अब पैरों के निशान से भी हो सकेगी आरोपियों की पहचान- शोध

पुलिस की मदद कर सकता है शोध. (File Pic)
इस शोध को पंजाब यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. केवल कृष्ण और उनकी छात्रा डॉ. ऋचा मुखरा द्वारा किया गया है. उन्हें हाल ही में इस शोध के आधार पर पीएचडी की उपाधि दी गई है.
- News18Hindi
- Last Updated: February 15, 2021, 8:26 AM IST
चंडीगढ़. किसी अपराध के बाद आरोपी की पहचान करना और फिर उस तक पहुंचना, पुलिस (Police) के लिए बड़ी चुनौती होती है. ऐसे में पुलिस फॉरेंसिक जांच से लेकर अपनी सूझबूझ की मदद लेती है. इस बीच पंजाब यूनिवर्सिटी के एंथ्रोपोलॉजी विभाग के एक प्रोफेसर और उनके छात्रा ने इस संबंध में अहम शोध किया है. उन्होंने अपने शोध में दावा किया है कि पैरों के निशान (Footprints) अपराध स्थल से बरामद अन्य सबूतों के संबंध में किसी अपराधी के शरीर के आकार के बारे में महत्वपूर्ण सुराग देने में मददगार हो सकते हैं. इससे एजेंसियों को आरोपियों की पहचान और उनका पता लगाने में मदद मिल सकती है.
इस शोध को पंजाब यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. केवल कृष्ण और उनकी छात्रा डॉ. ऋचा मुखरा द्वारा किया गया है. उन्हें हाल ही में इस शोध के आधार पर पीएचडी की उपाधि दी गई है. उनका यह शोध बताता है कि अपराध स्थल पर पाए गए पैरों के निशान और संबंधित सबूत जांच एजेंसियों और पुलिस को अपराधियों को पकड़ने में मदद कर सकते हैं. विश्वविद्यालय ने जानकारी दी है कि इस शोध को अमेरिकन एकेडमी ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज (AAFS) द्वारा स्वीकार कर लिया गया है. डॉ. कृष्ण 15 से 19 फरवरी तक वर्चुअल माध्यम से अकादमी के 73वें वार्षिक वैज्ञानिक सम्मेलन में इस रिपोर्ट को प्रस्तुत भी करेंगे.
इस शोध में डॉ. कृष्ण और डॉ. मुखरा ने बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) और एक व्यक्ति के पैरों के निशान के बीच एक संबंध स्थापित किया है. डॉ. कष्ण इस पर कहते हैं, 'बीएमआई व्यक्ति के शरीर के आकार के आकलन में से एक है. निष्कर्ष बताते हैं कि किसी व्यक्ति का बीएमआई सीधे फर्श पर पैरों के निशान बनाने से संबंधित होता है. इसका मतलब है कि किसी व्यक्ति का बॉडी मास अगर बड़ा है तो जमीन पर उसके पैरों के निशान भी बड़े क्षेत्रफल में होंगे.'
उन्होंने जानकारी दी है कि यह शोध बीएमआई की तीन श्रेणियों- सामान्य श्रेणी के व्यक्तियों, हल्के मोटे और मोटे व्यक्तियों को लेकर किया गया था. अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि ज्यादातर मामलों में सामान्य श्रेणी के बीएमआई वाले व्यक्ति सामान्य पैरों के निशान बनाते हैं. हालांकि अधिक बीएमआई श्रेणी वाले मोटे व्यक्ति फ्लैट पैरों के निशान बनाते हैं.
शोध के नतीजे के अनुसार यह अपराध स्थल से बरामद किए गए पैरों के निशान से अपराधियों की पहचान बताने में मददगार हो सकता है. कुछ हद तक पैरों के निशान बनाने वाले अपराधियों के शरीर का आकार इससे पता चल सकता है. इससे उनकी उचित पहचान हो सकती है.
इस शोध को पंजाब यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. केवल कृष्ण और उनकी छात्रा डॉ. ऋचा मुखरा द्वारा किया गया है. उन्हें हाल ही में इस शोध के आधार पर पीएचडी की उपाधि दी गई है. उनका यह शोध बताता है कि अपराध स्थल पर पाए गए पैरों के निशान और संबंधित सबूत जांच एजेंसियों और पुलिस को अपराधियों को पकड़ने में मदद कर सकते हैं. विश्वविद्यालय ने जानकारी दी है कि इस शोध को अमेरिकन एकेडमी ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज (AAFS) द्वारा स्वीकार कर लिया गया है. डॉ. कृष्ण 15 से 19 फरवरी तक वर्चुअल माध्यम से अकादमी के 73वें वार्षिक वैज्ञानिक सम्मेलन में इस रिपोर्ट को प्रस्तुत भी करेंगे.
इस शोध में डॉ. कृष्ण और डॉ. मुखरा ने बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) और एक व्यक्ति के पैरों के निशान के बीच एक संबंध स्थापित किया है. डॉ. कष्ण इस पर कहते हैं, 'बीएमआई व्यक्ति के शरीर के आकार के आकलन में से एक है. निष्कर्ष बताते हैं कि किसी व्यक्ति का बीएमआई सीधे फर्श पर पैरों के निशान बनाने से संबंधित होता है. इसका मतलब है कि किसी व्यक्ति का बॉडी मास अगर बड़ा है तो जमीन पर उसके पैरों के निशान भी बड़े क्षेत्रफल में होंगे.'
उन्होंने जानकारी दी है कि यह शोध बीएमआई की तीन श्रेणियों- सामान्य श्रेणी के व्यक्तियों, हल्के मोटे और मोटे व्यक्तियों को लेकर किया गया था. अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि ज्यादातर मामलों में सामान्य श्रेणी के बीएमआई वाले व्यक्ति सामान्य पैरों के निशान बनाते हैं. हालांकि अधिक बीएमआई श्रेणी वाले मोटे व्यक्ति फ्लैट पैरों के निशान बनाते हैं.
शोध के नतीजे के अनुसार यह अपराध स्थल से बरामद किए गए पैरों के निशान से अपराधियों की पहचान बताने में मददगार हो सकता है. कुछ हद तक पैरों के निशान बनाने वाले अपराधियों के शरीर का आकार इससे पता चल सकता है. इससे उनकी उचित पहचान हो सकती है.