रिपोर्ट: पीयूष पाठक
अलवर. अलवर की सिलीसेढ़ झील में इन दिनों विदेशी पक्षी दिखाई दे रहे है. अक्सर सर्दियों में विदेशी पक्षी अलवर की सिलीसेढ़ झील के आसपास आते हैं और फरवरी के अंत तक यहीं रहते हैं. जैसे ही गर्मी चालू होती है तो पक्षी वापस जाने लग जाते हैं. पक्षी प्रेमी लोकेश खंडेलवाल ने बताया कि इन दिनों ब्लू थ्रोट, रूडी सेल, रेड ब्रेस्टेड लाइककेचर सहित अन्य वन्य जीव पक्षी सिलीसेढ़ झील पर दिख रहे हैं.
सिलीसेढ झील में बोटिंग करने आए पर्यटकों को विदेशी पक्षियों का झुंड दिखाई दिया. इस तरह एक साथ पक्षियों का झुंड देखकर पर्यटक खुश नजर आए और इस दृश्य को देखकर अपने कैमरे में कैद किया. पक्षी प्रेमी लोकेश खंडेलवाल ने बताया कि विदेशी पक्षियों का सर्दियों के मौसम में अलवर जिले के आसपास पहुंचना शुरू हो जाता है.
ये हिमालयन, अलास्का, अफगानिस्तान, ईस्ट साइबेरिया, तिब्बत से यहां पहुचते हैं. इनमें ब्लू थ्रोट छोटे आकार की एक चिड़िया काफी आकर्ष होती है.इसकी गर्दन के नीचे एक नीले रंग की धारी होती है. इस चिडिय़ा में खूबी होती है कि ये दूसरे चिडिय़ा की आवाज़ की नक़ल बखूबी कर लेती है. इसकी खुद की आवाज़ भी बहुत मधुर है. यह पक्षी हमारे हथेली के आकार से से भी छोटा होता है.
ये पक्षी आते हैं सिलीसेढ़ झील पर
सरिस्का के डीएफओ डीपी जगावत ने बताया कि सरिस्का में करीब अक्टूबर माह से ही इन प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो जाता है. सरिस्का में प्रवासी पक्षियों में मुख्य रूप से डक, ब्लू थ्रोट , रूडीसेल, रेड बरेस्टेड लाईकैचर मेल तुर्रा, गर्दन ऐंठा ( येरेशियन राइनेक) वाटर, ग्रेलेकगीज, पैलीकेन, ग्रेहेरोन, कुंजा, स्पूनबिल, स्मोकबिल, कॉमन पोचर्ड, पिनटेड स्टॉरक, ब्लैकटेल, पिंटेल्स, ब्राहीडक, कूट सहित करीब 40 से अधिक प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा सर्दियों में रहता है.
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