चंडीगढ़/स्वाति भान. पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने शनिवार को विधानसभा में राज्य की वित्तीय स्थिति पर पेश किए गए श्वेत पत्र में दावा किया है कि पंजाब की आर्थिक हालत लगातार खराब होती जा रही है और इस महीने समाप्त होने वाली जीएसटी मुआवजा व्यवस्था के साथ ही यह ‘पूरी तरह से धराशायी’ हो जाएगा. भगवंत मान सरकार के पहले बजट के पेश होने से ठीक दो दिन पहले सदन में श्वेत पत्र पेश किया गया. श्वेत पत्र में दावा किया गया कि राज्य कर्ज के जाल में फंसा है, जहां पुराने कर्ज को चुकाने के लिए और ज्यादा कर्ज जमा किया जा रहा है, जबकि नए कर्ज का इस्तेमाल राज्य के भविष्य के विकास के लिए किया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा.
जीएसटी मुआवजा व्यवस्था के अंत में राज्य को इस वर्ष 15,000 करोड़ रुपये की राजस्व कमी होगी और उसके बाद यह रकम हर साल 21,000 करोड़ रुपये पहुंच जाएगी. दस्तावेज में कहा गया है कि कांग्रेस के पांच साल के शासन में राज्य का कर्ज 44.23 फीसदी बढ़ा है. पंजाब की आर्थिक स्थिति को देखते हुए आप सरकार खुद को मुश्किल स्थिति में देख रही है क्योंकि पार्टी ने चुनावों से पहले बड़े-बड़े वादे किए हैं और उसके लिए पर्याप्त बजट पेश करना होगा, लेकिन राज्य की वित्तीय हालत ऐसी है कि सरकार कहीं से भी अपने सभी चुनावी वादों को पूरा करने के लिए सक्षम नहीं है.
पंजाब का मौजूदा बकाया कर्ज 2.63 लाख करोड़ रुपये
श्वेत पत्र के मुताबिक, पिछली कांग्रेस सरकार ने 24,351.29 करोड़ रुपये की तत्काल और मध्यम अवधि की देनदारी छोड़ी है, जिसे अब आप सरकार को पूरा करना होगा. दस्तावेज में कहा गया है कि पंजाब का मौजूदा प्रभावी बकाया कर्ज 2.63 लाख करोड़ रुपये है, जो कि एसजीडीपी (राज्य का सकल घरेलू उत्पाद) का 45.88 फीसदी है. श्वेत पत्र में कहा गया है, “राज्य के मौजूदा कर्ज संकेतक शायद देश में सबसे खराब हैं, जो इसे कर्ज के जाल में और गहरा धकेल रहे हैं.”
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी निकाला था श्वेत पत्र
2017 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने भी इसी तरह का श्वेत पत्र निकाला था. तब उसने पिछली अकाली दल-भाजपा सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाया था. तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दावा किया था कि वे ‘उदय योजना’ के तहत पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा लिए गए पैतृक खाद्य जमा कर्ज और ऋण से परेशान थे.
पिछली सरकार ने कार्यकाल के आखिरी दिनों में लापरवाही से खर्च किये
आप सरकार के श्वेत पत्र में कहा गया, “पिछली सरकार छठे पंजाब वेतन आयोग के लागू होने के मद्देनजर एक जनवरी 2016 से 30 जून 2021 तक संशोधित वेतन के बकाया का भुगतान नहीं कर सकी. अकेले इस मद में बकाया देनदारी लगभग 13,759 करोड़ रुपये होने की संभावना है.” दस्तावेज में कहा गया है, ‘अपनी राजनीतिक किस्मत को उबारने के लिए पिछली सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में लापरवाह तरीके से खर्च किये.’
पंजाब पर लगातार बढ़ता गया कर्ज
दस्तावेज में कहा गया कि राज्य का बकाया कर्ज 1980-81 में 1,009 करोड़ रुपये था, जो 2011-12 में बढ़कर 83,099 करोड़ रुपये और 2021-22 में 2,63,265 करोड़ रुपये हो गया. श्वेत पत्र में कहा गया कि पंजाब को उसका पुराना वैभव वापस लाने के लिए प्रत्यक्ष राजस्व वृद्धि उपायों के साथ-साथ व्यय प्रतिबद्धताओं पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है.
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