मॉब लिंचिंग के शिकार हरीश के नेत्रहीन पिता ने की खुदकुशी, गुस्से में दलित समाज, पुलिसबल तैनात

फाइल फोटो- हाल ही में इस केस में वीडियो के अभाव में फोटो को सबूत न मानते हुए 6 लोगों को बरी कर दिया गया था.
राजस्थान में पहलू खान ( Pehlu Khan Lynching Case) मॉब लिंचिंग केस अभी चर्चा में ही है कि अब अलवर (Alwar) के ही एक और मॉब लिंचिंग केस (Harish Jatav Lynching Case) पर बवाल शुरू हो गया है.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: August 18, 2019, 12:10 PM IST
राजस्थान में पहलू खान मॉब लिंचिंग केस (Pehlu Khan Mob Lynching Case) को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले तीन दिन से मामले में फिर से अपील की बात कर रहे हैं, लेकिन अब अलवर के ही एक और मॉब लिंचिंग केस पर बवाल शुरू हो गया है. दलित युवक हरीश जाटव की मॉब लिंचिंग (Harish Jatav Lynching Case) में मौत के बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने और कथित रूप से केस वापस लेने के धमकियों के बाद गुरुवार को मृतक के नेत्रहीन पिता रत्तीराम जाटव ने सुसाइड कर लिया. इस घटना के बाद पुलिस विभाग के अधिकारी डैमेज कंट्रोल में जुटे हुए हैं और शव के पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया जल्द करवाई जा रही है.
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इस मॉब लिंचिंग केस में पुलिस की कथित लापरवाही और मजबूर पिता की आत्महत्या की खबर आने के बाद शुक्रवार को आक्रोशित दलित समाज के लोग टपूकड़ा में इकट्ठा हो रहे हैं. बीजेपी और बसपा नेता भी टपूकड़ा पहुंच रहे हैं. दलित समाज के आक्रोश को देखते हुए कस्बे में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है.
बसपा विधायक मिलेंगे सीएम गहलोत
रत्तीराम सुसाइड केस को लेकर बसपा विधायकों का एक दल डीजीपी से मिलकर दोषी पुलिसकंर्मियों पर कार्यवाही की मांग करने जा रहा है. वहीं तिजारा विधायक संदीप यादव सहित 6 बसपा विधायकों ने मामले पर चितां जताई है. बसपा विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी मिल कर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करने वाले हैं.
सवालों के घेरे में अलवर पुलिस
मॉब लिंचिंग में बेटे की मौत से परेशान रत्तीराम की सुसाइड के पीछे बेटे के हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं होने और बार-बार केस वापस लेने की धमकियों को बताया जा रहा है. नेत्रहीन और परेशान पिता ने सुसाइड से पहले न्याय के लिए बार-बार गुहार लगाई थी. वहीं परिजनों का आरोप है कि अलवर पुलिस से बार-बार फटकार मिलने पर वो तंग आ गया था.
ये है पूरा मामला
बता दें कि अलवर जिले के भिवाड़ी के झिवाना गांव निवासी दलित युवक हरीश जाटव की 17 जुलाई को मॉब लिंचिंग में मौत हो गई थी. आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने और आरोपियों के परिजनों की तरफ से मिल रही धमकियाें से परेशान नेत्रहीन दलित पिता रत्तीराम जाटव ने गुरुवार को अपनी जान दे दी.
लोगों ने पीट-पीटकर अधमरा किया, इलाज के दौरान मौत
मृतक रत्तीराम के बेटे दिनेश जाटव ने बताया कि फालसा गांव में बाइक की टक्कर के बाद एक महिला की मौत हो जाने पर उसके भाई को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया था. वहां से उसे दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया और बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.
पुलिस ने पहले एक्सिडेंट बताया, आरोपी धमकी देते रहे
पीड़ित दलित परिवार के अनुसार अलवर पुलिस इस मामले को एक्सीडेंट का रूप देने में जुटी हुई थी. इसका विरोध होने पर आईजी के निर्देश पर 302 में हत्या का मामला दर्ज हुआ था और पुलिस की सिफारिश पर जिला प्रशासन ने मृतक के परिजनों को 4 लाख 12 हजार रुपयों की सहायता राशि दी गई थी. यानी पुलिस ने अप्रत्यक्ष रूप से मॉब लिंचिंग मान लिया था. लेकिन इसके बाद भी पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की और आरोपी पक्ष के द्वारा रत्तीराम पर मुकदमा वापिस लेने के दबाव बनाकर धमकी दी जा रही थी.
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इस मॉब लिंचिंग केस में पुलिस की कथित लापरवाही और मजबूर पिता की आत्महत्या की खबर आने के बाद शुक्रवार को आक्रोशित दलित समाज के लोग टपूकड़ा में इकट्ठा हो रहे हैं. बीजेपी और बसपा नेता भी टपूकड़ा पहुंच रहे हैं. दलित समाज के आक्रोश को देखते हुए कस्बे में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है.

फाइल फोटो- मॉब लिंचिंक के हरीश जाटव के पिता रत्तीराम जाटव.
बसपा विधायक मिलेंगे सीएम गहलोत
रत्तीराम सुसाइड केस को लेकर बसपा विधायकों का एक दल डीजीपी से मिलकर दोषी पुलिसकंर्मियों पर कार्यवाही की मांग करने जा रहा है. वहीं तिजारा विधायक संदीप यादव सहित 6 बसपा विधायकों ने मामले पर चितां जताई है. बसपा विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी मिल कर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करने वाले हैं.
सवालों के घेरे में अलवर पुलिस
मॉब लिंचिंग में बेटे की मौत से परेशान रत्तीराम की सुसाइड के पीछे बेटे के हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं होने और बार-बार केस वापस लेने की धमकियों को बताया जा रहा है. नेत्रहीन और परेशान पिता ने सुसाइड से पहले न्याय के लिए बार-बार गुहार लगाई थी. वहीं परिजनों का आरोप है कि अलवर पुलिस से बार-बार फटकार मिलने पर वो तंग आ गया था.
ये है पूरा मामला
बता दें कि अलवर जिले के भिवाड़ी के झिवाना गांव निवासी दलित युवक हरीश जाटव की 17 जुलाई को मॉब लिंचिंग में मौत हो गई थी. आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने और आरोपियों के परिजनों की तरफ से मिल रही धमकियाें से परेशान नेत्रहीन दलित पिता रत्तीराम जाटव ने गुरुवार को अपनी जान दे दी.
लोगों ने पीट-पीटकर अधमरा किया, इलाज के दौरान मौत
मृतक रत्तीराम के बेटे दिनेश जाटव ने बताया कि फालसा गांव में बाइक की टक्कर के बाद एक महिला की मौत हो जाने पर उसके भाई को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया था. वहां से उसे दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया और बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.
पुलिस ने पहले एक्सिडेंट बताया, आरोपी धमकी देते रहे
पीड़ित दलित परिवार के अनुसार अलवर पुलिस इस मामले को एक्सीडेंट का रूप देने में जुटी हुई थी. इसका विरोध होने पर आईजी के निर्देश पर 302 में हत्या का मामला दर्ज हुआ था और पुलिस की सिफारिश पर जिला प्रशासन ने मृतक के परिजनों को 4 लाख 12 हजार रुपयों की सहायता राशि दी गई थी. यानी पुलिस ने अप्रत्यक्ष रूप से मॉब लिंचिंग मान लिया था. लेकिन इसके बाद भी पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की और आरोपी पक्ष के द्वारा रत्तीराम पर मुकदमा वापिस लेने के दबाव बनाकर धमकी दी जा रही थी.
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