सिमरनजीत सिंह मान ने संगरूर लोकसभा उपचुनाव में 5,822 वोटों से जीत हासिल की. (ANI Photo)
स्वाति भान/चंडीगढ़: इस साल के पंजाब विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भगवंत मान ने मालवा की जनसभा में एक सवाल उठाया था. उन्होंने पूछा था, ‘क्या आप झाडू (झाड़ू, आम आदमी पार्टी का प्रतीक) या तलवार (तलवार) पकड़ेंगे?’. भगवंत मान के इस सवाल पर दक्षिणपंथी पंथिक नेताओं के एक वर्ग ने उन पर सिख संवेदनाओं का अनादर करने का आरोप लगाते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. लेकिन उस समय पंजाब ने ‘झाड़ू’ पकड़ा और आम आदमी पार्टी को भारी बहुमत से विधानसभा में भेजकर सर्वसम्मति भगवंत मान के सवाल का जवाब दिया था.
100 दिन से कुछ अधिक समय बाद, ‘झाडू बनाम तलवार’ की बहस फिर से शुरू हो गई है. क्योंकि कट्टरपंथी शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के नेता सिमरनजीत सिंह मान संगरूर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत दर्ज करने के बाद संसद में अपनी सीट लेने की तैयारी कर रहे हैं. यह 77 वर्षीय पूर्व आईपीएस अधिकारी अतीत में बार-बार अलगाववादी प्रचार का समर्थन कर चुका है और कई मौकों पर एक अलग खालिस्तान राज्य की आवश्यकता की वकालत की है.
सिद्धू मूसेवाला और दीप सिद्धू का मुद्दा बना AAP की हार का कारण?
पंजाब के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सिमरनजीत सिंह मान को लोकप्रिय पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या और विवादास्पद अभिनेता से सामाजिक कार्यकर्ता बने दीप सिद्धू की सड़क दुर्घटना में मौत ने संगरूर उपचुनाव में फायदा पहुंचाया है. दीप सिद्धू पिछले साल दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा का आरोपी था. उसके खिलाफ लाल किले पर निशान साहब (सिख झंडा) फहराने के लिए भीड़ को उकसाने का मामला दर्ज किया गया था. सिद्धू मूसेवाला अपनी मृत्यु से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे. जिन विवादास्पद विषयों पर उन्होंने अपने गीतों को आधारित किया था, दक्षिणपंथी पंथिक नेताओं द्वारा उपचुनाव के प्रचार में उनका इस्तेमाल किया गया.
इसस पहले मान 5 विधानसभा चुनाव और 1 लोकसभा चुनाव हार चुके थे
विश्लेषकों का कहना है कि मूसेवाला की हत्या, जिन्होंने मुख्य रूप से युवाओं के गुस्से को संबोधित करने वाले विषयों को अपने गानों के लिए चुना था, उन कारणों में से एक है, जिसके परिणामस्वरूप सिमरनजीत सिंह मान की जीत हुई. अन्यथा इससे पहले वह 5 विधानसभा चुनाव और 1 लोकसभा चुनाव हार गए थे. केवल सिमरनजीत सिंह मान ने ही नहीं, बल्कि शिरोमणि अकाली दल, जो कई चुनावी हार के बाद खुद को विलुप्त होने के कगार पर पाता है, ने भी लोगों की भावनाओं को उकेरने की कोशिश की. दरअसल, उपचुनाव में आम आदमी पार्टी से मुकाबले के लिए शिअद नेता सुखबीर बादल ने संयुक्त उम्मीदवार उतारने का प्रस्ताव रखा था.
पंजाब में कानून व्यवस्था का मुद्दा आम आदमी पार्टी के लिए बना मुसीबत
अकाली दल ने सिमरनजीत सिंह मान से संगरूर उपचुनाव में बलवंत सिंह राजोआना की बहन कमलदीप कौर राजोआना की उम्मीदवारी का समर्थन करने का आग्रह किया था, जिन्हें बेअंत सिंह हत्याकांड में दोषी ठहराया गया था. शिरोमणि अकाली दल लगातार बलवंत सिंह राजोआना जैसे कैदियों की रिहाई की मांग कर रहा है, जिन्होंने 25 से अधिक साल जेल में बिता लिए हैं. सिमरनजीत मान ने अंतिम समय में सुखबीर बादल के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था, लेकिन दक्षिणपंथी सिख पंथिक नेताओं द्वारा बनाए गए माहौल ने संगरूर में आम आदमी पार्टी के खिलाफ जनता का रुख मोड़ दिया. कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर विफलता ने भी आम आदमी पार्टी को नुकसान पहुंचाया. मूसेवाला की हत्या ने न केवल पार्टी के शासन के दावों को उजागर किया, बल्कि पंथिक राजनीति को और भी तेज कर दिया.
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