अमृतपाल के फरार होने से पंजाब पुलिस पर उठे कई सवाल. (PHOTO:News18)
एस. सिंह
चंडीगढ़. ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) को फरार हुए 9 दिन हो चुके हैं. इस बीच एक और घटनाक्रम सामने आया है. बताया जा रहा है कि 18 मार्च को जब पुलिस बलों ने अमृतपाल को गिरफ्तार करने का जाल बिछाया था, तो पांच एसयूवी वाले अमृतपाल के काफिले ने हरिके पुल से अचानक गोइंदवाल की ओर रास्ता बदल लिया था. जबकि पुल के दूसरी तरफ तैनात पुलिस अधिकारी सादी वर्दी में थे और निजी वाहनों में उसका इंतजार कर रहे थे. ऐसा अंदेशा जताया जा रहा है कि पंजाब पुलिस फोर्स (Punjab Police) के भीतर से ही किसी ने शायद खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ता और उनकी टीम को कथित रूप से सूचना लीक कर दी हो. नहीं तो अमृतपाल उसी दिन पुलिस की गिरफ्त में होता.
‘दि ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस जब महतपुर की ओर काफिले में अमृतपाल और पापलप्रीत की ब्रेजा कार का पीछा कर रही थी, तो उसके चाचा हरजीत सिंह द्वारा चलाई जा रही मर्सिडीज कथित तौर पर गुरुद्वारा बुलंदपुरी की ओर मुड़ गई. इस गुरुद्वारे से महज 200 मीटर की दूरी पर ही हरजीत ने 20 मार्च की रात करीब 1 बजे मीडिया के सामने सरेंडर कर दिया था.
इस गुरुद्वारे के पास ही अमृतपाल ने पपलप्रीत के साथ अपनी मोटरसाइकिल का टायर पंक्चर ठीक करवाया. जबकि अर्धसैनिक बल और पुलिस ने इलाके में सुरक्षा कड़ी कर दी थी. गाड़ी वाला जिसने दोनों को लिफ्ट दी, वह इस गुरुद्वारे के ठीक सामने उधोवाल गांव का रहने वाला था. रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी तक कोई भी वरिष्ठ अधिकारी इस बात का ठोस जवाब नहीं दे पाया है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि पुलिस ने एक दिन के लिए भी हरजीत से पूछताछ क्यों नहीं की. जबकि वह इस मामले की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी था. उन्हें 20 मार्च को रात 1 बजे अमृतसर पुलिस ने गिरफ्तार किया और पांच घंटे के भीतर डिब्रूगढ़ ले जाया गया.
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