पीयूष पाठक/अलवर. अलवर शहर के रेलवे स्टेशन के पास बना पांच मंजिला फतेहजंग गुंबद मुगल व राजपूत स्थापत्य कला का अनूठा मिश्रण है. इस इमारत को फतेहजंग का मकबरा भी कहा जाता है. यह ऐतिहासिक स्मारक मुगल बादशाह शाहजहां के मंत्री फतेहजंग की याद में करीब 1555 ईस्वी में बनकर तैयार हुई थी. फतेहजंग मुगलकाल में अलवर के गवर्नर भी रहे थे. 1547 में फतेहजंग की मौत के बाद इसका निर्माण शुरू हुआ था, गुंबद करीब आठ साल में तैयार हुआ.
विशाल चबूतरे पर बना है गुंबद की पांच मंजिला इमारत
पांच मंजिला यह स्मारक एक विशाल चबूतरे पर बना हुआ है. सभी मंजिलों की प्रत्येक दिशाओं में पांच दरवाजे और दो खिडकियां हैं. पहली मंजिल पर अरबी भाषा में कुरान की आयत लिखी हुई हैं. दूसरी मंजिल पर कोई सजावट नहीं है. तीसरी मंजिल पुष्प वल्लरियों से सुसज्जित है. पांचवीं मंजिल पर एक ही आकार के 28 दरवाजें हैं. चारों तरफ बनी मीनारें इसकी सुंदरता को बढ़ाती हैं. मकबरे की मुख्य संरचना के चारों ओर एक छोटा सा बगीचा है.
इस ऐतिहासिक पर्यटक स्थल की इमारत धीरे-धीरे जर्जर होती जा रही है. इसी वजह से वर्तमान में इसका जीर्णोद्धार कराया जा रहा है. मत्स्य उत्सव के लिए भी इस इमारत को सजाया जा रहा है. https://www.google.com/maps/place/Tomb+Of+Fateh+Jung/@27.5636746,76.6263868,15z/data=!4m5!3m4!1s0x0:0x606c34a4d6bcf663!8m2!3d27.5624295!4d76.622781
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