यहां दो तारों के सहारे जिंदगी दांव पर लगाकर नदी पार करते ग्रामीण...

बारां के समसपुर गांव में तारों को पकड़कर घर से खेत पर जाती महिला
बारां जिले के समसपुर गांव में ग्रामीण खेतों पर जाने के लिए दो तारों का सहारा लेकर नदी पार करते हैं. पुरुष तो पुरुष, महिलाएं और मजदूर रोजाना नदी के तारों को पकड़कर डरती झूलती इस रास्ते को पार कर घर से खेत और खेतों से घर पहुंचते हैं.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: October 20, 2019, 2:17 PM IST
बारां. राजस्थान के बारां (Baran) जिले के समसपुर गांव (Samaspur Village) में ग्रामीण खेतों पर जाने के लिए दो तारों का सहारा लेकर नदी (River) पार करते हैं. पुरुष तो पुरुष, महिलाएं और मजदूर रोजाना नदी के तारों को पकड़कर डरती झूलती इस रास्ते को पार कर घर से खेत (Farm) और खेतों से घर पहुंचते हैं. यहां के लोगों ने प्रशासन विधायक सांसद आदि से पुलिया बनाने की मांग भी की, लेकिन किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया.
खेतों पर जाने के लिए जान जोखिम में डाल रहे ग्रामीण
बारां जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर दूर मांगरोल रोड स्थित समसपुर गांव की है, जहां खेतों पर जाने का रास्ता नहीं है लोग 4 किलोमीटर के चक्कर में नदी को पार करने के लिए दो तारों का सहारा लेकर नदी पार कर रहे हैं. रास्ता पार करना किसी जोखिम से कम नहीं है. पुरुष तो पुरुष, महिलाएं और मजदूर रोजाना नदी के तारों को पकड़कर घर से खेत और खेतों से घर पहुंचते हैं. तारों के जरिए पुल पार करने के दौरान जरा सी चूक जिंदगी पर भारी पड़ सकती है.
प्रशासन नहीं दे रहा कोई ध्यान
बता दें कि यहां के ग्रामीणों को खेतों पर जाने के लिए सड़क मार्ग से 4 किमी का सफर तय करना पड़ा है. इसी से बचने के लिए यहां के लोग तारों को पकड़कर जान जोखिम में डालकर खेतों पर पहुंचते हैं. ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी प्रशासन या फिर जनप्रतिनिधियों को नहीं है. यहां के लोगों ने प्रशासन से पुलिया बनाने की मांग भी की लेकिन किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया.
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खेतों पर जाने के लिए जान जोखिम में डाल रहे ग्रामीण
बारां जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर दूर मांगरोल रोड स्थित समसपुर गांव की है, जहां खेतों पर जाने का रास्ता नहीं है लोग 4 किलोमीटर के चक्कर में नदी को पार करने के लिए दो तारों का सहारा लेकर नदी पार कर रहे हैं. रास्ता पार करना किसी जोखिम से कम नहीं है. पुरुष तो पुरुष, महिलाएं और मजदूर रोजाना नदी के तारों को पकड़कर घर से खेत और खेतों से घर पहुंचते हैं. तारों के जरिए पुल पार करने के दौरान जरा सी चूक जिंदगी पर भारी पड़ सकती है.
प्रशासन नहीं दे रहा कोई ध्यान
बता दें कि यहां के ग्रामीणों को खेतों पर जाने के लिए सड़क मार्ग से 4 किमी का सफर तय करना पड़ा है. इसी से बचने के लिए यहां के लोग तारों को पकड़कर जान जोखिम में डालकर खेतों पर पहुंचते हैं. ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी प्रशासन या फिर जनप्रतिनिधियों को नहीं है. यहां के लोगों ने प्रशासन से पुलिया बनाने की मांग भी की लेकिन किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया.
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