रिपोर्ट: शक्तिसिंह
कोटा. फलों का राजा कहे जाने वाले आम की पैदावार साल में एक बार होती है. लेकिन, कोटा के एक किसान ने आम की अलग-अलग किस्मों पर प्रयोग से एक ऐसी किस्म तैयार की है, जिसमें 12 महीने फल लगते हैं. बोनी किस्म के इस पौधे को घमलें में भी लगाया जा सकता है. किसान श्रीकिशन सुमन का दावा है कि ये दुनिया की इकलौती ऐसी किस्म है, जिसमें सालभर में 3 बार फल आते है. इस आम के पौधे और पेड़ में साल भर फ्लावरिंग और फूडिंग चलती रहती है. इसलिए इस किस्म का नाम ‘सदाबहार आम’ रखा गया है. कोटा के सदाबहार आम की देश, प्रदेश ही नहीं विदेशों में भी खूब डिमांड है.
कोटा शहर से 10 किमी दूर गिरधरपुरा गांव के 11 वीं पास किसान श्रीकिशन सुमन ने इस किस्म को तैयार किया है.साल 1993 में अपने 1 बीघा जमीन में खेती करने लगे. पहले धान की खेती की. फिर सब्जियां उगाई. बाद में फूलों की खेती की. लेकिन प्राकृतिक प्रकोप व सीजन के अलावा भाव नहीं मिलने के चलते कई बार नुकसान उठाना पड़ा. कमाई भी कम हो रही थी. रोज की कमाई की ध्यान में रखते हुए श्रीकिशन ने कुछ नया करने की सोची.
आठ साल के प्रयोग के बाद मिली सफलता
श्रीकिशन सुमन साल 1997—98से अपने मिशन पर लग गए. उन्होंने 1 बीघा जमीन पर अलग अलग किस्मों के आम के पौधों में ग्राइंडिंग करना शुरू किया. इसी दौरान एक पौधे में 7 रंग के फूल आ गए. वो 8 साल तक लगातार प्रयोग करते रहे. साल 2005 में उनको सफलता मिली. आम की नई किस्म का पौधा तैयार किया. उसे लेबोरेट्री टेस्ट के लिए उदयपुर व लखनऊ भेजा. साल 2010 में लखनऊ रिसर्च सेंटर से कृषि वैज्ञानिक कोटा आए और यहां आकर वैरायटी देखी. सामान्यतया आम के पौधे पर साल में एक बार फल लगते है. लेकिन श्रीकिशन सुमन द्वारा तैयार आम की नई किस्म में साल में 3 बार फल लगते हैं. इसलिए इसका नामकरण ‘सदाबहार आम’ रखा गया.
पहले 5 साल में 300 पौधे तैयार किए
नामकरण होने के बाद पहले 5 साल में श्रीकिशन ने 300 पौधे तैयार किए. इनमें उगने वाले आम को रिश्तेदारों को खिलाया. इस दौरान वो MIF के सम्पर्क में आए. और अहमदाबाद की लैब ने सेंपल टेस्ट करवाया. इन आम की खास बात यह है कि इसकी गुठली बीज बहुत पतली होती है. बाहर से पीला व अंदर से केसरिया होता है. इसमें रेसा नहीं होने से काटकर खाया जा सकता है. एक आम का वजन 200 से 364 ग्राम होता है. इसकी मिठास TSS 16 है. सदाबहार आम की किस्म पर मौसम का फर्क नहीं पड़ता. सीजन में सदाबहार आमका भाव 300 रुपये किलो तक पहुंच जाता है. अन्य किस्मों के मुकाबले सदाबहार आम का भाव 20 से 25 रुपए किलो ज्यादा रहता है.
5 साल के पौधे में साल भर में 50 किलो आम की उपज
श्रीकिशन ने अपने खेत पर सदाबहार आम की नर्सरी लगा रखी है. जहां वो पौधे तैयार करते हैं. वो थैलियों में पौधे लगाते हैं. फिर उनकी फ्लावरिंग करते है. यानी पौधे में उगने वाले फूलों को हटा देते है. ताकि पौधे की ग्रोथ अच्छी हो. आम का पौधा दूसरे साल फ्लावरिंग के साथ फल देना शुरू कर देता है. 5 साल बाद यही पौधा साल भर में 50 किलो आम देता है 8 से 10 साल होने पर उपज 100 से 150 किलो तक पहुंच जाती है.
राष्ट्रपति भवन के अमृत उद्यान में लगे हैं सदाबहार आम के पौधे
साल 2017 में राष्ट्रपति भवन में श्रीकिशन सुमन ने एग्जीबिशन में हिस्सा लिया था. पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी सदाबहार आम की किस्म को देखकर प्रभावित हुए थे. जिसके बाद श्रीकिशन सुमन द्वारा तैयार सदाबहार आम की किस्म के 4 पौधे राष्ट्रपति भवन के अमृत उद्यान में लगाए गए हैं.
पाकिस्तानियों को नहीं दिए पौधे
किसान श्रीकिशन सुमन आम के पौधों को गुजरात, महाराष्ट्र,आंध्र प्रदेश, एमपी, यूपी, केरल, कर्नाटक, बंगाल , विदेश में अमेरिका, जर्मनी, इंग्लैंड थाईलैंड, अफ्रीका तक भेज चुके हैं. साल 2018 में पाकिस्तानी भी सदाबहार आम की किस्म के पौधे लेने आए थे, लेकिन श्रीकिशन सुमन ने यह कहकर इंकार कर दिया कि पहले रिश्तों में मिठास लाए फिर सदाबहार आम खाने को मिलेगा.
7 साल में एक करोड़ 50 लाख से अधिक कमाए
किसान श्रीकिशन सुमन ने साल 2016 के बाद उन्होंने 3 बीघा जमीन खरीदी. उसमें मदर प्लांट लगाए. वहां सदाबहार आम के पौधे तैयार किये. इससे होने वाली कमाई से बच्चे की शादी की,मकान बनवाया. वो पिछले 3 साल से इनकम टैक्स की भर रहे हैं. देश के राष्ट्रपति से लेकर जिले के कलेक्टर तक उनका सम्मान कर चुक हैं.
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