रिपोर्ट: पीयूष पाठक
अलवर. अलवर ज़िला अपने धार्मिक पर्यटन को लेकर विश्वभर में अपनी अलग पहचान रखता है. यहां महाराजा भृर्तहरि की तपोस्थली, नीलकंठ महादेव मंदिर और पांडूपोल है, जहां हजारों लोग पूरे देश से आते हैं. वैसे अलवर शहर में भी काफी मंदिर हैं, जिनके बारे में अलग—अलग मान्यताएं हैं. लेकिन, यहां चार साल पहले बना एक मंदिर अपने प्रतिमाओं के कारण काफी फेमस है. दरसअल, इस मंदिर में त्रिमुखी गणेश जी प्रतिमा विराजित है. इस प्रतिमा की खास बात ये है कि मंदिर निर्माण से पूर्व इसका डिजाइन सिंगापुर से तैयार कराय गया था. इसके बाद इसे अलवर में ही बनाया गया.
अलवर शहर के स्टेशन रोड पर स्थित गोविंद धाम मंदिर करीब 4 साल पहले ही बनकर तैयार हुआ है. य़ह मंदिर राधा कृष्ण जी का मंदिर है. मन्दिर में राधा कृष्ण जी की भव्य प्रतिमा विराजमान है. मन्दिर में दो द्वार है. इन दोनों द्वारों पर भगवानों की प्रतिमा स्थापित की गयी है. यह मंदिर मंदिर शहर की सबसे पुरानी गौशाला में बना हुआ है, जिसे गोविंद गौधाम मंदिर के नाम से पहचाना जाता है.
गौशाला समिति के अध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि गोविंद धाम मंदिर 4 साल पहले बनाया गया है. इस मंदिर में राधा—कृष्ण की प्रतिमा गौ माता के साथ स्थापित की गई है. साथ ही इसमें शिव परिवार, हनुमान जी, दुर्गा माता की प्रतिमा भी स्थापित की गई है. मंदिर के दो द्वार हैं. जिसमें एक द्वार पर लक्ष्मी जी व विष्णु जी की प्रतिमाएं स्थापित की हैं.
अग्रवाल ने बताया कि दूसरे द्वार पर हनुमान जी व त्रिमुखी गणेश जी स्थापित किए गए हैं. यह त्रिमुखी गणेश जी ही इस मंदिर के आकर्षण का केंद्र है. क्योंकि त्रिमुखी गणेश जी का डिजाइन हमारे पास सिंगापुर से आया था. तब हमने सोचा कि इसे हमारे मंदिर में स्थापित किया जाए. हमने इसे मंदिर के प्रवेश द्वार पर भव्य रूप में त्रिमुखी गणेश जी की प्रतिमा बनवा कर स्थापित किया. यहां पर आने वाले भक्तों गणेश जी की प्रतिमा के साथ फोटो भी लेते हैं. त्रिमुखी गणेश जी की यह प्रतिमा अपने आपको इसलिए खास बनाती है, क्योंकि अलवर जिले में संभवत यह पहली मूर्ति है जिसका डिजाइन विदेश से आया है.
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