा सब्सक्रिप्शन मॉडल है. जीपी प्रो-एक्टिवली कॉलिंग सर्विस की भी अच्छी डिमांड है. रेग्युलर जीपी कॉल्स के कारण किसी भी बीमारी का शुरू में पता चल जाता है जिसके कारण हॉस्पिटलाइजेशन की स्थिति से बच जाते हैं. अगर किसी बिमारी का शुरू में पता चल जाए तो उचित समय पर इलाज लिया जा सकता है और इमरजेंसी जैसे हालात नहीं बन पाते हैं. होम केयर और लैब टेस्ट की भी अच्छी मांग है.

    केयर फॉर पैरेंट्स को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा है?
    ज्यादातर बुजुर्गों का मानना होता है कि उन्हें कुछ नहीं होगा. वे कहते हैं कि अपने स्वास्थ्य का उचित ध्यान रख रहे हैं. जो मेडिसिन, एक्सरसाइज वे करते हैं, उसके बाद वे किसी डॉक्टर से सलाह लेना पसंद नहीं करते हैं. ऐसे लोग प्रिवेंटिव हेल्थकेयर सर्विस को मानने को तैयार नहीं होते हैं. अगर कोई समस्या होती है या लक्षण दिखाई देते हैं तो, इमरजेंसी जैसे हालात होने तक डॉक्टर से कंसल्टेशन के लिए तैयार नहीं होते हैं.

    टॉप स्टोरीज
    अधिक पढ़ें